बैकफुट पर महानायक रोहित शर्मा, पढ़ें अभिषेक दुबे का लेख
Rohit Sharma : एक स्वर्णिम करियर के यादगार सफर की स्क्रिप्ट के आखिरी कुछ पन्ने लिखे जा रहे थे. अगला निशाना 2025 में चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के ताज पर था. ठीक तभी एक मोड़ आया. हेड कोच राहुल द्रविड़ की जगह गौतम गंभीर ने ली.
Rohit Sharma : रोहित शर्मा की अगुआई में टीम इंडिया 2023 वर्ल्ड कप के फाइनल में हर टीम को रौंदकर पहुंची थी. टीम इंडिया के तत्कालीन हेड कोच राहुल द्रविड़ का करार खत्म हो गया था, लेकिन रोहित शर्मा ने राहुल द्रविड़ को फोन कर एक और कोशिश के लिए मनाया. भारत रोहित शर्मा की कप्तानी में टी-20 वर्ल्ड चैंपियन बना. उसके बाद मुख्यधारा मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में रोहित शर्मा महानायक बन गये. आइपीएल में बतौर कप्तान, रोहित पहले से लोहा मनवा चुके थे. अब उनकी तुलना लीडर के तौर पर महेंद्र सिंह धोनी से होने लगी. अखबारों में, न्यूज चैनल में, कमेंटरी बॉक्स में, रील्स में रोहित शर्मा छाये हुए थे.
एक स्वर्णिम करियर के यादगार सफर की स्क्रिप्ट के आखिरी कुछ पन्ने लिखे जा रहे थे. अगला निशाना 2025 में चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के ताज पर था. ठीक तभी एक मोड़ आया. हेड कोच राहुल द्रविड़ की जगह गौतम गंभीर ने ली. द्रविड़ धीर-गंभीर स्वभाव के हैं, लेकिन अपने नाम के विपरीत गौतम गंभीर आक्रामक हैं. कहते हैं, राजनीति में 24 घंटे भी एक लंबा अरसा होता है. खेल के मैदान में टी-20 वर्ल्ड कप चैंपियन बनने के 188 दिनों के बाद रोहित शर्मा शिखर से फर्श पर आ गये. यह प्रतिस्पर्धा का दौर है. इसमें पुराने मूल्य, मापदंड और मान्यताएं ध्वस्त हो रही हैं. रोहित शर्मा अगर पीछे मुड़कर देखेंगे, तो वह समझ सकेंगे कि भूल कहां से हुई.
रोहित को अगर अपने करियर के आखिरी एक साल की कहानी अपने मन मुताबिक लिखनी थी, तो उन्हें और चौकस तथा मुस्तैद रहने की जरूरत थी. भारत और न्यूजीलैंड के बीच घरेलू सीरीज में कप्तान और बल्लेबाज के तौर पर उन्होंने लगातार गलतियां कीं. हर गलती के साथ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल का सफर मुश्किल होता चला गया. घरेलू सीरीज में 3-0 से हार के बाद रोहित शर्मा पूरी तरह बैकफुट पर थे. ऑस्ट्रेलिया सीरीज टीम इंडिया और उनके लिए करो या मरो की लड़ाई थी, लेकिन उन्होंने फिर एक गलत दांव खेला.
रोहित शर्मा ने निजी वजहों से ऑस्ट्रेलिया सीरीज के पहले टेस्ट से खुद को अलग कर लिया था. यह सच है कि उन्होंने एक पति और पिता के दायित्व को आगे रखा, लेकिन यह प्रतिस्पर्धा का दौर है और वह बतौर बल्लेबाज उम्र के आखिरी पड़ाव पर थे. पहले टेस्ट मैच में जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में उनकी गैर मौजूदगी में टीम इंडिया जीती और रोहित अब पूरी तरह से दबाव में थे. एडिलेड टेस्ट में उन्होंने छठे नंबर पर बल्लेबाजी की, ब्रिस्बेन में भी वह छठे नंबर पर आये, लेकिन मेलबर्न में ओपनिंग कर उन्होंने टीम इंडिया का संतुलन बिगाड़ दिया. लड़ाके गंभीर को हार बर्दाश्त नहीं और हिटमैन के नाम से मशहूर रोहित शर्मा सिडनी पहुंचते ही हिट विकेट हो गये. कुल 188 दिनों में उनकी स्क्रिप्ट पूरी तरह बदल गयी. रोहित आज करियर के एक ऐसे मुहाने पर खड़े हैं, जहां से आगे का रास्ता बंद हो चुका है.
राजनीति के अखाड़े से खेल के मैदान तक प्रतिस्पर्धा का दौर है. क्रिकेट में बेशुमार पैसा है और खिलाड़ी आखिरी दम तक अपने करियर को खींचना चाहते हैं. इस दौर में यह कोई इत्तफाक नहीं कि सचिन तेंदुलकर के बाद किसी खिलाड़ी को मन मुताबिक विदाई नहीं मिली. अनिल कुंबले और एमएस धौनी को बीच सीरीज में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा. धौनी 2019 वर्ल्ड कप की हार के बाद वन-डे से बिना विदाई के चले गये. वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह और गौतम गंभीर कब और कैसे ओझल हो गये, इसकी आहट तक नहीं मिली. चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्ये रहाणे रिटायर हुए या नहीं, यह कप्तान रोहित शर्मा को प्रेस कांफ्रेंस में ध्यान तक नहीं था. हाल में जिस तरह बीच सीरीज में रविचंद्रन अश्विन की विदाई हुई, वह अब तक किसी के गले नहीं उतरा है. ऐसे में, अब वक्त आ गया है कि बीसीसीआइ के अधिकारी कामयाब कॉरपोरेट जगत की तर्ज पर एक दुरुस्त एग्जिट पॉलिसी लेकर आये. बहरहाल, रोहित शर्मा की स्क्रिप्ट में आये नाटकीय मोड़ ने कई सवाल छोड़ दिये हैं.
पहला, रोहित शर्मा की टेस्ट क्रिकेट से तो विदाई तय है, वन-डे क्रिकेट में क्या होगा? अगर वन-डे क्रिकेट में भी रोहित का सफर खत्म हो चुका है, तो चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया की कमान किसके हाथों में होगी? दूसरा, अश्विन और रोहित के बाद क्या विराट कोहली का नंबर है? विराट की बल्लेबाजी ने पोस्ट कोविड दौर में एक-दो मौके को छोड़कर टीम को हमेशा निराश किया है? तीसरा, क्या गौतम गंभीर टीम को इस संक्रमण काल से बाहर निकाल ले जाएंगे या फिर गुरु ग्रेग चैपल पार्ट-2 साबित होंगे? भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. रोहित और विराट के उत्तराधिकारी देर-सबेर तैयार हो जायेंगे, लेकिन क्रिकेट का इतिहास बताता है कि कप्तान ही हर कामयाब टीम का असली मुखिया होता है. कोच और चयनकर्ताओं की जिम्मेदारी कप्तान को सहयोग करने की रही है. ऐसे में, टीम इंडिया को रोहित शर्मा के बाद एक कप्तान की तलाश है, जो टीम इंडिया को आगे ले जाए.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)