कोरोना संकट से निबटने की तैयारी
भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय महासचिव, भाजपाएवं राज्यसभा सदस्यbhupenderyadav69@gmail.comकोरोना वायरस का प्रकोप मानव जाति के सामने सबसे बड़ी त्रासदियों में से है. इससे न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है. इस महामारी ने मांग और आपूर्ति को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. इस वैश्विक चुनौती से भारत भी अछूता नहीं है. […]
भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय महासचिव, भाजपाएवं राज्यसभा सदस्यbhupenderyadav69@gmail.comकोरोना वायरस का प्रकोप मानव जाति के सामने सबसे बड़ी त्रासदियों में से है. इससे न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है. इस महामारी ने मांग और आपूर्ति को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. इस वैश्विक चुनौती से भारत भी अछूता नहीं है. किंतु, इससे निबटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई रणनीतिक उपाय किये हैं. कृषि क्षेत्र और उससे जुड़े सभी हितधारकों अर्थात किसानों, मजदूरों, उत्पादकों और खुदरा विक्रेताओं के समक्ष आनेवाली चुनौतियों का सामना करने की दृष्टि से यह दौर अत्यंत संवेदनशील है. सरकार ने नीतिगत तौर पर लॉकडाउन का निर्णय किया है, साथ ही इस क्षेत्र की बुनियादी दिक्कतों पर भी गंभीरता दिखायी है.
मोदी सरकार ने कृषि उत्पादों की खरीद में लगी संस्थाओं को छूट दी है, जिसमें एमएसपी संचालन, किसानों द्वारा खेती का काम, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण सेवाएं, बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि की दुकानें, फसल की कटाई और बुआई करना शामिल है. फसल ऋण अदायगी के बोझ को कम करने और किसानों को अतिरिक्त ब्याज से बचाने के लिए पुनर्भुगतान अवधि को बढ़ाने का फैसला उचित कहा जायेगा.इस आपदा में केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ उन सभी विषयों पर चर्चा की है, जो राज्यसूची के अंतर्गत निष्पादित होने हैं. राज्यों से किसानों, एफपीओ, सहकारी समितियों द्वारा प्रत्यक्ष बिक्री की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और उन्हें थोक विक्रेताओं और बड़े खुदरा विक्रेताओं को उनके पारिश्रमिक के अनुरूप सीधा उपज बेचने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. एग्री-गोल्ड खातों को किसान क्रेडिट कार्ड में बदलने की समय सीमा भी बढ़ा दी गयी है.
साथ ही प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत केंद्र सरकार लाभार्थी किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये प्रति वर्ष जमा करने की प्रक्रिया चला रही है. इसके तहत 15,841 करोड़ रुपये की राशि का वितरण किया गया है, जिससे लगभग 7.92 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं.प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की कार्यनीति ‘गरीब कल्याण’ को समर्पित है. अत: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत अगले तीन महीनों के लिए सभी राशन कार्ड धारकों, लगभग 80 करोड़ लोगों को एक किलो दाल प्रदान करने का निर्णय लिया गया है. वित्तमंत्री ने आर्थिक संकट से बचाने के लिए पीएमजीकेवाई योजना के तहत 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है. ये सभी उपाय कोविड-19 से निपटने के लिए आवश्यक व्यक्तिगत स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए लागू किये गये हैं.केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2020 से मनरेगा मजदूरी को बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि गरीबों के पास नकदी की कमी न होने पाये. पीएम उज्ज्वला योजना के तहत सरकार ने अगले तीन महीनों के लिए 8.2 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त गैस सिलिंडर देने का फैसला किया है.
स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत हर व्यक्ति को तीन महीने की अवधि के लिए 50 लाख रुपये की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना की भी घोषणा की गयी है.भारतीय रिजर्व बैंक ने ईएमआई पर बचत करने और ऋण की अदायगी पर तीन महीने की मोहलत की घोषणा की है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पांच लाख रुपये तक के सभी लंबित आयकरों की तत्काल रिफंड की घोषणा की है, जो कि मध्यम वर्ग को राहत पहुंचाने में मदद करेगा.कोविड-19 का प्रभाव बहुआयामी है. इसने समाज और उद्योग दोनों को ही प्रभावित किया है. किंतु, मोदी सरकार ने समय रहते तैयारी कर सतर्कता का परिचय दिया है. सरकार ने लोगों को क्षमता निर्माण, अंतरराष्ट्रीय यात्रा के नियमन, प्रवेश पर निगरानी, सामुदायिक निगरानी, लॉजिस्टिक, चिकित्सा उपकरण, परीक्षण, प्रयोगशाला तंत्र और अस्पतालों की तैयारियों पर ध्यान देकर लोगों को बचाने के उपाय किये हैं. राज्य, जिला और अस्पताल स्तर पर संक्रमण की रोकथाम से संबंधित प्रशिक्षण आयोजित किये जाते रहे हैं. सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात को उचित समय पर प्रतिबंधित कर दिया गया था. यात्रियों का जोखिम के आधार पर प्रोफाइलिंग, अर्थात होम क्वारंटाइन या फैसिलिटी क्वारंटाइन के रूप में पहचान करने के लिए हवाई अड्डों पर चिकित्सा दल तैनात किये गये थे. सभी बंदरगाहों पर आनेवाले जहाजों के लिए स्क्रीनिंग शुरू की गयी थी. सभी राज्यों और जिलों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के माध्यम से सामुदायिक निगरानी शुरू की गयी है.
समुदायिक संक्रमण को रोकने के लिए मजबूत परीक्षण रणनीतियों का पालन किया गया है, जिसमें अब तक 1,70,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है. केंद्र सरकार की प्रयोगशालाओं के अलावा एनएबीएल-मान्यता प्राप्त निजी प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गयी है. केंद्र सरकार कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए पहली स्वदेशी किट विकसित करने और वेंटिलेटर, मेडिकल किट, इमेजिंग और रेडियोलॉजी उपकरण बनाने के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में भी सफल रही है.मानवीय दृष्टिकोण का परिचय देते हुए सरकार ने कोरोना प्रभावित आठ देशों से 2,546 भारतीयों और 48 विदेशी नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला है.केंद्र सरकार के रोकथाम उपायों पर आकलन के संदर्भ में एक शोध बताता है कि लॉकडाउन और रोकथाम उपायों के बिना, 15 अप्रैल, 2020 तक कोरोना संक्रमण के 8.2 लाख मामले दर्ज हो चुके होते.
हालांकि, रोकथाम के उपायों के साथ और बगैर लॉकडाउन के 15 अप्रैल, 2020 तक 1.2 लाख मामले दर्ज हो चुके होते. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लागू करने के बाद 11 अप्रैल तक 6,565 पुष्ट मामले हैं.ये संख्या सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी नेताओं की आम सहमति के बाद देशव्यापी लॉकडाउन करने के प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र के शुरुआती फैसले के कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस निर्णय की सराहना की गयी है, इसके साथ कृषि, स्वास्थ्य सेवा और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में किये गये रणनीतिक उपाय भी शामिल हैं. ये प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो कोरोना से लड़ने और हमारी अर्थव्यवस्था पर इस महामारी के दुष्प्रभावों को कम करने पर केंद्रित है.(ये लेखक के निजी विचार हैं)