विभिन्न क्षेत्रों में तकनीक आधारित नये उद्यमों के विस्तार के लिए प्रारंभिक पूंजी उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये के विशेष कोष की स्थापना की है. इसकी घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि सरकार की कोशिश ऐसा स्टार्टअप तंत्र के विकास में सहयोग देने की है, जो ‘युवाओं का, युवाओं के लिए और युवाओं द्वारा’ के मंत्र पर आधारित हो. पिछले कुछ सालों से भारत समेत विभिन्न देशों तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप कंपनियों ने महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. तकनीकी विकास के साथ अनेक वस्तुओं और सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है.
इसकी पूर्ति में स्टार्टअप बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. आज भारत में 35 से अधिक ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनका मूल्य एक अरब डॉलर से ऊपर है. कोरोना संकट से त्रस्त 2020 में ही इनमें से 11 कंपनियां एक अरब डॉलर की सीमा पार कर यूनिकॉर्न स्टार्टअप की श्रेणी में शामिल हुई हैं. जनवरी, 2021 में तीन स्टार्टअप इस स्तर पर पहुंचे हैं. इस संदर्भ में सबसे अहम तथ्य यह है कि ये कंपनियां विभिन्न कारोबार और सेवाओं से संबद्ध हैं.
जानकारों का आकलन है कि 2025 तक देश में एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य की स्टार्टअप कंपनियों की संख्या 100 हो सकती है. अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित क्षेत्रों में नये स्टार्टअप के लिए संभावनाएं कम हैं क्योंकि वहां पहले से ही उनकी संख्या बड़ी है. इसके बरक्स भारत में नये उद्यमों के लिए बड़ी जगह खाली है. जो स्टार्टअप अभी यूनिकॉर्न स्तर तक नहीं पहुंचे हैं, उनके पास अच्छी तकनीक और योजना है. इसीलिए भरोसे और उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने स्टार्टअप कंपनियों से आह्वान किया है कि वे आगामी वर्षों में अपने-अपने क्षेत्र में बड़ी वैश्विक कंपनी होने के लिए प्रयासरत हों.
यह जगजाहिर तथ्य है कि किसी नये विचार, नवाचार और नवोन्मेष पर आधारित उद्यम को शुरू करने के लिए पूंजी जुटाना बहुत कठिन होता है. नये उद्यमियों को बैंक से कर्ज लेना भी आसान नहीं होता है क्योंकि उनके पास गारंटी के रूप में पेश करने के लिए समुचित संपत्ति नहीं होती. ऐसे में यह आशा की जानी चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित योजना बड़े पैमाने पर स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगी. सरकार ने पहले भी कुछ कदम उठाये हैं. पिछले साल क्षमता और संभावना के आधार पर स्टार्टअप कंपनियों की पहचान कर उन्हें वित्तीय सहायता देने की एक योजना शुरू की गयी है.
इसके तहत 300 कंपनियों को 25 लाख रुपये और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. इस योजना के लिए 95 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गयी है, जिसका वितरण तीन सालों में होना है. सूचना तकनीक मंत्रालय ने कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा कराने और उन्हें पुरस्कृत करने की योजना भी चलायी है. आगामी बजट से भी स्टार्टअप क्षेत्र को अनेक अपेक्षाएं हैं क्योंकि आर्थिक वृद्धि के लिए उनका विस्तार जरूरी है.
Posted By : Sameer Oraon