17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खतरनाक है अल-नीनो की वापसी

मैदानी क्षेत्रों में गर्मी की लहर तब आती है, जब तापमान 40 डिग्री पार कर जाता है. पर्वतीय इलाकों में जब तापमान 30 डिग्री हो जाता है, रात का तापमान 40 से अधिक हो और तटीय इलाकों में 37 डिग्री से अधिक होता है

तापमान में हो रही बढ़ोतरी बेहद खतरनाक संकेत है. खतरनाक इसलिए भी कि इससे देश के कुछ हिस्सों में गर्मी की लहर जैसे हालात बन रहे हैं. भारतीय समुद्र ज्यादा गर्म हो रहा है. इसका परिणाम हमारे सामने मानसून के पहले और उसके दौरान और बाद में भीषण प्रलयकारी बारिश की घटनाओं में बढ़ोतरी के रूप में आया है. समुद्र में उठने वाली तेज लू की भयंकर लहरें भविष्य में इस समस्या को और विकराल बना देंगी.

यदि बीते दिनों ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट की मानें, तो अब यह तथ्य प्रमाणित हो चुका है कि 1870 से लेकर आज तक भारतीय समुद्र के औसत तापमान में 1.4 डिग्री की बढ़ोतरी हो चुकी है, जो दूसरे समुद्र के मुकाबले सबसे ज्यादा है. हालात गवाह हैं कि देश में समुद्र का तेजी से बढ़ता तापमान और लंबे समय तक चलने वाली समुद्री लू की वजह से देश के समुद्र तटीय राज्यों में बारिश की घटनाओं में तेजी आ रही है. इसका सामना देश के 27 राज्य और 75 फीसदी जिले कर रहे हैं.

उनकी करीब 63.8 करोड़ आबादी इसकी चपेट में है. रिपोर्ट की मानें, तो 2000 से पहले कोई भी गर्मी की लहर अमूमन 50 दिनों के भीतर समाप्त हो जाती थी, लेकिन अब इसका समय बढ़कर 250 दिन के करीब हो चुका है, जो मानसून पर असर डाल रही है. बीते साल कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में दुनिया ने रिकॉर्ड बनाया है.

मैदानी क्षेत्रों में गर्मी की लहर तब आती है, जब तापमान 40 डिग्री पार कर जाता है. पर्वतीय इलाकों में जब तापमान 30 डिग्री हो जाता है, रात का तापमान 40 से अधिक हो और तटीय इलाकों में 37 डिग्री से अधिक होता है, तब गर्मी की लहर की स्थिति होती है. वर्तमान में उतर भारत में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक है. पहाड़ी राज्यों के निचले इलाकों में अधिकतम तापमान वृद्धि की दर 10 से 11 डिग्री दर्ज की गयी है.

असलियत यह है कि देश के बहुतेरे हिस्से 100 फीसदी तक बारिश के अभाव में सूखे ही रह गये. करीब आठ राज्य- दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र- में आने वाले दिनों में तापमान में तेजी से बढ़ेगा. तापमान में यह बढ़ोतरी अल-नीनो की वापसी का नतीजा है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन की मानें, तो ला-नीना के तीन साल तक लगातार सक्रिय रहने के कारण दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तापमान बढ़ोतरी और बारिश के चक्र की पद्धति में असाधारण रूप से बदलाव आया है.

ला-नीना भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर की सतह में निम्न हवा के दबाव बनने की स्थिति में बनता है. यह एक प्रतिसागरीय धारा होती है, जो पश्चिमी प्रशांत महासागर में तब पैदा होती है, जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में अल-नीनो का असर खत्म हो जाता है. ऐसी स्थिति में समुद्र की सतह का तापमान कम हो जाता है. तात्पर्य यह कि ला-नीना के दौरान उष्णकटिबंधीय प्रशांत द्वारा गर्मी को एक सोख्ता की तरह सोख लिया जाता है.

इससे पानी का तापमान बढ़ता है. यही गर्म पानी अल-नीनो प्रभाव के दौरान पश्चिमी प्रशांत से पूर्वी प्रशांत तक बहता है. ला-नीना के लगातार तीन बार, या यों कहें कि तीन दौर, गुजरने का मतलब यह है कि गर्म पानी की मात्रा चरम पर है. जहां तक अल-नीनो का सवाल है, यह उष्णकटिबंधीय प्रशांत के भू-मध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में होने वाले बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना है.

इसी बदलाव से समुद्री सतह का तापमान बढ़ जाता है. इसके मार्च से मई के बीच दक्षिणी दोलन (इएनएसओ) में तटस्थ स्थिति में 90 फीसदी आगे बढ़ने की संभावना है. इसका अहम कारण प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारतीय मानसून की दृष्टि से उपयुक्त माने जाने वाले ला-नीना का प्रभाव का खत्म होना है. नेशनल ओशन एंड एटमॉस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोवा) के अनुसार ला-नीना का अल-नीनो में रूपांतरण अप्रैल तक चलेगा, जो 21वीं सदी में हुई पहली पुनरावृत्ति है.

यह अब तक का सबसे लंबा दौर भी है, जो लगातार तीसरी बार पड़ना एक विलक्षण घटना है. इसका असर 1950 से अभी तक केवल दो बार- 1973 से 1976 और 1998 से 2001 के बीच- ही पड़ा है. इस बार इसका असर अप्रैल तक होगा, जो 80 फीसदी तक असर डालेगी. नोवा के मुताबिक मई से जुलाई तक इसमें बढ़ोतरी होगी. इस दौरान 60 फीसदी देश में सूखा पड़ने की संभावना रहती है.

तापमान में बढ़ोतरी और बारिश के चक्र में आये बदलाव से न केवल समुद्र में हलचल बढ़ रही है, सूखे की संभावना बलवती हो रही है, वहीं यह इंसान और जानवरों के बीच करीब 80 फीसदी बढ़ रहे संघर्ष का कारण भी बना है. इसकी अहम वजह यह है कि जीव-जंतु मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव को स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हैं. तापमान में बेतहाशा बढ़ोतरी और बारिश में बढ़ता असंतुलन खतरनाक संकेत है और चुनौतीपूर्ण भी, जिनका समाधान बेहद जरूरी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें