चीन को कड़ा संदेश

रक्षा परिषद में भारत ने चीन के दोहरे मानदंडों को फिर रेखांकित किया है. उल्लेखनीय है कि इस माह परिषद की अध्यक्षता चीन के पास है और उसी की ओर से वैश्विक व सामूहिक सुरक्षा पर चर्चा के लिए बैठक बुलायी गयी थी.

By संपादकीय | August 24, 2022 8:59 AM

रक्षा परिषद में भारत ने चीन के दोहरे मानदंडों को फिर रेखांकित किया है. उल्लेखनीय है कि इस माह परिषद की अध्यक्षता चीन के पास है और उसी की ओर से वैश्विक व सामूहिक सुरक्षा पर चर्चा के लिए बैठक बुलायी गयी थी. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने परिषद का ध्यान आतंकवाद, यथास्थिति बदलने के इरादे से एकतरफा कार्रवाई, देशों की एकता एवं अखंडता पर अपनाये जा रहे दोहरे मानदंडों की ओर दिलाया.

हालांकि स्थापित कूटनीति परंपरा के अनुरूप भारतीय प्रतिनिधि ने चीन का नाम नहीं लिया, पर हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारत का संकेत चीन की ओर है. सुरक्षा परिषद में लगभग दो माह से लश्करे-तैयबा और जैशे-मोहम्मद जैसे कुख्यात आतंकी गिरोहों के सरगनाओं को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव लंबित है. इस बार भी चीन ने तकनीकी कारणों को बहाना बनाया है. असल में वह आतंकियों को परोक्ष समर्थन देकर पाकिस्तान में अपने आर्थिक और सामरिक स्वार्थों को साधना चाहता है.

वह पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाकर भारत के आंतरिक मामलों में भी बयान देता रहता है. भारत ने पूछा है कि क्या आतंक पर ऐसे रवैये से दुनिया की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है. लगभग ढाई साल से लद्दाख में चीन की सैन्य आक्रामकता को समूचा विश्व देख रहा है. गंभीर आपत्तियों के बावजूद कुछ दिन पहले श्रीलंका में उसने अपना जासूसी जहाज भेजा. ताइवान की खाड़ी में चीन का सैन्य अभ्यास कई दिनों से जारी है.

भारतीय प्रतिनिधि ने उचित ही रेखांकित किया है कि दुनिया के एक हिस्से में अगर युद्ध या सशस्त्र संघर्ष होता है, तो उसका असर दूसरे हिस्से पर भी पड़ता है. रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर खाद्य एवं ऊर्जा का संकट पैदा कर दिया है. क्या चीन एशिया की शांति को भंग कर वैश्विक सुरक्षा स्थापित करना चाहता है? चीन भारत समेत तमाम देशों से आग्रह कर रहा है कि वे वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करें, लेकिन ऐसे आग्रह से पहले उसे अपना रिकॉर्ड सुधारते हुए अन्य देशों की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए.

सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य होने तथा वैश्विक शक्ति होने के नाते चीन को गैर-जिम्मेदाराना आचरण करने से परहेज करना चाहिए. कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र की संरचना में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया है. सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य अपने हितों के अनुरूप रवैया अपनाते हैं. दुनिया को भारत की बातों का संज्ञान लेना चाहिए.

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