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सौर ऊर्जा में प्रगति

भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट हरित ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है.

स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग को बढ़ाने के लिए किये जा रहे प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम सामने आने लगे हैं. वर्ष 2023 में दुनिया में सौर ऊर्जा के उत्पादन में जापान जैसे विकसित देश को पीछे छोड़ते हुए भारत तीसरे स्थान पर रहा. इस उपलब्धि के महत्व का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 2015 में हमारे देश का स्थान नौवां था. ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक गतिविधियों का अध्ययन करने वाले संस्थान एंबर की ताजा रिपोर्ट में उन 80 देशों के उत्पादन का संज्ञान लिया गया है, जो दुनिया में बिजली की कुल मांग के 92 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इसके अलावा 215 देशों के ऐतिहासिक आंकड़ों को भी अध्ययन में शामिल किया गया है. पिछला वर्ष स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के मामले में पूरे विश्व के लिए संतोषजनक रहा है. सौर ऊर्जा की बात करें, तो इसने वैश्विक ऊर्जा उत्पादन में 5.5 प्रतिशत का योगदान किया है. भारत में यह आंकड़ा 5.8 प्रतिशत रहा है. इस बढ़त से इंगित होता है कि बहुत सारे देश जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने तथा उत्सर्जन घटाने की दिशा में सक्रिय हैं. भारत की इसमें अग्रणी भूमिका है. उत्पादन में जहां भारत बीते साल तीसरे स्थान पर रहा है, वहीं ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा जोड़ने के मामले में चौथे स्थान पर आ गया है. स्थापित क्षमता के लिहाज से हम पांचवें पायदान पर हैं.

इस सूची में भारत से पहले चीन, अमेरिका और ब्राजील हैं. केवल इन चार देशों ने 2023 में दुनिया के कुल सौर ऊर्जा उत्पादन में 75 प्रतिशत का योगदान किया है. भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट हरित ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने के भारत के संकल्प को रेखांकित किया था. इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने अनेक नीतिगत पहल भी किया है. स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 2014 से अब तक उत्पादन में 30 गुना वृद्धि हुई है.

प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस जलवायु सम्मेलन के तुरंत बाद फ्रांस के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस का गठन किया था, जिसमें आज सवा सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं. हाल में सूर्योदय योजना का प्रारंभ किया गया है, जिसमें कम आमदनी के परिवारों को सोलर पैनल लगाने के लिए सहायता दी जायेगी. ऐसी योजनाओं में अतिरिक्त बिजली खरीदने तथा मुफ्त बिजली देने का भी प्रावधान है. सौर ऊर्जा के अलावा पवन ऊर्जा, बायोमास, जल विद्युत संयंत्र, कचरे से ऊर्जा निकालने आदि के संबंध में भी प्रयास हो रहे हैं. हाइड्रोजन ऊर्जा से भविष्य में बड़ी उम्मीदें हैं. इन प्रयासों में तेजी की दरकार है.

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