सड़क दुर्घटनाएं और भारतीय समाज

ट्रैफिक नियमों की अनदेखी जैसे हमारे समाज में रच बस गयी है. नाबालिगों का वाहन चलाना और उल्टी दिशा में वाहन चलाना आम बात है. लगता है कि हम सब ने इसे स्वीकार कर लिया है. रात में तो ट्रैफिक नियमों को कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है. यदि सड़क हादसों से बचना है, तो हम सबको यातायात नियमों का पालन करना होगा.

By Ashutosh Chaturvedi | September 5, 2022 7:53 AM

हाल में सड़क हादसों से जुड़ी दो अहम खबरों पर विमर्श की जरूरत है. पहली खबर, सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल सड़क हादसे में डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी. दूसरी, केरल हाइकोर्ट के एक फैसले में कहा गया है कि अगर गड्ढों की वजह से कोई सड़क दुर्घटना होती है, तो उसके लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार होंगे. ट्रैफिक नियमों की अनदेखी जैसे हमारे समाज में रच बस गयी है.

नाबालिगों का वाहन चलाना और उल्टी दिशा में वाहन चलाना आम बात है. लगता है कि हम सब ने इसे स्वीकार कर लिया है. रात में तो ट्रैफिक नियमों का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट चौंकाने वाली है. इसके अनुसार, पिछले साल भारत में सड़क हादसों में कुल 1,55,622 लोगों की जान गयी थी. रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं की दो बड़ी वजहें बतायी गयी हैं- तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाना.

तेज रफ्तार के कारण 2021 में 87,050 और लापरवाही से वाहन चलाने के कारण 42,853 लोगों की जान चली गयी. शराब पीकर वाहन चलाना देश में जन्मसिद्ध अधिकार जैसा माना जाने लगा है. पिछले साल हुए कुल सड़क हादसों में से 1.9 प्रतिशत का कारण शराब के नशे में वाहन चलाना रहा. इसकी वजह से 2,935 लोगों की जानें गयीं.

यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि दुनियाभर में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं. उसके बाद चीन और अमेरिका का स्थान है. जान गंवाने वालों में सबसे अधिक संख्या युवाओं की होती है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी युवा का किसी हादसे में चले जाना परिवार पर कितना भारी पड़ता होगा. भीड़ भरी सड़क पर भी तेजी से वाहन चलाते लोग मिल जायेंगे. समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकारें समाचार माध्यमों के जरिये जागरूकता फैलाती रही हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है. सीट बेल्ट लगाने और चालक के साथ बैठे व्यक्ति के लिए एक एयर बैग की अनिवार्यता जैसे कई बदलाव केंद्र सरकार ने किये हैं. यातायात नियमों को भी कड़ा किया गया है, लेकिन हर जगह लोग यातायात नियमों की अनदेखी करते नजर आयेंगे. यही लापरवाही सड़क हादसों को जन्म देती है.

प्रभात खबर के बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल संस्करणों में ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जिसमें किसी बड़े सड़क हादसे की खबर न छपी हो. देश में एक बड़ी समस्या घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने की है. लोग पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए घायलों की अनदेखी कर देते हैं. नतीजतन घायलों व्यक्तियों की मौत हो जाती है. कई राज्य सरकारों ने घायलों की सहायता के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की योजनाएं भी शुरू की हैं.

झारखंड में भी ऐसी योजना है. रिपोर्ट में कहा गया कि सबसे अधिक सड़क हादसे (59.7 प्रतिशत) तेज गति से वाहन चलाने की वजह से हुए. इससे 87,050 लोगों की जान गयी और 2,28,274 लोग घायल हुए. खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग की वजह से पिछले साल 1,03,629 हादसे हुए, जिनमें 42,853 लोगों की जान गयी. देश में 2.8 प्रतिशत सड़क हादसे खराब मौसम की वजह से हुए.

अब दूसरी खबर पर आते हैं. केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि गड्ढों की वजह से होने वाली हर सड़क दुर्घटना के लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार होंगे. कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि इसे रोकने के लिए डीएम को आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चेयरमैन को हर सड़क का दौरा करने का निर्देश देना चाहिए. दरअसल केरल के कोच्चि में नेशनल हाइवे पर गड्ढे के कारण एक स्कूटर चालक गिरा और एक ट्रक ने उसे कुचल दिया.

जस्टिस देवन रामचंद्रन ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे हादसों को रोकने में भारत सरकार और खासतौर पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की विशेष भूमिका है. कोई राष्ट्रीय राजमार्ग पर हादसे में घायल होता है या मारा जाता है, तो इसे सांविधानिक अत्याचार माना जाना चाहिए. कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार को अपना रुख बताने का भी निर्देश दिया.

न्यायाधीश ने कहा कि ज्यादातर मामलों में खराब सड़कों की मुख्य वजह भ्रष्टाचार या लापरवाही है. अगर कोई भ्रष्ट है और उसकी कीमत किसी और को जान देकर चुकानी पड़े, यह स्वीकार्य नहीं है. आपने गौर किया हो कि राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य सड़कों पर जहां-तहां किनारे खड़े वाहन भी अक्सर हादसों को जन्म देते हैं. दूर से यह नहीं पता चल पाता है कि वाहन चल रहा है कि रुका है.

सर्दी के मौसम में जब दिखाई देना कम हो जाता है, तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है. जब तक आगे वाले वाहन के करीब पीछे की गाड़ी पहुंचती है, तब तक देर हो जाती है और लोग बेवजह मारे जाते हैं. पूरे देश में ऐसे सड़क हादसे होते हैं और हम अब तक इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाये हैं.

इसके अलावा तेज गति से वाहन चलाना, सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना, वाहन चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर वाहन चलाना, मोटर साइकिल चालक और सवारी का हेलमेट नहीं लगाना आदि कई बार हादसों के कारण बनते हैं. एक अन्य वजह है- गलत दिशा में वाहन चलाना. यह समस्या आम है. कई बार सड़क हादसों में वाहन सवार लोगों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो जाती है.

केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी इस विषय में बेहद गंभीर हैं और उनका मंत्रालय अनेक उपाय अपना रहा है. उनका लक्ष्य 2025 तक सड़क दुर्घटना और इसके कारण होने वाली मौतों में लगभग 50 प्रतिशत तक की कमी करना है. तमिलनाडु ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है. वहां सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या में कमी आयी है.

दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने, घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए 13 मिनट के भीतर घटनास्थल पर एंबुलेंस पहुंचाने, दुर्घटना की जगह की समुचित मरम्मत करने और विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के मामले में तमिलनाडु मॉडल देशभर में रोल मॉडल बन सकता है.

हमें यह जान लेना जरूरी है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण एक तो बेवजह जानें जाती है, दूसरे इसका देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है. सड़क हादसे केवल कानून व्यवस्था का मामला भर नहीं हैं, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी हैं. यदि सड़क हादसों से बचना है, तो हम सभी को यातायात नियमों का पालन करना होगा.

Next Article

Exit mobile version