नशीले पदार्थों पर कड़ाई
नशीले पदार्थ न केवल हमारे वर्तमान को तबाह कर रहे हैं, बल्कि देश के भविष्य को भी अंधेरे में धकेल रहे हैं.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार का उद्देश्य केवल नशीले पदार्थों को पकड़ना ही नहीं है, बल्कि नशे की समस्या का पूर्ण उन्मूलन है. मादक द्रव्यों के विरुद्ध लड़ाई के क्रम में गृह मंत्री ने पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक की है. इससे पहले चंडीगढ़ में ऐसा सम्मेलन हुआ था. सरकार की पहल का परिणाम भी दिख रहा है. स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर गृह मंत्रालय ने 75 हजार किलो नशीले पदार्थों को नष्ट करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन इससे दोगुनी मात्रा को जलाया जा चुका है.
इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों के समक्ष दोहरी चुनौती है. एक चुनौती तो बाहर, विशेषकर म्यांमार और अफगानिस्तान, से आने वाले नशीले पदार्थों को पकड़ना है तथा दूसरी ओर देश के भीतर गांजा व अफीम की खेती को हतोत्साहित करना है. वर्ष 2006 से 2013 के बीच नशीले पदार्थों को पकड़ने और तस्करी में शामिल लोगों की गिरफ्तारी से जुड़े 1297 मामले दर्ज हुए थे. वर्ष 2014 से 2022 की अवधि में यह आंकड़ा 3172 हो गया.
इससे यह इंगित होता है कि सरकारी एजेंसियां मुस्तैदी से जुटी हुई हैं, पर मामलों की तादाद बढ़ना यह भी बताता है कि यह समस्या बेहद गंभीर है और इसके समाधान में समय लग सकता है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार, 2016 के बाद से 2020 में सबसे अधिक अफीम और हेरोइन समेत विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों को पकड़ा गया था. म्यांमार और अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान के रास्ते भी मादक द्रव्यों को भारत लाया जाता रहा है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में दक्षिण-पश्चिम एशिया से समुद्री रास्ते से हेरोइन लाने का चलन बढ़ा है.
कोरोना महामारी के दौर में हवाई और सड़क मार्गों के बंद होने से अंतरराष्ट्रीय तस्करों ने समुद्री मार्ग का अधिक उपयोग करना शुरू किया है. पूर्वोत्तर भारत में नदियों के जरिये नशीले पदार्थ लाये जाते हैं. इसके अलावा, इंटरनेट से भी ड्रग्स आपूर्ति की जा रही है. चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है, इसलिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बाहर की एजेंसियों के साथ मिलकर तस्करी रोकने की कोशिश करता है.
देश के भीतर भी विभिन्न सरकारों और एजेंसियों के बीच सक्रिय सहकार की आवश्यकता है. इस ओर ध्यान दिलाने के साथ-साथ गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकों को भी आगे आने का आह्वान किया है. ध्यान रहे, नशीले पदार्थ न केवल हमारे वर्तमान को तबाह कर रहे हैं, बल्कि देश के भविष्य को भी अंधेरे में धकेल रहे हैं. ब्यूरो का आकलन है कि भारत में करीब 10 करोड़ लोग अलग-अलग मादक पदार्थों की लत का शिकार हैं. हमें नशा मुक्त भारत बनाना ही होगा.