ऑस्ट्रिया में मोदी
पिछले वर्ष (जनवरी-दिसंबर 2023) दोनों देशों का परस्पर व्यापार 2.49 अरब डॉलर रहा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रिया यात्रा अनेक कारणों से महत्वपूर्ण है. बीते 41 साल में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ऑस्ट्रिया यात्रा है. वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी वहां गयी थीं. बाद में 1999 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन और 2011 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया था. वहां के राष्ट्रपति एवं चांसलर भी भारत आते रहे हैं. मंत्रियों, अधिकारियों तथा सांसदों की आवाजाही भी होती रही है. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध नवंबर 1949 में स्थापित हुए थे. बीते 75 वर्षों में द्विपक्षीय संबंध उत्तरोत्तर गहरे होते गये हैं. पिछले वर्ष (जनवरी-दिसंबर 2023) दोनों देशों का परस्पर व्यापार 2.49 अरब डॉलर रहा था. यह व्यापार लगातार बढ़ता रहा है तथा व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है. भारत द्वारा निर्यात होने वाली वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक चीजें, कपड़े, जूते, रबर उत्पाद, वाहन एवं रेल कल-पुर्जे, इलेक्ट्रिक मशीनें और मैकेनिकल चीजें प्रमुख हैं.
ऑस्ट्रिया से भारत मशीनरी, मैकेनिकल चीजें, रेल के कल-पुर्जे, लोहा एवं इस्पात आदि आयातित करता है. ऑस्ट्रिया यूरोपीय संघ का सदस्य है. भारत और यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रयासरत हैं. इस समझौते के बाद दोनों देशों के कारोबार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की आशा है. प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है कि भारत और ऑस्ट्रिया के परस्पर संबंधों का आधार दोनों देशों के साझा मूल्य हैं. गुरुदेव रबींद्रनाथ ठाकुर ने 1921 और 1926 में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना की यात्रा की थी. उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ से ही वहां इंडोलॉजी का अध्ययन किया जाता है. वर्ष 1845 में ही वियना विश्वविद्यालय में संस्कृत की पढ़ाई शुरू हो चुकी थी. भारतीय साहित्य, संगीत एवं रंगकर्म के अलावा हाल के वर्षों में ऑस्ट्रिया के लोगों की रुचि आयुर्वेद और योग में बढ़ी है.
स्पष्ट है कि आर्थिक और कूटनीतिक तत्वों के साथ-साथ सांस्कृतिक निकटता भी परस्पर संबंधों का महत्वपूर्ण आधार है. आकलनों के अनुसार, ऑस्ट्रिया में 31 हजार से अधिक भारतीय मूल के लोग और प्रवासी भारतीय हैं. वहां 450 से अधिक भारतीय छात्र उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. यूरोप में ऑस्ट्रिया को उसके पूर्वी और पश्चिमी भाग के बीच एक पुल माना जाता है. इसी प्रकार वह भारत के लिए भी यूरोप में संबंधों को प्रगाढ़ करने का महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है. वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियां, जलवायु संकट तथा अंतरराष्ट्रीय सहकार बढ़ाना प्रधानमंत्री मोदी तथा ऑस्ट्रियाई नेतृत्व की भेंट के मुख्य मुद्दे हैं. दोनों देशों के कारोबारी प्रतिनिधियों के साथ उनकी बैठक से व्यापारिक संबंधों को नयी गति मिलने की आशा है. अविश्वास से भरी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की विश्वसनीयता निरंतर बढ़ रही है. प्रधानमंत्री मोदी की ऑस्ट्रिया यात्रा उसका एक उदाहरण है.