दुनिया की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नयी गठबंधन सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों, सुधारों और विकास की डगर पर आगे बढ़ने से भारत की विकास दर में वृद्धि, शेयर बाजार की नयी ऊंचाई तथा वैश्विक परिदृश्य पर भारत की अहमियत बढ़ते हुए दिख रही है. बीते 14 जून को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारत में नीतिगत सुधार जारी रहेंगे. इससे अगले पांच वर्षों के दौरान विकास और इक्विटी रिटर्न प्रभावित होगा. रेटिंग एजेंसी का मानना है कि सरकार महंगाई की आक्रामकता पर ध्यान देना जारी रखेगी.
मूडीज ने अगले एक वर्ष में भारतीय शेयर बाजारों का प्रदर्शन सकारात्मक रहने का अनुमान भी जताया है तथा कहा है कि आगामी 12 महीनों के दौरान बंबई स्टॉक एक्सचेंज का मानक सूचकांक सेंसेक्स 82 हजार के स्तर के पार जा सकता है और इसमें मौजूदा स्तर से 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इन सबके साथ-साथ एजेंसी की रिपोर्ट में आने वाले दिनों में और अधिक संरचनात्मक सुधारों की उम्मीद की गयी है. इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि 2025-26 तक आय वृद्धि पूर्वानुमान के साथ कंपनियां बेहतर प्रदर्शन करेंगी, जो आम सहमति से 500 आधार अंक या पांच प्रतिशत अधिक है. इतना ही नहीं, दुनिया में अगला दशक भारत का होगा. वैश्विक वृद्धि में भारत की भागीदारी करीब 20 प्रतिशत होगी. दुनियाभर में भारत की सेवाओं और वस्तुओं की बढ़ती मांग से इसमें मदद मिलेगी. इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि होगी. देश के उन्नत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ावा मिलेगा.
उल्लेखनीय है कि केंद्र में नयी सरकार के बनने के बाद भारतीय शेयर बाजार की ऊंचाई का नया रिकॉर्ड बना है. जहां भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अब 5.21 ट्रिलियन डॉलर हो गया है, वहीं हांगकांग के शेयर बाजार का पूंजीकरण घटकर 5.17 ट्रिलियन डॉलर रह गया है. भारत हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए बाजार पूंजीकरण के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है. देश की नयी सरकार से देश और दुनिया में विकास व सुधारों की उम्मीद बढ़ी है. पिछले दिनों प्रसिद्ध क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, तेज आर्थिक सुधार और बढ़ती राजकोषीय मजबूती के मद्देनजर भारत की रेटिंग को स्थिर से बदलकर सकारात्मक कर दिया है. इस एजेंसी का कहना है कि पिछले तीन साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वास्तविक वृद्धि दर 8.1 फीसदी सालाना रही है और अब यह दर अगले तीन साल में लगातार सात फीसदी के करीब होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की वैश्विक आर्थिक अहमियत पिछले दिनों एक बार फिर सात प्रमुख विकसित देशों के समूह जी-7 के शिखर सम्मेलन में दिखाई दी.
इटली की मेजबानी में आयोजित जी-7 के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया गया था. भारत उन 12 देशों और पांच संगठनों में शामिल था, जिन्हें इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रभावी बातें कहीं. उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में एकाधिकार खत्म करने की भी मांग की और हरित युग को अपनाने की अपील की. उन्होंने प्रमुख नेताओं से जो द्विपक्षीय बातचीत की, उसके भी अच्छे परिणाम दिखे हैं. जी-20 शिखर बैठक के बाद भारत-अमेरिका के बीच तनाव में कमी आयी है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के साथ बातचीत से भी दोनों देशों के संबंध में सुधार की उम्मीद है. प्रधानमंत्री ट्रुडो ने कुछ ‘बहुत अहम मुद्दों’ को हल करने के लिए आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता की बात की. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ मुलाकात में मोदी ने कहा कि यूक्रेन के द्वारा रूस के साथ युद्ध को बातचीत और कूटनीति के जरिये हल करना ही बेहतर है. प्रधानमंत्री मोदी ने इटली, फ्रांस, जापान और ब्रिटेन के प्रमुखों से भी बातचीत की.
भारत के लिए सबसे ठोस लाभ जी-7 की उस प्रतिबद्धता से उपजा, जिसमें कहा गया कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आइएमइसी) को बढ़ावा दिया जायेगा. इस गलियारे के निर्माण की घोषणा गत वर्ष भारत में जी-20 शिखर बैठक के समय की गयी थी. जी-7 सम्मेलन में कहा गया है कि खासतौर पर इस आर्थिक गलियारे को मूर्तरूप देने के लिए समन्वय और वित्तपोषण पर जोर दिया जायेगा. इस आर्थिक गलियारा परियोजना के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन तंत्र की परिकल्पना की गयी है, जिससे एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सके. आइएमइसी को समान विचारधारा वाले देशों ने चीन की बेल्ट-रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) के समक्ष रणनीतिक प्रभाव हासिल करने की पहल के रूप में पेश किया है. यह महत्वपूर्ण है कि जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की बढ़ी अहमियत से चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नये वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में और उभरकर सामने आयेगा. अब नयी गठबंधन सरकार निर्यात बढ़ाने और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की अच्छी संभावनाएं रखती है. निश्चित रूप से घटते हुए वैश्विक व्यापार के बीच भारत से माल एवं सेवाओं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में उच्चतम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 776.68 अरब डॉलर रहा. यह वित्त वर्ष 2022-23 में 776.40 अरब डॉलर रहा था. इस समय दुनिया में कृषि निर्यात में भारत का स्थान सातवां है. भारत से 53 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का कृषि निर्यात होता है.
हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के दौरान गठबंधन सरकार के सभी दलों के साथ समन्वय व सामंजस्य के नये प्रतिमान स्थापित करने के साथ-साथ आर्थिक सुधारों को जारी रखेंगे. वे महंगाई नियंत्रण और रोजगार वृद्धि को अधिक प्राथमिकता देते हुए ऐसी मजबूत सरकार को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देंगे, जो गरीब कल्याण व सामाजिक न्याय के उच्च प्रतिमानों से आम आदमी की मुस्कुराहट बढ़ा सकेगी. मोदी दृढ़तापूर्वक रणनीतिक एवं प्रशासनिक निर्णय लेते हुए उन्हें कार्यान्वित करने वाली ऐसी क्षमतावान सरकार को आगे बढ़ायेंगे, जो भारत को 2027 में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा सकेगी. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)