12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दूरसंचार में अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी

तकनीकी विशेषज्ञों ने बेहतर तकनीक विकसित कर देश को दूरसंचार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया है. इसी आधार पर भारत वैश्विक वायरलेस मानक मोबाइल नेटवर्क की 6वीं पीढ़ी में अग्रणी भूमिका निभाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है

हमारे देश में अक्तूबर 2022 को 5जी सेवाओं का उद्घाटन किया गया और देशभर में इन सेवाओं का विस्तार 2024 के अंत तक हो जायेगा. इस विकास की प्रक्रिया में विशेषज्ञों ने बेहतर तकनीक विकसित कर देश को दूरसंचार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया है. इसी आधार पर भारत वैश्विक वायरलेस मानक मोबाइल नेटवर्क की 6वीं पीढ़ी में अग्रणी भूमिका निभाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है. भारत ने 6जी से संबंधित तकनीक के 127 पेटेंट हासिल कर लिये हैं, जिन्हें अमेरीका सहित कई विकसित देश साझा करना चाहते हैं.

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावृत किये गये विजन दस्तावेज के अनुसार, भारत 2030 तक हाई स्पीड 6जी संचार सेवाओं को शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है. उल्लेखनीय है कि 1जी की शुरुआत 1980 में हुई थी, जिससे एनालॉग वॉयस मिला. 1990 से शुरू हुए 2जी से डिजिटल वॉयस ईजाद हुआ, जिसको कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (सीडीएमए) तकनीक के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2000 में 3जी का प्रारंभ हुआ था, जहां से मोबाइल डेटा मिलने लगा. 2010 में 4जी सेवाओं की शुरुआत हुई, जिससे प्रदत्त एलटीइ तकनीक से मोबाइल ब्रॉडबैंड युग का आगाज हुआ.

वायरलेस मानक मोबाइल नेटवर्क का हालिया संस्करण 5जी नयी तकनीक ऑर्थोगोनल फक्वेंसीडिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (ओएफडीएम) पर आधारित है, जो हस्तक्षेप को कम करने के लिए विविध चैनलों में डिजिटल सिग्नल को संशोधित करने की एक प्रक्रिया है. इसमें ओएफडीएम तकनीक के साथ ही न्यू रेडियो (एनआर) एयर इंटरफेस, सब-6 गिगाहर्ट्ज और मिलीमीटर वेव जैसी व्यापक बैंडविड्थ तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है.

5जी के प्रसार के लिए कम शक्ति वाले सेलुलर रेडियो एक्सेस नोड, स्माॅल सेल का भी उपयोग होता है. उच्च आवृत्तियों के कारण 5जी की रेडियो तरंगों का प्रसार लंबी दूरी तक संभव नहीं हो पाता है, इसलिए स्मॉल सेल का प्रयोग महत्वपूर्ण हो जाता है. ज्यादा गति प्राप्त करने के लिए 5जी नेटवर्क में बहुत सारी ऑपरेटिंग आवृत्तियों का उपयोग किया जाता है, जिसे मिलीमीटर वेव बैंड कहते हैं. अभी अवधारणा चरण में होने के बावजूद 6जी पहले से ही एकीकृत मानव-मशीन और मशीन-टू-मशीन कनेक्टिविटी के सिद्धांतों के साथ लोकप्रिय हो रहा है.

संभावना है कि 6जी नेटवर्क अप्रयुक्त रेडियो फ्रीक्वेंसी में संचालित होगा और अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग कर 5जी नेटवर्क से कई गुना तेज गति से लो-लेटेंसी संचार संभव हो पायेगा. काफी तेज गति होने के कारण यह समय और भौतिक बाधाओं को नगण्य बना कर आवश्यक जानकारी, संसाधनों (आभासी और भौतिक दोनों) और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच को आसान बना देगा.

उदाहरण के लिए, शिक्षा क्षेत्र में गहन अनुभवों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने के लिए उद्योग संबंधित वार्तालाप और आभासी यात्राओं का अनुभव करा पायेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग आदि तकनीकों के प्रयोग से कृषि, स्वास्थ्य सेवा सहित अन्य क्षेत्रों में तेज विकास संभव हो पायेगा. साथ ही, क्वांटम सेंसिंग, संचार, सुरक्षा और कंप्यूटिंग की विशेषताओं और क्षमता को समझने के लिए क्वांटम तकनीकों पर अनुसंधान में भी 6जी से काफी लाभ होगा.

इसके प्रचलन से पृथ्वी के गहरे तल में उपग्रहों और एचएपीएस जैसी नयी तकनीकों की प्रभावशीलता बढ़ेगी, जिसके कारण गैर-स्थलीय वायरलेस नेटवर्क जहाजों और विमानों के अलावा स्थलीय तथा कम सेवा वाले ग्रामीण क्षेत्रों में भी सर्वव्यापी उपलब्धता के साथ एकीकृत हो जायेंगे.

6जी परियोजना के तहत नौ साल के कार्यकाल (2022-2031) के लिए एक राष्ट्रीय मिशन बनाने की तैयारी है, जिसको तीन चरणों में बांटा गया है. चार वर्षों के पहले चरण का मुख्य उद्देश्य अनुदान जुटाना होगा. दूसरा चरण वर्ष 4-7 तक होगा, जबकि तीसरा चरण वर्ष 7-9 तक होगा. मिशन के अंतर्गत सरकार एक शीर्ष परिषद की नियुक्ति करेगी, जिसका मुख्य उद्देश्य 6जी के लिए रोडमैप और कार्य योजनाओं का मूल्यांकन कर उनका अनुमोदन करना है.

देश में उपलब्ध इंजीनियरिंग प्रतिभा, अनुसंधान, विकास और शैक्षणिक प्रतिभा के मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र होने के कारण भारत 6जी में नेतृत्व की भूमिका में पहुंच चुका है. उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था को उपयोगी बनाने के लिए सरकार कानून बनाने और नियामकों में परिवर्तन के अलावा नये विधेयकों पर भी काम कर रही है, जैसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल और नया टेलीकम्युनिकेशन बिल, जो निर्देशात्मक होने के बजाय सिद्धांतों पर आधारित हैं.

अपने दूरसंचार और डिजिटल उद्योगों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ में मजबूत भूमिका की वकालत कर रहा है, जिसमें 6जी और अंतरराष्ट्रीय उपग्रह संचार मानकों के लिए एक नया वैश्विक दृष्टिकोण शामिल है. डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए नियमों का गतिशील और नयी तकनीकों के साथ बदलने में सक्षम होना आवश्यक है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें