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जीडीपी पर ताजा अनुमान अल्पकालिक परिस्थितियों पर आधारित है, अत: इस पर चिंतित होने के बजाय आशावादी होने की जरूरत है.

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कोरोना महामारी के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद -23.9 प्रतिशत तक पहुंच गया. चूंकि, लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आया था, जिसके कारण पहले से ही इस गिरावट का अंदेशा था. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की हालिया रिपोर्ट में इस वर्ष भारत की जीडीपी के -10.4 तक नीचे जाने का अनुमान है. एक अनुमान यह भी है कि इस साल प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में बांग्लादेश भी भारत से आगे निकल जायेगा. यानी, 2020 में चालू कीमतों पर भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 10.3 प्रतिशत गिरकर 1877 डॉलर पर पहुंच जायेगी, तो वहीं चार प्रतिशत के सुधार के साथ बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1888 डॉलर हो जायेगी. हाल के वर्षों तक प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में भारत बांग्लादेश से काफी आगे रहा है.

हालांकि, बीते कुछ वर्षों में बांग्लादेश के निर्यात में बढ़त के कारण वहां सुधार हुआ है और इसी अवधि में भारत के निवेश तथा बचत में ठहराव आ गया, जिससे प्रति व्यक्ति जीडीपी का अंतराल कम होता गया. आइएमएफ के अनुसार, स्पेन और इटली के बाद भारत का 10.4 प्रतिशत का संकुचन दुनिया की तीसरी सर्वाधिक गिरावट है. रिपोर्ट के हवाले से विपक्ष द्वारा सरकार पर निशाना भी साधा गया. लेकिन, रिपोर्ट के दूसरे पहलू पर गौर करें, तो आर्थिकी के जल्द सुधार के संकेत भी स्पष्ट हैं. साल 2021 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी के 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जबकि बांग्लादेश की बढ़त 5.2 प्रतिशत ही रहेगी. इस प्रकार भारत पुन: बांग्लादेश से आगे निकल जायेगा.

वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति जीडीपी 83,091 रुपये से बढ़कर 2019-20 में 1,08,620 रुपये पहुंच गयी, यानी मोदी सरकार के कार्यकाल में 30.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि यूपीए-2 में यह बढ़त 19.8 प्रतिशत ही थी. ऐसे में मौजूदा आंकड़ों पर बहस के बजाय सुधार की दिशा में बढ़ने की आवश्यकता है. महामारी के चलते भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों में पर्यटन कारोबार और बाहरी वस्तुओं तथा धन का प्रेषण लगभग ठप हो गया है. निकट भविष्य में इसमें सुधार भी होता नहीं दिख रहा है. लॉकडाउन के कारण उत्पादन और खपत बंद थी, लेकिन अब यह धीरे-धीरे पुराने ढर्रे पर लौट रही है.

जल्द ही वृद्धि के रूप में इसका असर भी दिखेगा. आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रोत्साहन पैकेज, मनरेगा योजना में अधिक रकम देने, पीडीएस के तहत गरीबों को अनाज देने और कर्ज अदायगी में मोरेटोरियम के एलान जैसे कुछ फैसले निश्चित ही असरकारक होंगे. वर्तमान में भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में कृषि क्षेत्र की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. महामारी के कारण 86 प्रतिशत गैर-कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ है. फिलहाल, इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे की योजनाओं पर काम करने की जरूरत है. जीडीपी पर आइएमएफ का ताजा अनुमान अल्पकालिक परिस्थितियों पर आधारित है, अत: इस पर चिंतित होने के बजाय आशावादी होने की जरूरत है.

Posted by : Pritish sahay

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