ठोस डिजिटल कार्रवाई
चीन को यह समझना चाहिए कि भारत अब उसके लिए एक आसान बाजार नहीं रहेगा, जहां से वह भारी मुनाफा भी कमाये और उसकी संप्रभुता व अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश भी करे.
सूचना तकनीक का तेज विस्तार जहां हमारी दुनिया का एक अहम पहलू है, वहीं इसके तमाम खतरे भी हमारे सामने बड़ी चुनौती बन चुके हैं. हैकिंग और सूचनाओं की चोरी के साथ विभिन्न वेबसाइट और एप्लीकेशन अपने यूजर के डेटा को बिना उनकी मंजूरी के कारोबारियों और सरकारों को देते हैं. स्मार्टफोन की तादाद बढ़ती जा रही है और इसके साथ एप के जरिये डेटा की सेंधमारी कर उसे कहीं और इस्तेमाल करने का चलन भी बढ़ रहा है. भारत में डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में चीनी मोबाइलों और एप की भरमार है. न सिर्फ भारत, बल्कि कई देशों को चीनी हैकरों ने अपना निशाना बनाया है.
ऐसी अनेक रिपोर्टें हैं, जो इंगित करती हैं कि इन हैकरों के संबंध चीन की सरकार से हो सकते हैं. यह जगजाहिर है कि चीन की एकाधिकारवादी शासन व्यवस्था वहां से संचालित होनेवाली कंपनियों से डेटा हासिल करती है. इस रवैये से हमारी संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा हो सकता है. इसलिए भारत सरकार ने साइबरस्पेस को सुरक्षित करने के इरादे से 59 चीनी एप पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है
अब यह उन एप कंपनियों को साबित करना है कि उनका कामकाज साफ-सुथरा है और वे भारतीय यूजरों के डेटा चीन की सरकार या अन्य एजेंसियों को मुहैया नहीं कराती हैं. बीते कई हफ्तों से पूर्वी लद्दाख में चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अवांछित हरकतें कर रहा है और उसे रोकने में हमारे सैनिकों ने अपनी शहादत दी है. ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में हमें अपनी सीमाओं पर तो मुस्तैद रहना ही है, देश के साइबरस्पेस को भी सेंधमारी से बचाना जरूरी है. इस कार्रवाई का एक और संदेश बहुत स्पष्ट है.
इन एप पर रोक लगाने से भारतीय यूजरों को कोई खास दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि बहुत सारे बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं, किंतु करोड़ों यूजरों का एकबारगी हट जाना चीन के तकनीकी विकास के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा. भारत जैसे बड़े बाजार तक पहुंच बाधित होने से चीनी कंपनियों को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस संदर्भ में यह भी अहम है कि केंद्र और राज्य सरकारों की अनेक परियोजनाओं से चीनी कंपनियों की भागीदारी खत्म की जा रही है.
बहुत सारे छोटे-बड़े कारोबारियों ने भी अपने स्तर पर ऐसी पहल की है. नागरिकों में चीन को लेकर रोष व्याप्त है ही. इस माहौल में चीन को यह समझ लेना चाहिए कि भारत अब उसके लिए एक आसान और पड़ोसी बाजार नहीं रहेगा, जहां से वह भारी मुनाफा भी कमाये और उसकी संप्रभुता व अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश भी करे. एप को रोकना भारत में तकनीकी उद्यमिता और अन्वेषण के लिए ऊर्जा व प्रेरणा का अवसर भी हो सकता है. आत्मनिर्भरता और स्थानीयता के संकल्प को भी इस पहल से मदद मिलेगी. सुरक्षा, विकास और समृद्धि के समेकित लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में यह एक आवश्यक निर्णय है.