सड़क दुर्घटना बीमा
सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को डेढ़ लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार मुहैया कराने की योजना बनायी जा रही है.
भारत में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं और मौतें होती हैं. हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर ऐसी दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में कुछ कमी आयी है, पर भारत में इसमें बढ़ोतरी हो रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दुर्घटना के एक घंटे के भीतर पीड़ित को चिकित्सा उपलब्ध हो जाए, तो जान बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है. केंद्रीय सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय इस संदर्भ में एक बड़ी पहल करते हुए पीड़ितों को डेढ़ लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार मुहैया कराने की योजना बना रहा है. इस योजना के तहत दुर्घटना के दिन से सात दिनों तक पीड़ितों का उपचार उन अस्पतालों में हो सकेगा, जो आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत हैं. इसमें उन पीड़ितों के इलाज का भी प्रावधान है, जिनके पास पहले से कोई बीमा नहीं है या जो बिना बीमा वाले वाहन की चपेट में आये हैं.
छत्तीसगढ़ में मार्च से इस योजना का परीक्षण चल रहा है. उसके नतीजों के आधार पर योजना की विस्तृत रूप-रेखा बनायी जायेगी. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण परीक्षण कार्यक्रम की मुख्य एजेंसी है. इसमें पुलिस, अस्पताल और राज्य स्तरीय संस्थाओं की भागीदारी भी है. इस कार्यक्रम में अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के गंभीर दुर्घटना पैकेज से भुगतान किया जा रहा है, जिसे बाद में वाहन दुर्घटना कोष से चुकाया जायेगा. सड़क दुर्घटना बीमा योजना जनवरी 2022 में बनी एक योजना का विस्तार है, जिसके तहत वाहन दुर्घटना कोष को स्थापित किया गया था. साल 1989 में बने सोलाटियम फंड के 76 करोड़ रुपये से नये कोष को शुरू किया गया था. उस योजना में केवल ऐसे पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है, जो ऐसे वाहनों का शिकार हुए हों, जो दुर्घटना के बाद भाग गये हों.
रिपोर्टों के अनुसार, मंत्रालय ने बीमा कंपनियों से थर्ड पार्टी प्रीमियम में से 2.97 प्रतिशत का योगदान करने का निवेदन किया है. कोष के साथ-साथ वाहनों के बीमा और दोषी चालकों के अर्थ दंड से भी इस योजना के लिए धन जुटाया जायेगा. संभवतः इसके लिए कुछ बजट आवंटन भी किया जायेगा. दुर्घटना के बाद वाहन चालकों के भाग जाने तथा कानूनी पचड़े से बचने की सोच के कारण कई पीड़ित जल्दी अस्पताल नहीं पहुंच पाते. दोषी चालकों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है. केंद्र और राज्य सरकारों ने ऐसे लोगों को पुरस्कृत करने की व्यवस्था भी की है, जो पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाते हैं. राष्ट्रीय राजमार्गों पर तो वाहनों की व्यवस्था होती है, पर ऐसा अन्य सड़कों के साथ नहीं है. यह भी पाया गया है कि अनेक टोल सड़कों पर निगरानी और एंबुलेंस की समुचित व्यवस्था नहीं है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.