प्रभात खबर नजरिया: भर्ती के निर्देश
डेढ़ साल में दस लाख केंद्रीय पदों पर भर्ती से बेरोजगारी की समस्या का कुछ समाधान हो सकेगा और सरकारी कामकाज में भी बेहतरी आयेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों में 10 लाख नियुक्ति का निर्देश दिया है. ये नियुक्तियां डेढ़ साल के भीतर की जायेंगी. प्रधानमंत्री मोदी ने सभी विभागों एवं मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया है. इससे दिन-ब-दिन गंभीर होती बेरोजगारी की समस्या कुछ का समाधान हो सकेगा और सरकारी कामकाज में भी बेहतरी आयेगी. बड़ी संख्या में सरकारी पदों के खाली रहने का मुद्दा अक्सर उठता रहता है.
पिछले साल दिसंबर में सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 2014 के बाद 6.98 लाख नियुक्तियां हुईं, फिर भी 8.72 लाख से अधिक पद खाली हैं. इन विभागों एवं मंत्रालयों में कुल मंजूर पदों की संख्या लगभग 40.05 लाख है. यदि रिक्तियों की संख्या में केंद्र सरकार के अधीन आनेवाले विभिन्न निकायों और संस्थानों में खाली पड़े पदों को जोड़ दें, तो रिक्तियों की कुल संख्या 30 लाख के आसपास हैं.
आकलनों की मानें, तो राज्य सरकारों के यहां भी लगभग 30 लाख पद खाली हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अप्रैल-जून की तिमाही में शहरी बेरोजगारी की दर 12.6 प्रतिशत हो गयी थी. हालांकि महामारी के असर से भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे उबरने लगी है और रोजगार में भी कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी स्थिति संतोषजनक नहीं है. बेरोजगारी और महंगाई के कारण बाजार में मांग का स्तर अपेक्षित नहीं है. महामारी की सबसे अधिक मार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों पर पड़ी है.
इस क्षेत्र में रोजगार के सर्वाधिक अवसर होते हैं. कोरोना काल में सरकार ने इन उद्यमों को बचाने के लिए अनेक पहलें की थीं. साथ ही, स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए भी वित्तीय योजनाएं चल रही हैं. अर्थशास्त्रियों की राय है कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर आते जाने के साथ-साथ रोजगार में भी अच्छे रुझान मिलने लगेंगे. रोजगार, आमदनी, मांग, उत्पादन और उपभोग परस्पर संबद्ध तत्व हैं. बेहतर वेतन-भत्ता तथा सामाजिक सुरक्षा होने के कारण सरकारी नौकरियों के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है.
बड़ी संख्या में मंजूर पदों के खाली रहने से शासन-प्रशासन की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है. शोध एवं शिक्षा तथा सेवा से जुड़े विभाग और संस्थान मानव संसाधन की कमी के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाते हैं. ऐसे में देश का विकास भी प्रभावित होता है. सरकारी पदों पर समुचित भर्ती नहीं होने से संविधान, संसद एवं न्यायालय द्वारा निर्दिष्ट प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं हो पाता. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का निर्देश बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.
सरकारी नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी और अनियमितता की शिकायतें भी आम हैं. चूंकि मिशन मोड में डेढ़ साल के भीतर नियुक्तियां की जानी हैं, तो आशा की जा सकती है कि विभाग लापरवाही नहीं करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश से राज्य सरकारों को भी प्रेरणा लेते हुए अपने यहां के खाली पदों को भरने का अभियान चलाना चाहिए.