17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रतिकार की नीति

प्रधानमंत्री मोदी के संदेश से स्पष्ट है कि रक्षा नीति को लेकर भारत किसी असमंजस या असहजता की स्थिति में नहीं है.

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी आक्रामकता तथा कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम के उल्लंघन की घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना बहुत महत्वपूर्ण है कि यदि भारत को उकसाने का प्रयास हुआ, तो उसका जमकर प्रतिकार होगा. इससे स्पष्ट है कि रक्षा नीति को लेकर भारत किसी असमंजस या असहजता की स्थिति में नहीं है.

सैनिकों के बीच इस संबोधन से ठीक पहले ही उन्होंने दो अहम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहा था कि सभी देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का समुचित सम्मान करना चाहिए, ताकि परस्पर सहयोग की संभावनाओं को विस्तार देते हुए विकास की संभावनाओं को साकार किया जाए. उन्होंने कुछ देशों की वर्चस्ववादी सोच की आलोचना भी की थी.

एक ऐसे संबोधन में उनके साथ शिखर बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उपस्थित थे, तो दूसरे संबोधन में साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में चीनी आक्रामकता का सामना कर रहे आसियान देशों के शासन प्रमुख भी शामिल थे. प्रधानमंत्री मोदी की स्पष्टता को भारत की आक्रामकता या बदले की भावना का परिचायक नहीं माना जाना चाहिए. भारत ने चीन और पाकिस्तान के लगातार उकसावे के बावजूद समुचित संयम का परिचय दिया है तथा हमेशा ही सैनिक, कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर विवादों को सुलझाने की पैरोकारी की है.

यह सही है, जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने भी रेखांकित किया है, कि हमारी सैन्य क्षमता और हमारे सैनिकों की वीरता के कारण शांतिपूर्ण समझौतों में भी भारतीय पक्ष का हौसला बढ़ा है, लेकिन भारत ने किसी भी पड़ोसी देश को अपने सैनिक ताकत की धौंस नहीं दिखायी है. लद्दाख क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण का सामना जिस साहस और धैर्य के साथ हमारे सैनिकों ने किया है, वह एक मिसाल है.

वर्ष 2017 में डोकलाम में भी चीनी टुकड़ियों के सामने भारतीय सैनिक तब तक डटे रहे थे, जब तक कि चीन ने उन्हें वापस नहीं बुला लिया. पाकिस्तानी सरकार और सेना के प्रश्रय में चल रहे आतंकी शिविरों और घुसपैठ के ठिकानों पर हमले कर भारत ने बार-बार यह जताया है कि पड़ोसी देश उसके सब्र का इम्तहान न ले. प्रधानमंत्री मोदी का बयान यह भी इंगित करता है कि जब तक लद्दाख में चीन अपने सैनिक बंदोबस्त को अप्रैल की पूर्वस्थिति में वापस नहीं ले जाता, तब तक भारतीय सैनिक भी पीछे नहीं हटेंगे.

भारत की सामरिक क्षमता ने वैश्विक स्तर पर विस्तारवाद के मुखर विरोध का आधार भी प्रदान किया है. इसी के साथ अनेक बड़े रणनीतिक संबंधों एवं संपर्कों को बढ़ावा देने का अवसर भी मिला है. सीमावर्ती क्षेत्रों में तीव्र गति से हो रहा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास भी भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का एक उदाहरण है. ऐसे में चीन तथा पाकिस्तान के नेतृत्व के सामने भारत की राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा सैनिक क्षमता के स्तर में हुए बदलाव का समुचित संज्ञान लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

Posted by: Pritish sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें