बेशक क्रिकेट एक टीम गेम है, लेकिन अपने असाधारण प्रदर्शन के बल पर कुछ खिलाड़ी विशिष्ट पहचान बना लेते हैं. सुनील गावस्कर, कपिलदेव और सचिन तेंदुलकर को कभी भुलाया जा सकेगा क्या? टी-20 वर्ल्ड कप जीत में भारतीय टीम और परदे के पीछे के किरदारों की अहम भूमिका रही, लेकिन जो ‘त्रयी’ इस विश्व विजय के साथ विदा हुई, वह इसका मुख्य आधार रही. एक ने मार्गदर्शक और रणनीतिकार की भूमिका निभायी, तो बाकी दो ने मैदान पर करिश्मा दिखाया. तेरह साल के लंबे इंतजार के बाद भारत को चौथा विश्व कप खिताब जीतने का मौका मिला. टी-20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया को 17 साल इंतजार करना पड़ा. अमेरिका और वेस्ट इंडीज की संयुक्त मेजबानी में आयोजित इस टी-20 वर्ल्ड कप में शुरू से ही टीम इंडिया ने जैसा प्रदर्शन किया, उसे खिताब का मजबूत दावेदार माना जा रहा था.
टीम इंडिया सात मैच जीत कर फाइनल में पहुंची. एक मैच बारिश के चलते रद्द हो गया. दक्षिण अफ्रीका अपने सभी आठ मैच जीत कर पहली बार फाइनल में पहुंची. भारत को 176 रनों पर रोक कर दक्षिण अफ्रीका ने जिस तरह लक्ष्य का पीछा किया, उससे साबित हुआ कि वह वाकई बराबरी की टीम थी. मैच का पलड़ा 16वें ओवर तक दक्षिण अफ्रीका की ओर झुका रहा. उसे 24 गेंदों पर जीत के लिए 26 रन की जरूरत थी, जबकि कलासेन और मिलर जैसे बल्लेबाज क्रीज पर थे. लेकिन अंतिम चार ओवरों में बाजी पलटते हुए टीम इंडिया ने सात रन से मैच जीत लिया.
डिफेंडिंग चैंपियन इंग्लैंड को हरा कर टीम इंडिया के फाइनल में प्रवेश करते ही चर्चा शुरू हो गयी थी कि वह अपने हेड कोच राहुल द्रविड़ को वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ विदाई देना चाहेगी. साल 2021 से टीम इंडिया के हेड कोच की जिम्मेदारी निभा रहे द्रविड़ का कार्यकाल इस वर्ल्ड कप तक ही था. टी-20 वर्ल्ड कप की गुरु दक्षिणा द्रविड़ के लिए इसलिए भी खास है कि 2007 में उसी वेस्ट इंडीज की धरती पर वन डे वर्ल्ड कप में उन्हीं की कप्तानी में टीम इंडिया पहले ही दौर में हार गयी थी. सुनील गावस्कर के बाद तकनीकी रूप से भारत के सबसे मजबूत बल्लेबाज रहे द्रविड़ सचिन तेंदुलकर, रिकी पोंटिंग और जैक्स कालिस के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. पहले नेशनल क्रिकेट एकेडमी और फिर ‘अंडर-19’ और ‘इंडिया-ए’ टीम के भी हेड कोच रह चुके द्रविड़ ने जीत के इस तोहफे के लिए टीम इंडिया और खासकर कप्तान रोहित शर्मा की जिन शब्दों में प्रशंसा की, उससे उनकी विनम्रता झलकती है- ‘बेशक रोहित महान बल्लेबाज और कप्तान हैं, पर मैं उन्हें महान इंसान के रूप में याद रखूंगा और उसी रूप में उनके साथ रिश्ता रखूंगा.’
इस वर्ल्ड कप के साथ हेड कोच के रूप में राहुल द्रविड़ का टीम इंडिया से अलग होना तय था. टीम इंडिया द्वारा उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में वर्ल्ड कप जीत का तोहफा देने की उम्मीदें भी थीं, लेकिन वर्ल्ड चैंपियन बनते ही जिस तरह दोनों बड़े खिलाड़ियों ने टी-20 क्रिकेट को अलविदा कह दिया, उसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी. रोहित और विराट हाल के वर्षों में भारतीय क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय पहचान ही बन गये. फाइनल में भारतीय बल्लेबाजी की धुरी रहे विराट कोहली ने सबसे पहले टी-20 से रिटायरमेंट का ऐलान किया. ‘प्लेयर ऑफ द फाइनल’ का पुरस्कार लेते हुए कोहली ने ऐलान किया कि यह उनका टीम इंडिया के लिए आखिरी टी-20 मैच था. टूर्नामेंट के पहले के मैचों में कुछ खास नहीं कर पाये कोहली ने फाइनल में 59 गेंदों पर 76 रन बनाये. क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. कुछ देर बाद कप्तान रोहित शर्मा ने भी अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी. साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप से शुरुआत कर लगातार नौ वर्ल्ड कप खेलने वाले रोहित ने इस टूर्नामेंट में लगातार विस्फोटक ओपनिंग दी. उनकी बल्लेबाजी और कप्तानी का लोहा दूसरी टीमें भी मानती हैं. जीत के बाद भावुक होकर मैदान पर लेटने और मिट्टी को चूमनेवाले रोहित ने कहा- ‘टी-20 से संन्यास के लिए इससे बेहतर समय दूसरा नहीं हो सकता है. मैं पूरी संतुष्टि के साथ क्रिकेट के इस फॉर्मेट को अलविदा कह रहा हूं.’
कमोबेश यही बात विराट कोहली ने कही कि वर्ल्ड कप जीतने का सपना साकार होने के बाद विदाई का यही सही समय है. भारत में युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं. उन्हें आगे आना चाहिए. रोहित और विराट के रिश्तों की गर्मजोशी भी मैदान पर दिखी. विराट को गले लगा कर रोहित की आंखों से आंसू छलक आये. रोहित और विराट के प्रशंसकों के लिए राहत की बात है कि ये दोनों वन डे और टेस्ट क्रिकेट के साथ-साथ आइपीएल भी खेलते रहेंगे. रोहित और विराट के टी-20 से संन्यास के कारणों को लेकर कुछ अटकलें भी हैं, जिनका सच शायद ही पता चले. बेशक आइपीएल और इस टी-20 वर्ल्ड कप में प्रदर्शन बताता है कि ‘जय-वीरू’ जैसी यह जोड़ी आगे भी खेल सकती थी, लेकिन कहा जाता है कि संन्यास तब लेना चाहिए, जब लोग पूछें कि अरे अभी से, न कि तब जब लोग पूछने लगें कि अभी भी नहीं?
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)