संभव है अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी

Sunita Williams : नासा इसलिए भी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता क्योंकि अंतरिक्ष में पहुंचने की तुलना में वहां से वापसी ज्यादा खतरनाक है. अब नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के क्रू-9 ड्रैगन के जरिये फरवरी, 2025 में उनकी वापसी तय की है.

By कल्लोल चक्रवर्ती | September 4, 2024 10:44 AM
an image

Sunita Williams : विगत छह जून से अंतरिक्ष में फंसे दो अंतरिक्ष यात्रियों- सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर- को और छह महीने अंतरिक्ष में बिताना पड़ सकता है. क्या यह वाकई मुश्किल भरा होने वाला है? दोनों यात्री आठ दिन के मिशन पर बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से चले थे. स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी के कारण बार-बार उड़ान भरने में बाधा तो आयी ही, वे अपना व्यक्तिगत सामान भी साथ न ले जा सके क्योंकि आइएसएस (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) के एक खराब शौचालय की मरम्मत के लिए एक पंप भी ले जाया जा रहा था. लैंडिंग के दौरान भी स्पेसक्राफ्ट में कुछ खामियां मिलीं, जिसके कारण नासा ने दोनों यात्रियों की वापसी टाल दी है. नासा इसलिए भी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता क्योंकि अंतरिक्ष में पहुंचने की तुलना में वहां से वापसी ज्यादा खतरनाक है. अब नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के क्रू-9 ड्रैगन के जरिये फरवरी, 2025 में उनकी वापसी तय की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्पष्ट किया है कि उसके पास इन यात्रियों की वापसी के मिशन को अंजाम देने की क्षमता नहीं है. ऐसे बचाव अभियान के लिए सक्षम यान अमेरिका और रूस के पास ही हैं.


यह घटना बोइंग कंपनी के लिए बड़ा झटका है, जो कह रही थी कि उसका यान अंतरिक्ष तक बिना किसी बाधा के पहुंचने में सक्षम है. गौर करने की बात है कि 2014 में नासा ने जब निजी कंपनियों के साथ अंतरिक्ष यान विकसित करने का समझौता किया था, तब अनेक वैज्ञानिकों ने स्पेस एक्स की जगह बोइंग को वरीयता देने के लिए कहा था. नासा ने बात तो नहीं मानी, पर इस काम के लिए बोइंग को उसने ज्यादा धनराशि दी. बोइंग के साथ उसने 4.2 अरब डॉलर का समझौता किया, जबकि स्पेस एक्स को 2.6 अरब डॉलर ही दिये. फंसे अंतरिक्ष यात्रियों को अब स्पेस एक्स का ही सहारा है. अंतरिक्ष में अगले छह महीने तक रहने के दौरान सुनीता विलियम्स और विल्मोर को भोजन व ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि नासा का कहना है कि वहां भोजन और ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता है. पर एक समस्या अंतरिक्ष स्टेशन के डॉकयार्ड में यान की पार्किंग की है. वहां एक साथ दो यान की पार्किंग की जगह है. स्टारलाइनर के सितंबर की शुरुआत में यात्रियों के बगैर पृथ्वी पर लौटने की बात है. इस बीच दो यात्रियों को लेकर क्रू-9 भी उड़ान भरने वाला है. अगले छह माह तक सुनीता और विल्मोर के पास आइएसएस के रख-रखाव की जिम्मेदारी संभालने और वैज्ञानिक प्रयोग करने जैसे बहुत काम हैं. वे नासा के जरिये सामान्य कॉल, वीडियो कॉल या ई-मेल कर अपने परिजनों के संपर्क में भी रह सकते हैं.


अंतरिक्ष स्टेशन पर लंबा समय बिताने का यह पहला उदाहरण नहीं है. इससे पहले नासा के अंतरिक्ष यात्री फ्रेंक रुबियो को भी यान संबंधी गड़बड़ियों के कारण छह महीने के बजाय 371 दिन (सितंबर, 2022 से सितंबर, 2023) तक आइएसएस में रुकना पड़ा था. सुनीता विलियम्स और विल्मोर आगामी फरवरी तक वहां रुकते हैं, तो यह अवधि करीब 240 दिनों की होगी. वैसे अंतरिक्ष में सबसे अधिक दिनों तक रहने का रिकॉर्ड रूस के वेलेरी पोल्याकोव के नाम है, जिन्होंने जनवरी, 1994 से मार्च, 1995 तक कुल 437 दिन रूसी अंतरिक्ष स्टेशन मीर, जो अब अस्तित्व में नहीं है, में बिताये थे. लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. शोध बताते हैं कि अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने पर मांसपेशियों और हड्डियों में होने वाले नुकसान के अलावा अस्थायी रूप से नजर प्रभावित हो सकती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता घट सकती है और डीएनए को क्षति पहुंच सकती है. पृथ्वी पर लौटने के छह महीने बाद शरीर फिर स्वाभाविक होने लगता है. वहां मानव शरीर में लाल रक्त कण के नष्ट होने की रफ्तार पृथ्वी की अपेक्षा 54 फीसदी तेज है. इससे एनीमिया हो सकता है तथा ऊतकों तक ऑक्सीजन की पहुंच बाधित हो सकती है. नासा का कहना भी है कि सुनीता विलियम्स के शरीर में लाल रक्त कण तेजी से कम हो रहे हैं.


लगभग साढ़े पांच दशक लंबे अंतरिक्ष अभियान में दो दुर्घटनाएं भारी पड़ीं. वर्ष 1986 में उड़ान भरने के तुरंत बाद चैलेंजर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सात लोग मारे गये थे. वर्ष 2003 में पृथ्वी पर लौटते हुए कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें भारतीय मूल की कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्री मारे गये थे. इसी कारण भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स के अंतरिक्ष में फंसे होने से खासकर भारत के लोग चिंतित हैं. हालांकि उनकी मां ने संतोष जताया है कि नासा ने उनकी सुरक्षा को ज्यादा महत्व दिया है. करीब दो दशक से लोगों के सकुशल लौट आने से भी स्पष्ट है कि वैश्विक अंतरिक्ष अभियानों ने खतरों से पार पाना सीख लिया है. वैज्ञानिक व गुरुत्वाकर्षणीय खोजों से इतर अंतरिक्ष में निजी पर्यटन का सिलसिला शुरू हो चुका है. ऐसे ही अभियान के तहत राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय गोपीचंद थोटाकुरा हाल में अंतरिक्ष की सैर कर लौटे हैं. ऐसे में, सुनीता विलियम्स और विल्मोर का छह महीने तक अंतरिक्ष में रुकना उतना भी खतरनाक नहीं है, जितना कि इसे समझा जा रहा है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Exit mobile version