वैश्विक शांति के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया है. जी-20 समूह की वर्चुअल शिखर बैठक के उद्घाटन भाषण में उन्होंने रेखांकित किया कि सभी का एक साथ आना यह संकेत देता है कि हम मुद्दों को लेकर संवेदनशील हैं और उनके समाधान के लिए एक साथ हैं. भारत की अध्यक्षता में यह जी-20 की अंतिम बैठक थी. एक दिसंबर से अध्यक्षता का जिम्मा एक साल के लिए ब्राजील का होगा. जब दिल्ली में बीते सितंबर में शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था, तब रूस-यूक्रेन युद्ध एक प्रमुख मुद्दा था. इस पर समूह के देश दो खेमों में विभाजित थे.
इसी विभाजन के कारण इंडोनेशिया में हुए शिखर सम्मेलन में कोई संयुक्त घोषणापत्र जारी नहीं हो सका था. उस युद्ध की छाया भारत में होने वाले कई महत्वपूर्ण मंत्री-स्तरीय बैठकों पर भी पड़ी, जिसके कारण सहमति नहीं बन सकी. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीतिक क्षमता ने अंततः घोषणा पर सभी सदस्य देशों को सहमत कर लिया. उसी सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल सम्मेलन का प्रस्ताव रखा था. यह सम्मेलन इस्राइल-फिलिस्तीन के मुद्दे और पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के साये में हुआ. रूस-यूक्रेन युद्ध का मसला तो है ही. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत अन्य देशों के साथ विश्व एवं मानवता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार है.
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि जी-20 समूह में कई मसलों पर सहमति बनी है. इनमें आतंक और निर्दोष नागरिकों की मौत को बर्दाश्त नहीं करना, जल्दी से समुचित राहत पहुंचाना, अस्थायी शांति एवं बंधकों की रिहाई का स्वागत, द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के तहत इस्राइल-फिलिस्तीन मसले का समाधान, क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए संवाद एवं कूटनीति का रास्ता अपनाना आदि हैं. इन प्रयासों में जी-20 समूह हर संभव सहयोग के लिए तैयार है. इस समूह में विकसित राष्ट्रों के समूह जी-7 के सदस्य भी हैं और ब्रिक्स समूह के भी.
ऐसे में आतंक, युद्ध, पर्यावरण संकट आदि तमाम मुश्किलों का कारगर हल निकाला जा सकता है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जलवायु संकट की चर्चा की और जलवायु वित्त का मुद्दा उठाया. इस महीने के अंत में अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन हो रहा है. आशा है कि बीते एक साल से जी-20 कार्यक्रमों के तहत इस मुद्दे पर हुई चर्चाओं और कार्य-योजनाओं से जलवायु सम्मेलन को सफल बनाने में मदद मिलेगी. निश्चित रूप से भारत की अध्यक्षता में यह समूह सशक्त एवं समृद्ध हुआ है.