कोरोना महामारी और अन्य कारकों से संकटग्रस्त आर्थिकी को गतिशील बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का आह्वान किया था. इसके तहत देश ने स्थानीय स्तर पर उत्पादन और उपभोग बढ़ाने का संकल्प लिया है. इस प्रक्रिया में सरकार भारत को वैश्विक निर्माण का केंद्र बनाने के लिए भी प्रयासरत है. नीति आयोग के मुख्य कार्यशासी अधिकारी अमिताभ कांत ने उचित ही रेखांकित किया है कि आत्मनिर्भर भारत का अर्थ यह नहीं है कि देश स्वयं को वैश्विक अर्थव्यवस्था से काटकर अलग-थलग करे.
वास्तव में इसका लक्ष्य है कि भारत की निर्माण क्षमता का उपयोग करते हुए उत्पादन प्रक्रिया को वैश्विक आपूर्ति क्रम से जोड़ा जाए, ताकि हमारा देश निर्यात के मामले में अग्रणी देशों में शामिल हो सके. भारत का घरेलू बाजार व्यापक है और इसकी मांग को घरेलू उत्पादन से पूरा करते हुए वस्तुओं और सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध कराया जा सकता है. श्रम और संसाधनों की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है.
कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थितियों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चीन जैसे कुछ देशों पर अत्यधिक निर्भरता वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है. इसके अतिरिक्त भू-राजनीतिक और रणनीतिक कारक भी इंगित कर रहे हैं कि आपूर्ति के बड़े हिस्से पर कुछ ही देशों का वर्चस्व शांति और स्थिरता के लिए भी चिंताजनक है. ऐसे में निवेशकों की निगाहें भारत पर हैं. आर्थिक मंदी के बावजूद लॉकडाउन के दिनों में और बाद में विदेशी निवेश की आमद संतोषजनक है. भारतीय उद्योगों के संगठन सीआइआइ द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच कराये गये ताजा सर्वेक्षण का निष्कर्ष है कि भारत आगामी कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए बेहतर तीन शीर्षस्थ देशों में है.
इस सर्वेक्षण में शामिल भारत से बाहर स्थित 25 प्रतिशत कंपनियों के लिए तो हमारा देश पहली पसंद है. इसका मुख्य कारण बाजार, कौशल और राजनीतिक स्थिरता है. इसके अलावा सस्ते श्रम और कच्चे माल की उपलब्धता के साथ नीतियों में सुधार भी निवेश के आकर्षण के उल्लेखनीय कारण हैं. बीते कुछ वर्षों में श्रम सुधार, कॉर्पोरेट करों की दरों में कटौती, नियमन को आसान बनाने जैसी पहलों की वजह से भारत में कारोबार करना और उद्योग लगाना सुगम हुआ है. उत्पादन को गति देने के लिए सरकार नीतिगत स्तर पर तथा व्यावसायिक सुगमता के लिए बड़ी पहलों पर विचार कर रही है.
अमिताभ कांत का यह कहना सही है कि निवेश और नवाचार भारत में निर्माण व उत्पादन का आधार बनेंगे. भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल से वृद्धि दर में तेजी आयेगी और निवेशक भी उत्साह के साथ आगे आयेंगे. उत्पादन और उपभोग में वृद्धि का सीधा संबंध रोजगार और आय बढ़ने से है. निकट भविष्य की बढ़त का लाभ उठाते हुए विदेशी निवेशक भी दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था की सफलता में भागीदार होने के इच्छुक हैं.
Posted by : Pritish Sahay