11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जांच प्रक्रिया सुधरे

साल 2002 के मूल कानून में हवाला एक स्वतंत्र अपराध नहीं था, वह किसी अन्य अपराध या अपराधों से संबंधित था. पिछले साल इसमें संशोधन कर हवाला को अपने-आप में एक अपराध के रूप में चिह्नित किया गया. इस कानून में अनेक सख्त प्रावधान हैं, जैसे अभियुक्त को अपने निर्दोष होने का सबूत देना होता है.

Prevention of Money Laundering Act: धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत 2014 से दायर पांच हजार से अधिक मामलों में से महज 40 में दोषियों को सजा हो सकी है. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को आड़े हाथों लेते हुए हिदायत दी है कि हवाला मामलों में एजेंसी को केवल गवाहों के बयान पर भरोसा करने के बजाय ठोस सबूत जुटाने पर ध्यान देना चाहिए. भ्रष्टाचार और कर चोरी जैसे अवैध तौर-तरीकों से कमाई करना तथा उस कमाई को बाहर भेजना या देश में ही विभिन्न उपायों से सफेद धन में बदल देना गंभीर आर्थिक अपराध हैं.

ऐसे अपराध भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाते हैं तथा नागरिकों को भी मुश्किल में डालते हैं. धन शोधन निवारण अधिनियम में मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) को रोकने और अवैध ढंग से हासिल किये गये धन को जब्त करने का प्रावधान है. साल 2002 के मूल कानून में हवाला एक स्वतंत्र अपराध नहीं था, वह किसी अन्य अपराध या अपराधों से संबंधित था. पिछले साल इसमें संशोधन कर हवाला को अपने-आप में एक अपराध के रूप में चिह्नित किया गया. इस कानून में अनेक सख्त प्रावधान हैं, जैसे अभियुक्त को अपने निर्दोष होने का सबूत देना होता है.

इस कानून के तहत हुई गिरफ्तारी में जमानत मिलना बहुत कठिन होता है. मामलों की सुनवाई शुरू नहीं होने और जांच के लंबे समय तक चलने से गिरफ्तार व्यक्तियों को बहुत दिनों तक जेल में रहना पड़ता है. हाल के समय में ईडी द्वारा ठोस साक्ष्य मुहैया नहीं कराने के कारण सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालयों ने अनेक लोगों को जमानत भी दी है. कई ऐसे मामले भी हैं, जिनमें ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित होने के आरोप लगे हैं. ऐसी कार्रवाइयों में गिरफ्तारियों के अलावा संपत्ति भी जब्त की जाती है.

हमारे देश में काले धन की समस्या बहुत पुरानी है. संस्थागत भ्रष्टाचार, नशीली चीजों की तस्करी, कर चोरी, काले धन को सफेद बनाना आदि अपराधों की संख्या बढ़ती गयी है. ईडी हो, सीबीआइ, पुलिस हो या कोई अन्य जांच एजेंसी, उन्हें ठोस सबूत जुटाने पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए. जब ऐसे मामले सामने आते हैं और गिरफ्तारी होती है और अवैध धन पकड़ा जाता है, तो खूब चर्चा होती है. पर प्रभावी सबूतों के अभाव में आरोपियों को सजा नहीं हो पाती. इस कारण न तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में कामयाबी मिल रही है और न ही अपराधी शिकंजे में आ पा रहे हैं. कई मामलों में निर्दोषों को भी एजेंसियों का जोर-जबर बर्दाश्त करने के साथ-साथ महीनों जेल में गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ता है. जब्त संपत्ति भी बिना उपयोग के ताले में बंद रखी जाती है और दोष सिद्ध न होने पर उन्हें वापस भी करना पड़ता है. इसमें सुधार आवश्यक है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें