स्टार्टअप से उम्मीद
युवा भारतीय उद्यमी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वेब-3 और डीप टेक जैसी नयी उभरती तकनीकों के क्षेत्र में सफलता से कदम बढ़ा रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने उम्मीद जतायी है कि भारत में अगले चार-पांच वर्षों में स्टार्टअप कंपनियों की संख्या में दस गुना वृद्धि होगी. उन्होंने कहा है कि भारत में तकनीकी क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ रहा है. इस क्षेत्र से जुड़े भारतीय युवाओं का ध्यान पहले सूचना प्रौद्योगिकी पर केंद्रित था. लेकिन, वे अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वेब-3 और डीप टेक जैसी नयी उभरती तकनीकों के क्षेत्र में सफलता से कदम बढ़ा रहे हैं.
राजीव चंद्रशेखर पहले भी भारत में युवाओं के लिए तकनीकी क्षेत्र में अपार संभावनाओं का जिक्र करते रहे हैं. पिछले दिनों एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत में अभी 104 यूनिकॉर्न और एक लाख स्टार्टअप हैं. उन्होंने इसे एक शुरुआत भर बताते हुए कहा था कि देश में एक लाख यूनिकॉर्न और 10 से 20 लाख स्टार्टअप शुरू होने की संभावना है. हाल के वर्षों में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न कंपनियों की खूब चर्चा होती है. स्टार्टअप दरअसल ऐसे उद्यम होते हैं जो किसी भी नए आयडिया को लेकर शुरू किए जाते हैं.
इनका लक्ष्य बहुत तेजी से विस्तार कर बड़ी कंपनी में बदल जाना होता है. अक्सर ऐसा सुनने में आता है कि कुछ युवाओं ने मिलकर कोई छोटा स्टार्टअप शुरू किया, और फिर किसी विदेशी दिग्गज कंपनी ने या तो उसे खरीद लिया या उसमें भारी निवेश कर दिया. और रातों-रात युवा उद्यमी अमीर हो गए. इन्हीं स्टार्टअप कंपनियों में सबसे कामयाब कंपनियां यूनिकॉर्न कंपनियां बन जाती हैं. दुनियाभर में एक अरब डॉलर या उससे अधिक मूल्य की कंपनियों को यूनिकॉर्न कहा जाता है.
भारत में ओला, बायजू, स्विगी, ओयो सबसे बड़ी यूनिकॉर्न कंपनियों में गिनी जाती हैं. लेकिन, स्टार्टअप कंपनियों की कामयाबी से दमकती कहानियों का एक स्याह पहलू भी है. सफलता की कहानियों के बीच ऐसी भी कहानियां सुनाई दी हैं जब स्टार्टअप बैठ गए और निवेशकों के पैसे डूब गए. एक अध्ययन के अनुसार भारत में 10 में से केवल एक कंपनी 10 साल तक टिक पाती है. मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार पिछले वर्ष भारत में 2000 से ज्यादा स्टार्टअप बंद हो गए.
दरअसल, जल्दी और बड़ी कामयाबी के लिए की जाने वाली किसी भी कोशिश में जोखिम भी उतना ही बड़ा होता है. स्टार्टअप से शानदार कामयाबी तभी मिल सकती है जब इसकी शुरूआत पक्की तैयारी और आने वाली चुनौतियों को भांप कर की जाए. स्टार्टअप कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती कारोबार में टिके रहने की होती है. स्टार्टअप कंपनियों की कामयाबी की कहानियों को साझा करने के साथ-साथ उनकी नाकामयाबी से मिले सबकों पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए.