Loading election data...

दवा निर्माताओं की जिम्मेदारी

भारत में लगभग 10,500 दवा निर्माता कंपनियां हैं, और इनमें से मात्र 2,000 कंपनियां विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को पूरा करती हैं.

By संपादकीय | August 4, 2023 8:14 AM

केंद्र सरकार ने दवा निर्माता कंपनियों के लिए अपनी गुणवत्ता में सुधार के लिए एक निश्चित समयसीमा तय कर दी है. छोटी और मध्यम दर्जे की दवा निर्माता कंपनियों को एक साल, और बड़ी कंपनियों को छह महीने के भीतर गुणवत्ता के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को अपनाना होगा. दरअसल, पिछले कुछ समय से दूसरे देशों में निर्यात की गयी भारतीय दवाओं के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही हैं. भारत में बनी दवाओं से विदेशों में लोगों की मौत तक की घटनाएं हुई हैं.

इसी साल जून में श्रीलंका के दो मरीजों की भारत में बनी एनेस्थेटिक दवाओं के इस्तेमाल से मौत हो गयी थी. श्रीलंका में ही मई में, भारत में बने आई ड्रॉप के कारण लगभग 30 मरीजों की आंखें संक्रमित हो गयीं और 10 को दिखना बंद हो गया. इससे कुछ महीने पहले अमेरिका से भी भारतीय आई ड्रॉप के कारण मरीजों के संक्रमित होने, अंधेपन और मौत होने की खबरें आयी थीं. तब अमेरिका में जांच के दौरान इन दवाओं में एक बैक्टीरिया पाया गया जिस पर दवा का असर नहीं हो रहा था. भारतीय दवाओं की सुरक्षा को लेकर पहली बार गंभीर चिंता पिछले साल प्रकट की गयी थी.

तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अफ्रीकी देश गांबिया में कम-से-कम 70 बच्चों की मौत का संबंध भारत में बने कफ सिरप से बताया था, जिससे उनकी किडनी को नुकसान पहुंचा था. जाहिर है, इन घटनाओं से ना केवल भारतीय दवाओं बल्कि पूरे भारत की छवि को आघात लगा है. इसी आलोक में जरूरी कदम उठाये जाने की मांग होती रही है. समस्या की गंभीरता का अहसास इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में लगभग 10,500 दवा निर्माता कंपनियां हैं, और इनमें से मात्र 2,000 कंपनियां विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को पूरा करती हैं.

मानकों का पालन नहीं करने वाली ज्यादातर कंपनियां छोटी और मध्यम स्तर की हैं. भारत में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत शेड्यूल एम नामक प्रावधान शामिल किया गया था, जिसमें दवा निर्माण के दौरान गुणवत्ता रखने की बात है. वर्ष 2018 में इसमें संशोधन हुआ. लेकिन, यह प्रावधान अनिवार्य नहीं है, यानी सुझाया गया है.

केंद्र सरकार ने अब ऐसे संकेत दिये हैं कि यदि दवा कंपनियों ने स्वयं पहल नहीं की, तो इन नियमों को अनिवार्य कर दिया जायेगा. दवाएं चाहे विदेशों में इस्तेमाल के लिए हों या भारत में, उनकी सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित होनी चाहिए. भारत दुनिया में जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है. एक बड़ा दवा उत्पादक देश होने के नाते भारत की दवा कंपनियों की जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी होनी चाहिए.

Next Article

Exit mobile version