वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जांच और खुफिया एजेंसियों से कहा है कि वे वैश्विक स्तर पर सक्रिय नशीले पदार्थों के तस्कर गिरोहों की नकेल कसें तथा तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठायें. यूं तो नशीले पदार्थों की तस्करी दशकों से हो रही है, लेकिन हाल के समय में बहुत बड़ी मात्रा में इन्हें देश में लाया जा रहा है. पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 3,463 किलोग्राम हेरोइन और 321 किलोग्राम कोकीन समेत कई तरह के नशीले पदार्थ बरामद किये गये थे.
पिछले ही सप्ताह गुजरात में 143 किलोग्राम नशीली वस्तुएं पकड़ी गयी हैं. अंतरराष्ट्रीय तस्करों का हौसला इतना बढ़ गया है कि वे बड़ी खेप समुद्री जहाजों से भेजने लगे हैं. जब भी ऐसे पदार्थ पकड़े जाते हैं या तस्करी में लिप्त अपराधियों को पकड़ा जाता है, तो मीडिया में कुछ दिनों तक चर्चा होती है तथा अधिकारियों की ओर से मुस्तैदी बरतने और दोषियों को सजा दिलाने की बातें की जाती हैं, लेकिन जल्द ही मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.
वित्त मंत्री ने भी इसका संज्ञान लेते हुए कहा है कि जब भी ऐसे मामले आते हैं, तो लोगों के मन में यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है कि क्या पकड़े गये अपराधियों को जेल भेजा गया है और कौन-से बड़े सरगना ऐसी घटनाओं में लिप्त हैं. उन्होंने यह भी सही ही कहा है कि एजेंसियां छोटे अपराधियों को पकड़ती हैं, जो पर्याप्त नहीं है. जब तक देश के भीतर और बाहर के बड़े नेटवर्कों के सरगनाओं को नहीं पकड़ा जायेगा, तब तक तस्करी की घटनाएं होती रहेंगी.
तस्करी करने वाले सोना-चांदी और हथियारों की अवैध आवाजाही में भी शामिल हैं. कई मामलों में यह साबित हो चुका है कि तस्करी करने वाले गिरोह आतंकवादियों को मदद देने तथा हवाला के जरिये पैसों के लेन-देन में भी शामिल हैं. हमारी एजेंसियों द्वारा प्रयुक्त होने वाली तकनीक की सुरक्षा भी आवश्यक है. हमारे देश पर साइबर हमलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है तथा बहुत सारे मामलों में ऐसे अपराधों के तार भी विदेशी नेटवर्कों से जुड़े हुए हैं.
यदि एजेंसियों के डाटा अपराधियों के हाथ लग जायेंगे, तो उनके विरुद्ध हो रही कार्रवाइयों को धक्का लग सकता है. सीतारमण ने एजेंसियों को सतर्क रहने को कहा है. नशीले पदार्थ का कारोबार न केवल आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह देश के भविष्य को चोटिल करने का उपक्रम भी है. कुछ समय पहले आयी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश में नशे के आदी लोगों की तादाद 10 करोड़ से अधिक है. हाल के समय में यह संख्या बढ़ी है तथा इसकी चपेट में अधिकतर युवा और किशोर आ रहे हैं.