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अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते स्टार्टअप

स्टार्टअप को चलाने के लिए प्रवर्तक खुद निवेश कर सकते हैं या बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण ले सकते हैं.

आज स्टार्टअप भारत की आर्थिक तस्वीर को बेहतर बनाने की दिशा में अग्रसर है. इसकी वजह से जीडीपी में बढ़ोतरी हो रही है. यह आर्थिक विकास का कारक भी है और वाहक भी. लिहाजा, इस दिशा में देसी और प्रवासी उद्यमियों को विदेश की जगह देश में यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनी शुरू करने की जरूरत है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी सशक्त बनाया जा सके.
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग में पंजीकृत स्टार्टअप ने इस वर्ष 30 जून तक प्रत्यक्ष रूप से 15.53 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. अप्रत्यक्ष रूप से भी मुहैया कराये गये रोजगारों की संख्या लाखों में है. सिर्फ यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनियों ने पिछले साल अगस्त तक 4.5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया था. स्टार्टअप कंपनियां अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान दे रही हैं. हुरून ग्लोबल यूनिकॉर्न सूचकांक 2024 के अनुसार, 2017 के बाद पहली बार भारत में यूनिकॉर्न की संख्या कम हुई है. बायजूज के इस सूची से बाहर आने के कारण 2023 में यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 68 से घटकर 67 रह गयी. दूसरे देशों में भी यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या कम हुई है. अमेरिका में 21 और चीन में 11 यूनिकॉर्न स्टार्टअप कम हुए हैं और 2023 में कुल 42 स्टार्टअप यूनिकॉर्न की पात्रता खो चुके हैं. इस कमी का मुख्य कारण स्टार्टअप के निवेश में कमी आना है. सभी स्टार्टअप के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पूंजी यानी निवेश की ही है. यह दिलचस्प है कि भले ही यूनिकॉर्न की संख्या देश में कम है, पर विदेशों में भारतीयों ने 109 यूनिकॉर्न शुरू किये हैं.
एक अरब डॉलर या इससे ज्यादा के मूल्यांकन वाले स्टार्टअप को यूनिकॉर्न कहा जाता है. अमेरिका में सबसे अधिक 703 यूनिकॉर्न हैं, चीन 240 यूनिकॉर्न के साथ दूसरे स्थान पर है और भारत 67 यूनिकॉर्न के साथ तीसरे स्थान पर है. इंग्लैंड 53 यूनिकॉर्न के साथ चौथे तथा 36 यूनिकॉर्न के साथ जर्मनी पांचवें स्थान पर है. हुरून ग्लोबल यूनिकॉर्न सूचकांक में उन गैर सूचीबद्ध यूनिकॉर्न को शामिल किया जाता है, जिनकी स्थापना 2000 के दशक के बाद हुई है. इस सूची में टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस है, जिसका मूल्यांकन 220 अरब डॉलर है. दूसरे स्थान पर एलन मस्क की स्पेसएक्स है, जिसका मूल्यांकन 180 अरब डॉलर है, जबकि तीसरे स्थान पर माइक्रोसॉफ्ट की यूनिकॉर्न ओपेन एआई है, जिसका मूल्यांकन 100 अरब डॉलर है. फूड डिलीवरी यूनिकॉर्न स्विगी और स्पोर्ट्स कंपनी ड्रीम-11 भारत में सबसे ज्यादा मूल्यांकन वाली कंपनियां हैं. देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने, ‘मेक इन इंडिया’ की संकल्पना को साकार करने और रोजगार सृजन में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी 2016 को ‘स्टार्ट अप इंडिया’ का आगाज किया था. किसी कंपनी का कोई नवोन्मेष उत्पाद या सेवा किसी ग्राहक की समस्या का समाधान उसके घर में ही कर दे, तो उसे स्टार्टअप कहते हैं. इसकी शुरुआत कोई एक व्यक्ति कर सकता या फिर कई लोग मिलकर.
स्टार्टअप को चलाने के लिए प्रवर्तक खुद निवेश कर सकते हैं या बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण ले सकते हैं. स्टार्टअप में जोखिम ज्यादा होता है, पर कारोबार चलने पर यह प्रवर्तक को अकल्पनीय प्रतिफल देता है. बड़ी संख्या में रोजगार भी मुहैया कराता है. स्टार्टअप की सफलता के लिए जरूरी है कि कौशलयुक्त टीम कंपनी का हिस्सा बने. इसलिए, कौशल और उद्यमिता के विकास के लिए सरकार ने एक अलग मंत्रालय बनाया है, जिसका कार्य देश में कौशल विकास के कार्यों का समन्वय, व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के ढांचे का निर्माण और कौशल उन्नयन करना है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा भारतीय उद्यमिता संस्थान का भी गठन किया गया है. स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर स्टार्टअप की शुरुआत की है. स्टार्टअप को ऋण मुहैया कराने के लिए वित्तीय संस्थानों को औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, जिसका नाम 2019 में बदलकर उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग कर दिया गया, की शर्तों का अनुपालन करना होता है. यहां से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थान ही स्टार्टअप को ऋण मुहैया करा सकते हैं.
ऋण संस्थान बिना तीसरे पक्ष की गारंटी के स्टार्टअप को पांच करोड़ रुपये तक का ऋण दे सकते हैं. अगर कोई स्टार्टअप इस योजना के तहत 1.5 करोड़ का ऋण लेना चाहता है, तो 75 प्रतिशत वित्तीय सहायता संस्थान देता है और शेष 25 प्रतिशत का इंतजाम उद्यमी को खुद करना होता है. पांच लाख रुपये से कम का ऋण मांगने वाले उद्यमियों को 85 प्रतिशत तक ऋण वित्तीय संस्थान देता है और 15 प्रतिशत की व्यवस्था उद्यमी को करनी होती है. किसी भी उद्यम की सफलता के लिए कौशलयुक्त कामगारों की जरूरत होती है. सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू की है, जो कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित है. इसका उद्देश्य युवाओं को उनके पसंद के उद्यम में काम करने के योग्य बनाना है. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम का कार्य अकुशल कार्यबल को प्रशिक्षित कर कुशल बनाना है. आज स्टार्टअप भारत की आर्थिक तस्वीर को बेहतर बनाने की दिशा में अग्रसर है. इसकी वजह से जीडीपी में बढ़ोतरी हो रही है. यह आर्थिक विकास का कारक भी है और वाहक भी. लिहाजा, इस दिशा में देसी और प्रवासी उद्यमियों को विदेश की जगह देश में यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनी शुरू करने की जरूरत है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी अधिक सशक्त बनाया जा सके.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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