सरकारी बैंकों की सेहत
Public Sector Banks : पिछले तीन साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल 61,964 करोड़ का लाभांश दिया है. अब ये बैंक पूंजी के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय बाजार से पूंजी उठाने में सक्षम हैं.
Public Sector Banks : वित्त मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की मजबूत होती स्थिति के बारे में बताती है, जो सीधे-सीधे हमारी अर्थव्यवस्था की बेहतरी का भी प्रमाण है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) का एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्ति) या फंसा हुआ कर्ज 10 साल के निचले स्तर पर आ गया है. बैंकिंग क्षेत्र के लिए निश्चय ही यह एक उपलब्धि है, क्योंकि लंबे समय से फंसे कर्जों का बोझ बढ़ने के कारण बैंकों के लिए मुश्किलें बढ़ रही थीं. लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज पिछले साढ़े पांच साल में 14.58 प्रतिशत घटकर 3.12 फीसदी रह गये.
एनपीए के मामले में यह एक दशक का निचला स्तर है. रिपोर्ट यह भी कहती है कि 2015 के बाद से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार द्वारा लागू किये गये चार ‘आर’ यानी रिकॉग्निशन (समस्या की पहचान), रिकैपिटलाइजेशन (पूंजी डालना) , रिजॉल्यूशन (समाधान) और रिफॉर्म (सुधार) बहुत कारगर साबित हुए. यानी एनपीए को पारदर्शी रूप से पहचानने, उसके समाधान के तहत फंसे कर्ज की वसूली करने, बैंकों में पूंजी डालने और वित्तीय प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम उठाये गये.
इसका सुखद नतीजा यह है कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत हुआ है और उनकी संपत्ति गुणवत्ता बेहतर हुई है. नतीजतन ये बैंक वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए देश के हर कोने तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं. इससे बैंकिंग प्रणाली मजबूत हुई है और अधिक पारदर्शिता, स्थिरता और समावेशिता को बढ़ावा मिला है. इन प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया है कि समाज के वंचित वर्ग तक महत्वपूर्ण लाभ पहुंचें. रिपोर्ट बताती है कि इन कदमों से सरकारी बैंकों में सीआरआर (पूंजी पर्याप्तता अनुपात) सितंबर, 2024 में बढ़कर 15.43 प्रतिशत हो गया, जो मार्च, 2015 में 11.45 फीसदी था. सरकारी बैंकों ने 2023-24 में 1.41 लाख करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया, जो अब तक का सर्वाधिक है.
इससे पहले 2022-23 में उनका शुद्ध मुनाफा 1.05 लाख करोड़ था. गौरतलब यह भी है कि पिछले तीन साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल 61,964 करोड़ का लाभांश दिया है. अब ये बैंक पूंजी के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय बाजार से पूंजी उठाने में सक्षम हैं. चूंकि किसी देश की अर्थव्यवस्था उसकी बेहतर बैंकिंग प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर रहती है, ऐसे में, देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत का सुधरना हमारी अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है.