Loading election data...

सुझाव दें शिक्षक

शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों से नयी शिक्षा नीति को साकार करने के लिए सुझाव मांगा है. इन सुझावों से भावी कार्यक्रमों और रणनीतियों को निर्धारित करने में बड़ी सहायता मिलेगी.

By संपादकीय | August 25, 2020 12:59 AM

पिछले महीने केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत नयी शिक्षा नीति में शैक्षणिक तंत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के प्रावधान हैं. इस नीति का उद्देश्य शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करना है. अब चुनौती इसे समुचित ढंग से लागू करने की है और इसमें शिक्षकों की भूमिका अग्रणी है. उन्हें ही बदलावों को अमल में लाना है और शिक्षण के तरीकों को असरदार बनाना है. इसलिए शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों और प्रधानाचार्यों से नयी शिक्षा नीति को साकार करने के लिए सुझाव मांगा है. इन सुझावों से भावी कार्यक्रमों और रणनीतियों को निर्धारित करने में बड़ी सहायता मिलेगी. शिक्षा समेत जीवन के हर क्षेत्र में भारत की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बीते दशकों में बड़े-बड़े बदलाव हुए हैं तथा बदलाव का यह सिलसिला बहुत तेजी से जारी है.

इस वजह से 1986 में लागू हुई शिक्षा नीति की जगह नये दृष्टिकोण, संकल्प और लक्ष्य के साथ नयी नीति बनाने की आवश्यकता थी. इसे बैद्धिकों, शिक्षाविदों, प्रशासकों तथा आम जन के सम्मिलित प्रयासों से बहुत सोच-विचार के साथ बनाया गया है. इसके निर्माण की प्रक्रिया में भी शिक्षकों का बड़ा योगदान रहा है. इसमें स्कूली और उच्च शिक्षा को वर्तमान और भविष्य के लिए अनुकूल, योग्य और उपयोगी बनाने पर जोर दिया गया है. पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने, बोर्ड परीक्षाओं के बोझ को कमतर करने, चिकित्सा और विधि के अतिरिक्त उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों के लिए एकल नियामक बनाने तथा विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए संयुक्त परीक्षा आयोजित करने जैसे बड़े सुधारों का प्रावधान है.

शिक्षा के वर्षों के हिसाब को भी बदला गया है और एमफिल को हटा दिया गया है. निजी और सरकारी संस्थाओं का संचालन भी समान नियमों से होगा. इसी तरह के कई अन्य सुधार भी किये जायेंगे. अब नीतियों को अमली जामा पहनाना तो शिक्षकों को ही है. उनसे सुझाव लेने के लिए मंत्रालय ने विशेष व्यवस्था की है, जो सराहनीय है. समुचित रूप से व्यवस्थित नहीं होने पर सुझावों को श्रेणीबद्ध करना मुश्किल हो सकता था, क्योंकि शिक्षकों की संख्या भी बहुत अधिक है और उनके पास देने के लिए राय भी बहुत हैं.

प्राप्त सुझावों और टिप्पणियों के मूल्यांकन का जिम्मा विशेषज्ञों के दल का होगा. यदि आवश्यक हुआ, तो महत्वपूर्ण सुझाव देनेवाले शिक्षकों से विशेषज्ञ भी शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से संपर्क भी करेंगे. शिक्षा विकास और समृद्धि की आकांक्षाओं को फलीभूत करने का सबसे प्रमुख आधार है. दुनिया में जो देश आज अगली कतार में हैं, उन्होंने शिक्षा पर ध्यान देकर ही सफलता पायी है. इसी से ज्ञान, विज्ञान, शोध, अनुसंधान, कौशल और अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त होता है. व्यवहार में लाना नीतियों की सफलता के अनिवार्य शर्त है. शिक्षा मंत्रालय के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को भी इस प्रक्रिया में हाथ बंटाना चाहिए और शिक्षकों को बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए.

Post By Pritish Sahay

Next Article

Exit mobile version