पौष्टिक भोजन से टीबी उन्मूलन

ऐसे समय जब ट्यूबरक्यूलोसिस के 40 प्रतिशत नये मरीज हर साल सामने आ रहे हैं, दवाओं के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण भोजन इसकी रोकथाम में कारगर हो सकता है.

By संपादकीय | August 11, 2023 8:19 AM

भोजन की बेहतर गुणवत्ता से टीबी (यक्ष्मा रोग) को पराजित किया जा सकता है. हाल में हुए एक परीक्षण के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है. यह परीक्षण इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से झारखंड में दो चरणों में कराया गया. इस परीक्षण के आधार पर कहा जा रहा है कि दुनिया से टीबी के खात्मे की दिशा में परीक्षण के परिणामों को बतौर रणनीति शामिल किया जाना चाहिए. परीक्षण के परिणामों के बारे में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट ने विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित की है.

भारत सहित तीसरी दुनिया के देशों में टीबी का प्रकोप नये-नये रूपों में सामने आ रहा है. ऐसे में टीबी उन्मूलन की दिशा में दवाओं के अलावा पौष्टिक भोजन की जरूरत पर इस अध्ययन का महत्व बढ़ जाता है. पौष्टिक भोजन न केवल टीबी मरीजों की संख्या कम कर सकता है बल्कि इससे होनेवाली मौतों को भी एक हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने झारखंड के 10,345 घरों के 2800 टीबी मरीजों पर परीक्षण किया.

दो चरणों में हुए परीक्षण के दौरान देखा गया कि कैसे गुणवत्तापूर्ण भोजन उनकी बीमारी को कम करने या उसे खत्म करने में कारगर हो रहा है. ऐसे समय जब टीबी के 40 प्रतिशत नये मरीज हर साल सामने आ रहे हैं, दवाओं के अलावा गुणवत्तापूर्ण भोजन इसकी रोकथाम में कारगर हो सकता है. परीक्षण में शामिल विशेषज्ञों का दावा है कि यह टीबी मरीजों के उपचार में सहायक है. यही नहीं, परीक्षण के दौरान यह बात भी उभरकर सामने आयी कि पौष्टिक भोजन टीबी के फैलाव या उसकी सक्रियता को भी कम कर सकता है.

टीबी मरीजों के खांसने से जीवाणु हवा में फैलते हैं. परीक्षण में शामिल टीम का दावा है कि पौष्टिक भोजन संक्रमण को रोकने में भी कारगर है. यह फेफड़े के अलावा अन्य टीबी मरीजों को बीमारी से उबारने में सहायक है. इसी परीक्षण पर आधारित दूसरा अध्ययन लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है. इसमें देखा गया कि टीबी मरीजों का वजन बढ़ जाये, तो उनके इलाज की समयावधि कम हो जाती है. अध्ययन में पाया गया कि दो महीनों के टीबी मरीज के उपचार के दौरान अगर उसके वजन में एक फीसदी का इजाफा होता है, तो उसके इलाज की अवधि 13 प्रतिशत कम हो जाती है.

मरीज का वजन अगर पांच प्रतिशत बढ़ जाये, तो इलाज की अवधि 61 प्रतिशत तक कम हो सकती है. जिन मरीजों को पौष्टिक भोजन के रूप में फूड बास्केट दिये गये, उस पर प्रति मरीज प्रति महीने के हिसाब से 1100 रुपये खर्च हुए.

Next Article

Exit mobile version