महिला नेतृत्व का मुद्दा

महिला नेतृत्व का मुद्दा असल बराबरी तब होगी जब समाज में मन से महिलाओं को बराबर माना जाने लगेगा. मगर मानसिकता बदलने में समय लगता है.

By संपादकीय | August 22, 2023 8:17 AM

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत में महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा प्रतीक हैं. पुरुषों के वर्चस्व वाले समाज में महिलाओं के लिए बराबरी का रास्ता बनाना कितना कठिन होता है उसे वह अच्छी तरह समझती हैं. महिला समानता की बारीकियों को भी वह समझती हैं. इसका एक उदाहरण है दिल्ली में सैनिकों की पत्नियों के कल्याण संगठन के एक कार्यक्रम में की गई उनकी एक टिप्पणी. राष्ट्रपति मुर्मू ने वहां कहा कि एक पुरानी कहावत है कि हर कामयाब पुरुष के पीछे एक महिला होती है.

लेकिन, राष्ट्रपति ने कहा कि अब इसे बदला जाना चाहिए, और कहना चाहिए कि हर कामयाब पुरुष के साथ एक महिला होती है. राष्ट्रपति की यह टिप्पणी लैंगिक समानता के एक महत्वपूर्ण पक्ष की ओर ध्यान दिलाता है. महिला और पुरुष की बराबरी का मुद्दा केवल संख्यात्मक मुद्दा नहीं है जिसमें आंकड़ों के आधार पर महिला और पुरुषों की बराबरी की तुलना की जाती है. असल बराबरी तब होगी जब समाज में मन से महिलाओं को बराबर माना जाने लगेगा. मगर मानसिकता बदलने में समय लगता है.

उसके पहले क्षमता सिद्ध करनी होती है. यह दुखद है, लेकिन जरूरी भी. और महिलाओं ने यह सिद्ध किया है कि वह चूल्हा-चौके से लेकर चंद्रयान तक संंभाल सकती हैं. चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर लैंड करवाने के अहम अभियान का नेतृत्व महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल कर रही हैं. 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संबोधन में इसका जिक्र किया था. प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत आज गर्व से कह सकता है कि उसके पास दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा महिला पायलट हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को खेती के काम में ड्रोन के इस्तेमाल की ट्रेनिंग देने पर विचार चल रहा है. योजना लागू होने पर भारत इस काम में भी दुनिया के लिए मिसाल बन सकता है. प्रधानमंत्री का कहना था कि यदि देश को आगे जाना है तो उसमें महिलाओं के हाथों में भी नेतृत्व होना चाहिए. मगर, नेतृत्व के प्रश्न से पहले भागीदारी का प्रश्न आता है.

भारत में कुल कामगारों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021-22 में 15-59 वर्ष के आयु वर्ग की श्रम शक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 30 प्रतिशत थी. इसकी तुलना में चीन में 65 प्रतिशत महिलाएं काम कर पैसे कमाती हैं. भारत में भी महिलाओं की स्थिति में सुधार हो इसके लिए सबसे पहले महिला साक्षरता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही युवा महिलाओं को गुणवत्ता वाली शिक्षा तथा उनके कौशल विकास की भी व्यवस्था की जानी चाहिए.

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