पाकिस्तान की चालबाजी
पाकिस्तान अपने कश्मीर व गिलगिट-बाल्टिस्तान के अवैध कब्जे को छुपाने के लिए ऐसे फैसले कर रहा है, जिससे वहां रोष बढ़ रहा हैं
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर लगातार मात खा रहे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अंतरिम राज्य का दर्जा देना न केवल एक आपत्तिजनक पैंतरा है, बल्कि यह भारत के विरुद्ध एक आक्रामक कार्रवाई भी है. भारत ने स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर एवं गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र समेत समूचा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं. पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे को छुपाने के लिए ऐसे फैसले कर रहा है.
कश्मीर घाटी में अलगाव और आतंक को बढ़ावा देने की पाकिस्तानी नीति को पिछले कुछ समय से कई बड़े झटके लगे हैं. इसके अलावा अवैध कब्जे वाले कश्मीर एवं गिलगिट-बाल्टिस्तान में पाकिस्तानी सरकार और सेना द्वारा हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के विरुद्ध लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. कुछ दिन पहले सऊदी अरब द्वारा इन क्षेत्रों को पाकिस्तानी नक्शे से हटाने से भी इमरान खान सकते में हैं क्योंकि वे सऊदी अरब को अपना नजदीकी मानते हैं.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बारे में भारतीय संसद एवं सरकार के निर्णयों पर भी उन्हें वैश्विक मंचों पर मुंह की खानी पड़ी है. एक तरफ उनके ऊपर पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी एवं चरमपंथी गिरोहों पर कार्रवाई करने का व्यापक दबाव है, वहीं दूसरी ओर उनकी विफलताओं के कारण जनता में रोष बढ़ता जा रहा है. इन मामलों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इमरान खान ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का अंतरिम राज्य बनाने की चाल चली है, जो सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और भारत को चुनौती देने की कार्रवाई है. इस क्षेत्र में बरसों से भयावह दोहन का सिलसिला जारी है तथा अनेक परियोजनाओं में सीधे तौर पर चीन की भागीदारी भी है.
ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इमरान खान चीन के उकसावे पर यह कर रहे हैं. ऐसा अंदेशा बहुत समय से है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई महीनों से आक्रामक चीन पाकिस्तान की आड़ में भारत के विरुद्ध एक और मोर्चा खोलने की रणनीति अपना सकता है. यह भी सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान से दक्षिण एशिया में आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करनेवाले सरगना मसूद अजहर और कुछ अन्य ऐसे तत्वों को चीन का संरक्षण प्राप्त है.
पाकिस्तान का यह रवैया वैसे लोगों के लिए भी एक सबक है, जो पाकिस्तान को कश्मीर का हितैषी समझने के भ्रम के शिकार हैं. ऐसे लोगों को पाक-अधिकृत कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान के निवासियों में इमरान खान के इस निर्णय के विरुद्ध क्रोध व क्षोभ को देखना चाहिए. वैश्विक परिदृश्य में भारत-विरोधी आतंक व हिंसा के मसले पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारतीय कूटनीतिक प्रयास अब तक बहुत सफल रहे हैं. गिलगिट-बाल्टिस्तान पर इमरान खान के रवैये पर सीधे कड़ी आपत्ति जताने के साथ भारत को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जोर-शोर से उठाना चाहिए.
Posted by: Pritish Sahay