करें तनाव से लड़ने की तैयारी
एक ऐसे शत्रु के भय से, जो अदृश्य है, और कहीं से भी हमला कर सकता है. घर के अंदर भी और घर के बाहर भी. यह तनाव हर तरफ हर किसी पर प्रभाव डाल रहा है क्योंकि इसने जीवन शैली का शाश्वत नियम ही बदल दिया है.
डॉ प्रमोद पाठक
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
delhi@prabhatkhabar.in
वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि जीवन में इतने व्यापक स्तर पर इतना भयावह परिदृश्य पहले कभी देखने-सुनने को नहीं मिला था. पल-पल की सूचनाएं हमें भयभीत कर रही हैं. कहते हैं, कम जानकारी खतरनाक होती है, मगर ज्यादा जानकारी ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है. तनाव तो सदैव ही मानव जीवन की समस्या रहा है. मगर, लॉकडाउन ने एक नये किस्म का तनाव पैदा कर दिया है. वायरस कितना अलग है, यह तो पता नहीं, मगर यह तनाव जरूर अलग है. एक ऐसे शत्रु के भय से, जो अदृश्य है, और कहीं से भी हमला कर सकता है. घर के अंदर भी और घर के बाहर भी. यह तनाव हर तरफ हर किसी पर प्रभाव डाल रहा है क्योंकि इसने जीवन शैली का शाश्वत नियम ही बदल दिया है.
हम समझते थे कि जीवन चलने का नाम है, लेकिन आज की स्थिति में चलना नहीं, रुकना जीवन है. सारी दुनिया जैसे ठहर-सी गयी है. और, यह भी पता नहीं कि यह स्थिति कब तक रहेगी. एक बिल्कुल ही नये प्रकार की दुश्चिंता. पूरी मानवता अनिश्चितता और भय के घेरे में है. शास्त्रीय मनोविज्ञान में ऐसे तनाव पर ज्यादा चर्चा नहीं मिलेगी. इसलिए जो तनाव से बचने के स्थापित तरीके हैं, उनमें थोड़ा संशोधन की आवश्यकता है. जिस तरह से कोरोना वायरस से लड़ने का सर्वश्रेष्ठ तरीका अपनी रोगरोधी क्षमता को बढ़ाना है, उसी तरह इस लॉकडाउन से पैदा हुए तनाव से बचने के लिए मन की तनावरोधी क्षमता को बढ़ाना है.
यह स्थापित तथ्य है कि अलग-अलग लोगों में तनावरोधी क्षमता अलग-अलग होती है. इसलिए कुछ लोग तनाव से जल्द ही विचलित हो जाते हैं, पर कुछ लोगों के साथ ऐसा नहीं होता. किंतु जो सुखद पक्ष है, वह यह है कि अपनी मानसिक जीवटता को थोड़े अभ्यास से काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है. बस कुछ सरल और नियमित प्रयास करने होंगे. हमें यह स्वीकारना है कि ऐसी परिस्थिति में तनाव होना स्वाभाविक है. फिर यह कि पूरा विश्व ही परेशान है, सिर्फ आप नहीं. तो, परिस्थिति को स्वीकारें और उससे जूझने के लिए खुद को तैयार करें.
इसके लिए जरूरी है थोड़ी शारीरिक कसरत केवल 15 से 20 मिनट. सिर्फ इतना कि आपकी श्वसन प्रक्रिया तेज हो जाये और हृदय गति थोड़ी बढ़ जाये. कमरे में ही थोड़ा हाथ-पैर हिलाना-डुलाना और उछल-कूद करना काफी होगा. इसका उद्देश्य यह है कि आपके दिल और दिमाग को ताजा ऑक्सीजनयुक्त खून तेजी से पहुंचे. यह आपकी तनावरोधी और रोगरोधी क्षमताओं को बढ़ायेगा. अब थोड़ा भोजन नियंत्रण भी जरूरी है. शुद्ध खायें और कम खायें तथा भोजन में हरी सब्जियां और फल की मात्रा बढ़ायें. यदि हो सके, तो कुछ भोजन बनाने का भी उपक्रम करें. यह रचनात्मकता को बढ़ाता है.
संकट की इस घड़ी में सबसे मजबूत आधार परमात्मा है, तो थोड़ी प्रार्थना और थोड़ा ध्यान करें. वैसे प्रार्थना भी एक प्रकार का ध्यान ही है. इसके लाभों की वैज्ञानिक पुष्टि हो चुकी है. इससे हमारे खून में अच्छे हार्मोन का प्रवाह बढ़ता है और यह क्रिया नकारात्मकता एवं भय नहीं आने देती. चिकित्सा विज्ञान भी आस्था के चमत्कार को स्वीकारता है. इन लॉकडाउन के दिनों में कोई नया कौशल या गुण सीखने का प्रयास करें. इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और मन भी व्यस्त रहेगा.
कहते हैं, खाली दिमाग शैतान का घर होता है. तो, दिमाग को खाली न रहने दें. संगीत सुनना और संगीत सीखना दोनों ही लाभप्रद है. वैसे भी यदि सिर्फ थोड़ा संगीत सुन लें, तो चित्त शांत होता है और व्यग्रता दूर होती है. मगर संगीत में लय, ताल और धुन का समावेश होना चाहिए. यह सब कुछ पुरानी फिल्मों के संगीत में अधिक मिलेगा. हो सके, तो कुछ लिखिए. फेसबुक पर ही तुकबंदी करें. आपके मित्रों के पास लाइक के अलावा कोई और विकल्प ही नहीं है. और, कवि तो हर व्यक्ति में होता है, तो उसको जगाएं. बीच-बीच में बच्चों वाली कॉमिक्स या कहानियां पढ़ें. इससे मनोरंजन भी होगा और नकारात्मकता भी दूर होगी. साथ ही, दिमाग की रचनात्मकता बढ़ेगी. एक और जरूरी बात. सोने से पहले समाचार न देखें, वरना सारी मेहनत बेकार हो जायेगी. यह भी आवश्यक है कि मोबाइल साइलेंट मोड पर ही रहे, ताकि व्हाॅट्सएप के हस्तक्षेप से आप कम प्रभावित हों.
इसके अलावा, जहां तक संभव हो सके, संकट की इस घड़ी में जिनको मदद चाहिए, उनकी मदद करें. इससे आपका तनाव तो दूर होगा ही, उनकी दुश्चिंता भी दूर होगी. आज के लॉकडाउन वाले जीवन में विकल्प सीमित हो गये हैं, किंतु इसे सकारात्मक भाव से लें और पूरा लाभ उठाएं. अभी भटकने का अवसर कम है. ऐसे में मन को अनुशासित करने का प्रयास करें. यह जरूरी नहीं है कि आप ऊपर कही गयी हर बात पर अमल कर पाएं, मगर जितना भी संभव हो, उतना जरूर करें. आवश्यकता है दिमाग को व्यस्त रखने की. अगर दिमाग व्यस्त रहेगा, तो तबीयत मस्त रहेगी. कोरोना वायरस तो चला ही जायेगा, अपना स्वास्थ्य ठीक रखने की आवश्यकता है- मानसिक भी और शारीरिक भी. तो, तनाव से लड़ने की तैयारी रखें.