20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्कूली शिक्षा की स्थिति

महामारी की वजह से बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया था. उनकी पढ़ाई ऑनलाइन तरीके से हो रही थी. स्कूलों के बंद होने से लाखों की संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं.

भारत में स्कूली शिक्षा की जमीनी स्थिति को दर्शाने वाली असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) की वार्षिक रिपोर्ट चार वर्ष बाद फिर से सामने आयी है. यह अध्ययन प्रथम फाउंडेशन की ओर से किया जाता है. असर के सर्वेक्षण में यह पता किया जाता है कि बच्चे स्कूल में कितना और क्या सीख रहे हैं, उनमें बुनियादी रूप से पढ़ने और अंकगणीतीय क्षमता कितनी विकसित हुई है.

यह सर्वेक्षण देश के 616 जिलों के 19060 गांवों में किया गया. इस सर्वेक्षण में 3,74,544 घरों के तीन से 16 वर्ष की उम्र के 6,99,597 बच्चों को शामिल किया गया. वर्ष 2018 में पिछली रिपोर्ट आयी थी. कोरोना महामारी की वजह से बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया था. उनकी पढ़ाई ऑनलाइन तरीके से हो रही थी. स्कूलों के बंद होने से लाखों की संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं. ऑनलाइन शिक्षा पर निर्भरता ने बड़ी संख्या में बच्चों को पढ़ाई से महरूम कर दिया, क्योंकि न ही स्कूलों और न बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने के लिए संसाधन मौजूद थे.

कम आमदनी वाले परिवार के बच्चों के पास स्मार्टफोन खरीदने और इंटरनेट की सेवा लेने के लिए पैसे नहीं थे. असर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच कुछ राज्यों को छोड़ कर शेष सभी में ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. यह बताता है कि बच्चों के अभिभावक स्कूल की पढ़ाई से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. यही असंतुष्टि उन्हें अपने बच्चों को ट्यूशन क्लासेस लेने के लिए बाध्य करती है. स्कूल प्रबंधन को शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे.

स्कल में प्रतिभाशाली शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी ताकि बच्चों में आसानी से धाराप्रवाह पढ़ने और अंकगणितीय क्षमता का विकास हो सके. पांचवीं और आठवीं के छात्रों के बीच किये गये सर्वेक्षण से यह बात सामने आयी है कि पढ़ने के मामले में लड़कियों का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा है, लेकिन गणित में लड़के बेहतर हैं. नयी शिक्षा नीति के अनुसार तीसरी कक्षा तक बच्चों को पढ़ना और जोड़-घटाव-गुणा-भाग आदि गणितीय कौशल सीख जाना चाहिए.

इस कसौटी पर कसें तो स्कूली शिक्षा की स्थिति में और सुधार की जरूरत है. संतोष की बात है कि स्कूलों में बच्चों के नामांकन में बहुत ज्यादा कमी नहीं आयी है. असर की ताजा रिपोर्ट यह समझने में कारगर होगी कि बच्चों की स्कूली शिक्षा पर कोराेना महामारी का कितना असर पड़ा है. इस रिपोर्ट से स्कूली शिक्षा को सुधारने के लिए एक स्पष्ट और दूरगामी रणनीति बनाने में मदद मिल सकेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें