प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित ही रेखांकित किया है कि ‘एयरो इंडिया 2023’ नये भारत की क्षमता, वास्तविकता और विकास का परिचायक है. रक्षा साजो-सामान, मुख्य रूप से लड़ाकू जहाज, हेलीकॉप्टर, हथियार आदि की इस प्रदर्शनी में 100 से अधिक देशों की भागीदारी है, 98 देशों के प्रतिनिधिमंडल आये हैं तथा भारत समेत दुनियाभर के 800 से अधिक प्रदर्शक अपने उत्पादों के साथ हिस्सा ले रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यह देश के प्रति विश्व के बढ़ते विश्वास को इंगित करता है. पहली बार इस प्रदर्शनी में इतनी बड़ी संख्या में निर्माता कंपनियां और संस्थान भाग ले रहे हैं. यह अवसर रक्षा क्षेत्र में भारत के विकास को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर भी है. इस क्षेत्र में हम तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. भारत में निर्मित रक्षा उत्पादों के निर्यात में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. उल्लेखनीय है कि हम अपनी रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लंबे समय तक आयात पर निर्भर रहे हैं.
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा, भारत अब केवल दुनिया की रक्षा कंपनियों के लिए बाजार भर नहीं रहा, बल्कि आज वह इस क्षेत्र का एक संभावित भागीदार है. अनिश्चितता के साथ बदलती विश्व व्यवस्था में रक्षा क्षेत्र में विकसित देश भी भरोसेमंद सहयोगी देश की तलाश में हैं. बीते वर्षों में वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ी है, देश में नीतिगत स्तर पर पारदर्शिता एवं स्थिरता आयी है तथा इंफ्रास्ट्रक्चर का व्यापक विस्तार हुआ है.
इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और कंपनियों का आकर्षित होना स्वाभाविक है. भारत ने रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के विस्तार के लिए अनेक सुधार करते हुए निजी और विदेशी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता बनाया है. सरकार ने ऐसी कई रक्षा वस्तुओं की सूची तैयार की है, जिनका आयात नहीं किया जायेगा और उनकी खरीद घरेलू बाजार से ही की जायेगी. इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं.
भारत का रक्षा निर्यात 2017 और 2021 के बीच 1,520 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,435 करोड़ रुपये हो गया तथा 2021-22 में निर्यात का यह आंकड़ा 14 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया. प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण तत्व यह है कि राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तो देश में उत्पादन तो होगा ही, साथ ही गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उपलब्ध कराया जायेगा. ऐसा होने पर आयात पर निर्भरता में कमी आयेगी तथा उत्पादन खर्च में भी कमी आयेगी. रक्षा उत्पादों के मामले में तो इस पहल का सामरिक और रणनीतिक महत्व भी है.