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पाकिस्तान की हेठी

पाकिस्तान की हरकतों के बावजूद भारत की कोशिश रही है कि दोनों देशों के बीच स्थिति सामान्य हो तथा द्विपक्षीय वार्ता के लिए समुचित वातावरण बने.

दिन-ब-दिन बदहाल होती पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में अनेक अध्ययनों में रेखांकित किया गया है कि दशाहीन आर्थिक नीतियों के कारण तो यह स्थिति पैदा हुई ही है, साथ ही पाकिस्तानी सत्ता संरचना तथा कट्टरवाद, अतिवाद एवं आतंकवाद पर आधारित उसकी राजनीतिक दृष्टि ने भी देश को आज कंगाली के कगार पर ला खड़ा किया है. इसके बावजूद आज मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आगे गुहार लगाती पाकिस्तानी सरकार आत्ममंथन के लिए तैयार नहीं है.

इसके उलट वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जम्मू-कश्मीर को लेकर अपना पुराना राग अलापने में लगा हुआ है. स्त्री, शांति एवं सुरक्षा के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर अनावश्यक टिप्पणी की. इस चर्चा में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने जरदारी की टिप्पणियों को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया.

कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक बैठक में भी पाकिस्तान ने ऐसा ही किया था. वैश्विक मंचों की अपनी मर्यादा होती है. जिन विषयों पर चर्चा हो रही हो, उन्हीं पर ध्यान दिया जाना चाहिए. लेकिन पाकिस्तानी नेतृत्व हमेशा से घरेलू राजनीति में अपना स्वार्थ साधने के लिए जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उछालता रहा है. यह जगजाहिर तथ्य है कि पाकिस्तान में बड़ी संख्या में छोटे-बड़े आतंकी गिरोह सक्रिय हैं तथा उन्हें पाकिस्तानी सरकार और सेना का पूरा संरक्षण मिलता है.

आतंकवादियों को मिलने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अभी हाल में ही कहा है कि वह पाकिस्तान से संबंधित गतिविधियों की निगरानी कर रही है. आतंकवाद के सहारे पड़ोसी देशों, विशेष रूप से भारत और अफगानिस्तान, में पाकिस्तान दशकों से अस्थिरता फैलाने की कोशिश में है. अपनी सरहद के साथ-साथ बांग्लादेश और नेपाल के तस्कर गिरोहों के माध्यम से नशीले पदार्थ भी भेजता रहा है.

भारत से भागे हुए कई कुख्यात आतंकी सरगना पाकिस्तान में शरण लिये हुए हैं. कश्मीर हो या पंजाब या भारत के अन्य हिस्से, पाकिस्तान की हरकतों के बावजूद भारत की कोशिश रही है कि दोनों देशों के बीच स्थिति सामान्य हो तथा द्विपक्षीय वार्ता के लिए समुचित वातावरण बने, लेकिन पाकिस्तान की ओर से इस दिशा में कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई है. कंबोज ने सही ही कहा है कि यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह बातचीत के लिए अच्छा माहौल बनाये, जो आतंक और शत्रुता से मुक्त हो.

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