15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ऐतिहासिक परेड

नये नामकरण के बाद कर्तव्य पथ पर होने वाली पहली परेड में जो 21 तोपों की सलामी होगी, वे 105 एमएम इंडियन फील्ड तोपें हैं. इनमें इस्तेमाल होने वाले गोला-बारूद भी स्वदेशी हैं.

इस वर्ष भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का प्रारंभ 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के अवसर पर पराक्रम दिवस मनाने के साथ हुआ है. उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान एवं निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया. गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ (पूर्व नाम राजपथ) पर राष्ट्र की विविधता को प्रदर्शित करने वाली झांकियों के साथ-साथ सशस्त्र सेनाओं, अर्धसैनिक बलों तथा पुलिस बल की विभिन्न टुकड़ियों की परेड मुख्य आकर्षण होती है.

इस वर्ष इस परेड की विशेषता यह है कि इसमें प्रदर्शित होने वाले अस्त्र-शस्त्र आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में ही निर्मित किये गये हैं. नये नामकरण के बाद कर्तव्य पथ पर होने वाली पहली परेड में जो 21 तोपों की सलामी होगी, वे 105 एमएम इंडियन फील्ड तोपें हैं. इनमें इस्तेमाल होने वाले गोला-बारूद भी स्वदेशी हैं.

इस अवसर पर आकाश एयर डिफेंस मिसाइलें और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें भी प्रदर्शित हो रही है. इनके अलावा के-9 वज्र हावित्जर, एमबीटी अर्जुन, नाग एंटी टैंक मिसाइल, क्विक रिएक्शन लड़ाकू वाहन आदि भी होंगे. ऐतिहासिक रूप से भारत अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर रहा है. इस कारण एक तो हमें विदेशी मुद्रा में अधिक दाम देना पड़ता है तथा रक्षा तकनीक के मामले में हमें आम तौर पर देर से अत्याधुनिक हथियार मिलते हैं.

हालांकि हमें अनेक बड़े देशों का सहयोग मिलता रहा है, पर रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने की आकांक्षा हमेशा रही है. बीते कुछ वर्षों से इस दिशा में तेजी से काम हुआ है. सरकार ने कई ऐसी वस्तुओं की सूची तैयार की है, जिन्हें बाहर से आयात करने पर रोक लगा दी गयी है तथा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों को उन्हें देश में ही बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के बाद कई क्षेत्रों में देश में ही उत्पादन करने की प्रक्रिया को गति मिली है. सरकार ने इस क्षेत्र में विदेशी निवेश और सहयोग को भी बढ़ाने पर ध्यान दिया है क्योंकि आत्मनिर्भरता का एक लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं का निर्यात बढ़ाना भी है.

उल्लेखनीय है कि 2017 और 2021 के बीच भारत का रक्षा निर्यात 1,520 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,435 करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 14 हजार करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया. रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण से आयात पर निर्भरता भी घटेगी और उनकी लागत भी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें