20 से 22 जनवरी तक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर पूसा, नयी दिल्ली में अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक महानिरीक्षक सम्मेलन आयोजित हुआ. यह अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होनेवाला 57वां सम्मेलन था. राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों से अलग-अलग स्तर के 600 से ज्यादा अधिकारियों ने ऑनलाइन तरीके से भाग लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन इस सम्मेलन में हिस्सा लिया.
उन्होंने पुलिस बल को और ज्यादा संवेदनशील बनाने पर जोर दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि पुलिस को नयी प्रौद्यौगिकियों से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. विभिन्न एजेंसियों के बीच डाटा के आदान-प्रदान के लिए राष्ट्रीय डाटा कन्वर्जेंस फ्रेमवर्क बनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि पैदल गश्ती जैसे परंपरागत पुलिसिंग के तरीके को और भी ज्यादा चुस्त और दुरुस्त करने के साथ-साथ बायोमेट्रिक्स आदि जैसे आधुनिक तकनीकी उपायों का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए.
प्रधानमंत्री मोदी ने जेल प्रबंधन में सुधार के लिए जेल सुधार की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जो पुराने कानून चलन में नहीं हैं, उन्हें निरस्त कर देना चाहिए. सभी राज्यों में पुलिस संगठनों का मानक बनाने का सुझाव दिया. प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2014 से ही पूरे देश में वार्षिक डीजीपी सम्मेलनों के आयोजन किए जाने को प्रोत्साहित करते रहे हैं. भारत में पुलिस सुधार की जरूरत दशकों से महसूस की जाती रही है.
पुलिस सुधारों के लिए पिछले कई वर्षों में विभिन्न समितियों-आयोगों का गठन हुआ. राष्ट्रीय पुलिस आयोग, पुलिस के पुनर्गठन पर पद्मनाभैया समिति और आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों पर मलिमथ समिति के सुझाव इनमें से उल्लेखनीय हैं. 1998 में देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर जूलियो रिबेरो की अध्यक्षता में एक अन्य समिति गठित हुई थी, जिसका काम केंद्र सरकार/राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा की गयी कार्रवाई की समीक्षा करने और आयोग की लंबित सिफारिशों को लागू करने के तरीके सुझाना था.
भारत में जितनी स्मार्ट पुलिस चाहिए, उतनी अभी तक हो नहीं पायी है. कुशलता से काम करने के लिए पुलिस के पास संसाधनों की कमी है. इसे जल्द दूर करने की दिशा में काम करना चाहिए. मौजूदा समय के हिसाब से पुलिस को प्रशिक्षित किये जाने और जनता के प्रति संवेदनशील बनाने की जरूरत है, ताकि हर चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया जा सके.