11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ट्विटर के भविष्य से जुड़े सवाल

एलन मस्क टेक फाउंडर हैं. ऐसे लोगों की एक छवि यह होती है कि वे किसी भी समस्या का समाधान तकनीक से करने का प्रयास करते हैं.

निखिल पाहवा, संपादक, मीडियानामा

nikhil@medianama.com

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के बोर्ड द्वारा एलन मस्क के ऑफर को स्वीकार करने के साथ मस्क अब इसके स्वामित्व के नजदीक आ गये हैं. कुछ समय पहले उन्होंने 44 अरब डॉलर में इस प्लेटफॉर्म को लेने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इस मामले में आगे क्या होगा, यह कह पाना मुश्किल है. इस लेन-देन को पूरा होने में कई महीने लगेंगे. यह मामला कई दिनों से दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है और इसके केंद्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. इस संबंध में कुछ सवाल उठ रहे हैं, जिन पर विचार किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, पिछले साल भारत सरकार और ट्विटर के बीच चली रस्साकशी को लें.

सरकार की ओर से कुछ ट्विटर हैंडलों को हटाने के लिए कहा गया था, लेकिन ट्विटर ने इस संबंध में यह कह कर कोई कार्रवाई करने से मना कर दिया था कि यह आदेश अवैध है क्योंकि यह भारत में स्थापित मौलिक अधिकारों के विरुद्ध थे. एलन मस्क एक फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट हैं यानी वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी तरह की रोक-टोक या पाबंदी के विरुद्ध हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि किसी देश के जो कानून हैं, उनका पालन किया जायेगा. अब सवाल यह है कि अगर आखिरकार एलन मस्क ट्विटर को खरीद लेंगे, तो इस तरह के मामलों में उनका या ट्विटर का क्या नजरिया होगा, जब सरकारें आदेश देंगी, पर वे आदेश वैध नहीं होंगे.

इसी तरह का एक उदाहरण नाइजीरिया का है. वहां की सरकार के बारे में ट्विटर पर कुछ ऐसा कहा जा रहा था, जो वहां की सरकार को पसंद नहीं था. ट्विटर ने कार्रवाई करने की नाइजीरियाई सरकार की मांग को नहीं माना था. इसकी प्रतिक्रिया में सरकार ने कुछ समय के लिए देश में ट्विटर को ही प्रतिबंधित कर दिया था. अगर भविष्य में ऐसी स्थितियां पैदा होती हैं, तो क्या एलन मस्क इनके विरुद्ध लड़ेंगे या वे ट्विटर को ही उस देश से हटा देंगे? कहा जाता है कि ट्विटर एक टाउन स्क्वेयर है यानी एक चौराहा है, जहां एक लोकतांत्रिक व्यवस्था होती है कि कोई भी व्यक्ति अपनी बात खुलकर कह सकता है.

पाठकों को याद होगा कि कुछ साल पहले कुख्यात आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट खुलेआम अपना अकाउंट चला रहा था और अपना दुष्प्रचार कर रहा था. एलन मस्क के विचारों को देखते हुए यह सवाल भी स्वाभाविक है कि क्या फिर से इस्लामिक स्टेट जैसे गुटों के ट्विटर अकाउंट वापस आ जायेंगे. इस तरह के अकाउंट को अमेरिका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता माना जा सकता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं माना जायेगा. आज सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि ट्विटर कैसे बदलेगा और वे बदलाव क्या होंगे.

एलन मस्क टेक फाउंडर हैं और उन्होंने आधुनिक तकनीक पर आधारित अनेक कंपनियां स्थापित की हैं. ऐसे लोगों की एक छवि यह होती है कि वे किसी भी समस्या का समाधान तकनीक से करने का प्रयास करते हैं. इस संबंध में बॉट्स (अनाम/अज्ञात यूजर) की समस्या को देखा जा सकता है, जिसे समाप्त करने की घोषणा एलन मस्क ने की है. बॉट्स को नियंत्रित करना एक तकनीकी समस्या है. यह देखना होगा कि ट्विटर पर जो हेट स्पीच यानी नफरत पैदा करनेवाली और भड़कानेवाली बातें की जाती हैं, उन्हें कैसे नियंत्रित किया जाता है.

यह चुनौती भारत में बहुत गंभीर है. यहां तो राजनीतिक पार्टियों ने ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया के ठीहों पर नफरत बढ़ाने के लिए कॉल सेंटर तक स्थापित किये हुए हैं. ऐसी चुनौतियों का समाधान तकनीकी रूप से कैसे हो सकता है, यह सवाल भी है क्योंकि यह एक समाजशास्त्रीय समस्या है. एलन मस्क की यह बात भी विचारणीय है कि वे ट्विटर के अल्गोरिद्म को ओपेन यानी सार्वजनिक कर देंगे. ऐसा होने पर कोई भी यह देख सकता है कि ट्विटर किसी कंटेंट को मॉडरेट करता है या हटाता है या किसी कंटेंट को बढ़ावा देता है या उसे दबा देता है या कोई अकाउंट बंद कर देता है, तो यह सब किन आधारों पर, किस प्रक्रिया के तहत किया गया है.

अगर अल्गोरिद्म का खुलासा ऐसे किया जाता है, तो इसका गलत ढंग से भी फायदा उठाने की कोशिश की जा सकती है. जो लोग नफरत फैलाते हैं, भड़काते हैं या झूठ को बढ़ावा देते हैं, वे अल्गोरिद्म को समझ कर कैसा व्यवहार करेंगे, यह भी देखा जायेगा. ऐसे व्यवहारों को रोकने के लिए ट्विटर को भी कुछ उपाय करने होंगे. वे उपाय क्या हो सकते हैं, अभी नहीं कहा जा सकता है. अगर आप यह समझ जाते हैं कि ट्विटर काम कैसे करता है, तो आप अपना काम निकालने के लिए उस समझ का इस्तेमाल कर सकते हैं. यदि यह जानकारी हो जायेगी कि खास तरह से लिखे हुए कंटेंट को ट्विटर आगे बढ़ाता है, तो लोग उसी तरह से लिखने लगेंगे. एलन मस्क इन समस्याओं के समाधान की बात तो कर रहे हैं, पर वे यह कैसे करेंगे, यह तो समय ही बतायेगा.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ट्विटर व एलन मस्क की डील एक अहम खबर है, लेकिन ट्विटर या व्यापक सोशल मीडिया इकोसिस्टम पर इसका कोई तात्कालिक असर नहीं पड़ेगा. जो भी फर्क पड़ना होगा, वह एक कंपनी के बतौर ट्विटर पर पड़ेगा. अभी तक वह एक पब्लिक कंपनी थी और उसका सार्वजनिक उत्तरदायित्व था, पर इस डील के पूरा होने के बाद वह एक प्राइवेट कंपनी बन जायेगी. उल्लेखनीय है कि ट्विटर ने बीते कुछ सालों में हेट स्पीच और फेक न्यूज को रोकने के लिए बहुत काम किया है, जिसकी वजह से उसका विज्ञापन बढ़ा है. विज्ञापनदाता वैसे मंचों से दूर रहना चाहते हैं, जहां हेट स्पीच का बोलबाला होता है. वे अपने उत्पाद को ऐसी नकारात्मकता से नहीं जोड़ना चाहते हैं.

इस डील को पूरा होने में अगर छह माह लगते हैं, तो उन कर्मचारियों की सोच क्या होगी, जिन्होंने ट्विटर को बेहतर बनाने में अपना लंबा समय दिया है, यह भी सोचा जाना चाहिए. कंपनी का स्वरूप और नियंत्रण बदलने पर कुछ लोगों को हटाना और कुछ लोगों को लाना सामान्य चलन है. ऐसे में ट्विटर के लोगों में रोजगार को लेकर चिंता हो सकती है. यह अनिश्चितता किसी भी कंपनी के लिए अच्छी नहीं होती. याद करें, करीब डेढ़ दशक पहले याहू एक बड़ी कंपनी हुआ करती थी. उसे माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदने की पेशकश की थी. आखिरकार यह डील नहीं हुई और डील के दौरान याहू गिरता चला गया. अगर एलन मस्क भी डील पूरी नहीं कर पाते हैं, तो ट्विटर का क्या होगा?

(बातचीत पर आधारित)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें