उपभोक्ता ऋण पर रिजर्व बैंक की सक्रियता

हालांकि उपभोक्ता ऋण खंड अभी तक कुल ऋण वितरण में प्रमुख खंड नहीं है, लेकिन आने वाले वर्षों में यह ऐसा बन सकता है. इसकी असुरक्षित प्रकृति हमेशा चुकौती में अनिश्चितता की ओर ले जाती है.

By Abhijeet Mukhopadhyay | November 28, 2023 8:01 AM
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हाल में भारतीय रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (एनबीएफसी) की उपभोक्ता ऋण जोखिम की मात्रा में 25 फीसदी की वृद्धि की है. बैंकों और एनबीएफसी के उपभोक्ता ऋण पर 100 प्रतिशत का जोखिम भार होता है, जिसे अब संशोधित कर 125 प्रतिशत कर दिया गया है. इसने ऋणदाताओं को विभिन्न खुदरा ऋणों पर सीमा निर्धारित करने का भी निर्देश दिया है, जो ऐसे अग्रिम भुगतानों में निर्बाध वृद्धि पर केंद्रीय बैंक की सतर्कता को इंगित करता है. ऋण या किसी अन्य वित्तीय परिसंपत्ति के जोखिम भार क्या हैं? जोखिम वाली परिसंपत्तियों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी बैंक को अपने जोखिम के हिसाब से न्यूनतम पूंजी रखनी चाहिए. यह ऋण न चुकाने के जोखिम को कम करने और जमाकर्ताओं की रक्षा के लिए किया जाता है. बैंक के पास जितना अधिक जोखिम होता है, उसे उतनी ही अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है. पूंजी की आवश्यकता बैंक संपत्ति के जोखिम मूल्यांकन पर आधारित है. सरल शब्दों में, यदि पहले 100 करोड़ रुपये के उपभोक्ता ऋण के लिए बैंक या एनबीएफसी को 100 करोड़ रुपये की पूंजी रखने की आवश्यकता होती थी, तो अब उन्हें अपनी बैलेंस शीट में 125 करोड़ रुपये सुरक्षा के रूप में रखने होंगे.

जोखिम भार जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक ब्याज दर ऋण लेने वाले से वसूली जाती है. जोखिम भार में वृद्धि से उच्च ब्याज दर के साथ-साथ उधार लेने की लागत बढ़ जाती है. जब ऋण अधिक महंगा हो जाता है, तो इससे ऋण की मांग प्रभावित होती है. यह मांग पक्ष की एक समस्या है. इससे बैंकों और एनबीएफसी के मुनाफे में भी नुकसान हो सकता है. चूंकि बैंक या एनबीएफसी को अधिक उपभोक्ता ऋण प्रदान करने के लिए अधिक पूंजी या धन अलग रखना पड़ता है, तो बैंकिंग और एनबीएफसी तंत्र में कुल उपलब्ध ऋण राशि स्वाभाविक रूप से कम हो जायेगी. बैंकों और एनबीएफसी के लिए कम उपलब्ध राशि का मतलब है कम लाभ.

नयी जोखिम भार सीमाएं वर्तमान स्तर से 0.35 से एक प्रतिशत अधिक पूंजी की खपत कर सकती हैं, और यह अहम रकम है. तो फिर रिजर्व बैंक ने यह कदम क्यों उठाया है? चालू वित्त वर्ष में पिछले कुछ महीनों में बैंक क्रेडिट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. यह रुझान अगस्त में भी जारी रहा, जहां सकल बैंक क्रेडिट ऑफटेक में सालाना आधार पर 19.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई. सभी कारकों में, गैर-बैंकिंग वित्तीय निगम बैंक क्रेडिट के हिसाब में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरे. व्यक्तिगत ऋण और सेवा क्षेत्र बैंक क्रेडिट वृद्धि में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में सामने आये. अगस्त 2023 में सेवा क्षेत्र में सालाना आधार पर 24.7 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज की गयी. बैंकिंग प्रणाली में असुरक्षित ऋणों की हिस्सेदारी बढ़कर 10 फीसदी हो गयी है. इन ऋणों में उपभोक्ता वस्तुओं के ऋण शामिल हैं, जो मुख्य रूप से अपने उपभोग या आय सृजन न करने वाली संपत्तियों के लिए उधार लिये जाते हैं.

चूंकि इन ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी करना संभव नहीं है, इसलिए अधिकतर मामलों में उधारकर्ता की वास्तविक चुकौती क्षमता का सही पता नहीं लग सकता है. दूसरी ओर, बाजार हिस्सेदारी में पिछले पांच वर्षों में एनबीएफसी द्वारा उद्योग को दिये गये ऋणों में गिरावट आयी है. यह हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2019 में 40.6 प्रतिशत थी, जो अब 36.8 प्रतिशत हो गयी है. व्यक्तिगत ऋण का हिस्सा 31.2, सेवाओं का हिस्सा 14.2 और कृषि का हिस्सा 1.7 प्रतिशत है. वर्तमान में उपभोक्ता ऋण ऋण वृद्धि को बढ़ावा दे रहा है. ये काफी हद तक असुरक्षित ऋण हैं. हालांकि यह खंड अभी तक कुल ऋण वितरण में प्रमुख खंड नहीं है, लेकिन आने वाले वर्षों में यह ऐसा बन सकता है. इसकी असुरक्षित प्रकृति हमेशा चुकौती में अनिश्चितता की ओर ले जाती है. इसलिए, यदि भविष्य में इसमें बड़ी चूक होती है, तो बैंकिंग और एनबीएफसी दोनों क्षेत्र मुश्किल में पड़ जायेंगे. उस आशंका को देखते हुए रिजर्व बैंक नये मानदंडों के साथ एक नियामक के रूप में आगे आया है.

भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था, फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल ने रिजर्व बैंक से बैंक ऋणों पर संशोधित जोखिम भारों का पुनर्मूल्यांकन करने का अनुरोध किया है. एक पत्र में काउंसिल ने लिखा है, ‘अधिकतर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की ऋण पुस्तिका में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ऋण, वाहन ऋण और अन्य श्रेणियों के ऋण शामिल हैं, जिन्हें परिपत्र के दायरे से बाहर रखा गया है.’ समग्र आर्थिक विकास के लिए एक स्वस्थ ऋण वृद्धि और ऋण आपूर्ति का सुचारु प्रवाह आवश्यक शर्तें हैं, लेकिन उपभोक्ता ऋण जैसे असुरक्षित ऋण खंड में बड़े चूक की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है. यह एनबीएफसी क्षेत्र से शुरू हो सकता है, लेकिन इस तथ्य को देखते हुए कि एनबीएफसी अपने धन प्रमुख रूप से बैंकों से प्राप्त करते हैं, तो ऐसा कोई भी संकट कुछ ही समय में बैंकिंग क्षेत्र तक पहुंच जायेगा. उस संभावना को रोकने के लिए पहले से कुछ सुरक्षा उपाय करना बुद्धिमानी हो सकती है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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