शेयर बाजार में उछाल
सामान्य जीवन में भी किसी चीज का उपयोग तभी बढ़ता है जब वह अच्छी होती है. शेयर बाजार में भी यही हो रहा है. निवेशकों को लग रहा है कि शेयर अच्छे हैं, इसलिए वे जमकर खरीद रहे हैं.
रविवार को दिल्ली में जी-20 का शिखर सम्मेलन खत्म हुआ और अगले दिन मुंबई के शेयर बाजार में नया कीर्तिमान बना. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी पहली बार 20,000 की ऊंचाई पर पहुंच गया. भारत में कई स्टॉक एक्सचेंज हैं, जहां शेयरों की खरीद-बिक्री होती है. लेकिन इनमें दो प्रमुख हैं- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज या एनएसइ और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या बीएसइ. दोनों ही बाजारों में तेजी है.
एनएसइ के 50 प्रतिनिधि शेयरों के सूचकांक निफ्टी के साथ, बीएसइ के 30 प्रतिनिधि शेयरों का सूचकांक सेंसेक्स भी ऊपर जा रहा है. शेयरों के भाव ऊपर जाने का मतलब है कि खरीदने वाले ज्यादा हो गये हैं. सामान्य जीवन में भी किसी चीज का उपयोग तभी बढ़ता है जब वह अच्छी होती है. शेयर बाजार में भी यही हो रहा है. निवेशकों को लग रहा है कि शेयर अच्छे हैं, इसलिए वे जमकर खरीद रहे हैं. व्यापक अर्थ में देखा जाए, तो शेयर बाजारों के प्रदर्शन को किसी देश की आर्थिक सेहत का सूचक माना जा सकता है.
देश में सब अच्छा होगा, तभी व्यापार का वातावरण भी अच्छा होगा. लोगों के पास काम-धंधे, पैसे होंगे, तभी वे बचत और निवेश करेंगे. और जिसकी साख अच्छी होगी, पहले उसी की ओर जायेंगे. घरेलू निवेशकों के अलावा भारत विदेशी निवेशकों की आंखों का भी तारा रहा है. अभी दिल्ली में जी-20 की बैठक से भारत की साख और मजबूत हुई है. भारत के प्रयासों से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया के बंटे होने के बावजूद सर्वसम्मति से घोषणापत्र आया.
इसके अलावा वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बना, तथा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप को जोड़ने के लिए आर्थिक गलियारा बनाने पर सहमति हुई. इनसे निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ. इससे पहले, भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर आये आंकड़ों ने भी दिखाया कि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. अनुमान है कि वर्तमान वित्त वर्ष में भारत लगभग 6.5 प्रतिशत की दर से आर्थिक विकास करेगा.
अभी अमेरिका से लेकर यूरोप और चीन तक की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं. एक दिन पहले ही खबर आयी है कि दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में इस साल आर्थिक संकुचन होगा. हालांकि, भारत के सामने शेयर बाजार की तेजी और विकास दर बढ़ने के साथ चुनौतियां भी बरकरार हैं. इनमें सबसे बड़ी चुनौती महंगाई पर नियंत्रण करना है, जिसे आम आदमी भी महसूस कर रहा है, और जो महंगाई के आंकड़ों में भी झलक रहा है. महंगाई पर लगाम लगाने के लिए गंभीरता से कदम उठाये जाने चाहिए.