कोरोना संकट से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण राष्ट्र गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है. इसी दौरान हमें तूफान, टिड्डी दल के हमलों, चक्रवातों जैसी आपदाओं से भी जूझना पड़ा है. संक्रमण को नियंत्रण करने की कोशिशों के साथ अर्थव्यवस्था में आयी बड़ी गिरावट की भरपाई कर उसे पटरी पर लाने की कवायद चल रही है. उद्योग जगत को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की क्षमता और हौसले को रेखांकित करते हुए कहा है कि यह कठिन समय है, लेकिन देश ने ऐसे हालात पहले भी देखा है और उनसे कामयाबी से उबरे हैं.
सरकार ने बड़े आर्थिक पैकेज के साथ अनेक नीतिगत फैसलों से मौजूदा चुनौतियों से निपटने का मजबूत आधार उपलब्ध कराया है, लेकिन इस प्रयास में हमेशा की तरह उद्योग जगत की बड़ी भूमिका निभानी है. किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती-किसानी को फायदेमंद बनाने के लिए जो हालिया कदम उठाये गये हैं, वे आजादी से लेकर अब तक की सरकारी पहलों की तुलना में कहीं बहुत अधिक दूरदर्शी सोच और दीर्घकालिक प्रभाव की संभावना से भरे हैं.
इसी तरह से छोटे और मझोले उद्यमों को पूंजी मुहैया कराने तथा उनके लिए कारोबारी सुगमता का माहौल बनाने के लिए की जा रही सरकारी कोशिशें अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी के लिए बड़ा आधार तैयार कर रही हैं. लेकिन, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, ऐसे संकट के समय सबसे जरूरी है कि हम मानसिक रूप से मजबूत रहें तथा समाधान के लिए प्रतिबद्धता से सक्रिय हों.
जिस स्तर पर कोरोना महामारी ने हमारे देश के साथ पूरी दुनिया की आर्थिक व्यवस्था तथा व्यापारिक गतिविधियों पर प्रभाव डाला है, उससे एक झटके में निकल पाना संभव नहीं है. हमें किसी चमत्कार की आशा नहीं रखनी चाहिए, लेकिन यदि हम मुस्तैदी से अपने संकल्पों को पूरा करने में जुटे रहें तथा व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय स्तर पर निराशा व नकारात्मकता से अपने को ग्रस्त न होने दें, तो फिर कोई बाधा हमें फिर से विकास की राह पर अग्रसर होने से नहीं रोक सकती है.
प्रधानमंत्री की इस बात को हमें गांठ बांध लेनी चाहिए कि जो जल्दी हार मान कर बैठ जाते हैं, उन्हें जीवन में मुश्किलों से छुटकारा नहीं मिलता है, परंतु जो लोग प्रेरणा व उत्साह से चुनौतियों से संघर्ष करते रहते हैं, वे दूसरों के लिए भी समाधान का रास्ता बनाते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति और राष्ट्र के तौर पर सफलता के साथ समस्याओं के भंवर से निकलते हैं.
हम एक युवा देश हैं और उत्साह से ऊर्जावान हैं तथा हमारे सपनों और हमारी आकांक्षाओं को साकार करने का हौसला भी हमारे भीतर है. राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के अभियान का मंत्र देश को दिया है. यदि हम महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होकर स्वावलंबी उत्पादन व्यवस्था बना लेते हैं, तो भविष्य में ऐसी कठिनाइयों का सामना बहुत आसानी से कर सकेंगे.