19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्था सिप्री की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाला चौथा देश है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को जरूरी बताते हुए कहा है कि आज यह विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है, क्योंकि भारत सीमा पर दोहरे खतरे का सामना कर रहा है और तेजी से बदलती दुनिया में युद्ध के नये-नये आयाम सामने आ रहे हैं. रक्षा मंत्री ने जिन दोहरे खतरों का जिक्र किया, वे हमारे पड़ोसी चीन और पाकिस्तान हैं, जिनके साथ भारत के युद्ध हो चुके हैं और अब भी तनाव रहता है. चीन के साथ 1962 में हुई लड़ाई ने भारत की रक्षा कमजोरियों को उजागर कर दिया था, जिसके बाद रक्षा खर्च बढ़ाया गया. फिर, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब अमेरिका ने हथियार देने पर रोक लगा दी, तो भारत को तत्कालीन सोवियत संघ से रक्षा सौदे करने पड़े, लेकिन बाद में उस पर अत्यधिक निर्भरता होते जाने के बाद देश में ही सैन्य साजो-सामान विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गयी.

चार दशक पहले, रक्षा अध्ययन और अनुसंधान संगठन यानी डीआरडीओ को मजबूत किया गया, जिसके बाद पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल, नाग तथा अग्नि मिसाइलों के विकास जैसी बड़ी उपलब्धियां हासिल की गयीं. लगभग तीस वर्ष पहले भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम की अध्यक्षता वाली एक समिति ने रक्षा खरीद में देश में बने उत्पादों की हिस्सेदारी को वर्ष 1992-93 के 30 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2005 तक 70 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा था. वह आज भी हासिल नहीं हो सका है. हालांकि, आयात में कमी आयी है. एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्था सिप्री की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाला चौथा देश है.

भारत का रक्षा आयात घटा है, मगर यह अब भी हथियारों का सबसे ज्यादा आयात करने वाला देश है. भारत सबसे ज्यादा हथियार रूस से, उसके बाद फ्रांस से खरीदता है. इस वर्ष भारत के रक्षा बजट में 13 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी, मगर जानकारों ने इसे दो कारणों से नाकाफी बताया था. एक तो यह कि इस राशि में से लगभग आधा हिस्सा वेतन और पेंशन पर खर्च होगा. दूसरा, भारतीय रुपये के लगातार कमजोर होने से आयात खर्च बढ़ जायेगा. रक्षा क्षेत्र में शोध और विकास का लाभ भारत की समग्र आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य से जुड़ा है. देश में ही हथियारों के विकास से पैसे की बचत होगी और रक्षा उद्योगों और उनसे संबंधित अन्य उद्योगों के विकास से रोजगार बढ़ेगा. साथ ही, भारत के एक बड़ा रक्षा निर्यातक बनने की भी प्रचुर संभावना है. भारत का रक्षा निर्यात वर्ष 2016-17 से 2022-23 के बीच दस गुणा बढ़ा है. रक्षा पर निवेश न केवल सुरक्षा की दृष्टि से, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए भी जरूरी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें