उद्यमों का भरोसा
उद्यमियों में फिर से बढ़ोतरी की ओर बढ़ने के भरोसे का आधार यह है कि महामारी से उबरने के बाद फिर से हर तरह की गतिविधियां तेजी से होने लगेंगी.
कोरोना संक्रमण का सिलसिला जारी है तथा कामकाज के सामान्य होने में देरी की आशंका है. इस स्थिति से छोटे और मझोले उद्यम सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर को उम्मीद है कि कोरोना काल से निकालने के बाद उनके उपक्रम फिर से पटरी पर आ जायेंगे. उद्यमियों के एक वैश्विक संगठन और क्रिया विश्वविद्यालय के साझे सर्वे के मुताबिक 81 फीसदी कारोबारियों को भरोसा है कि जल्दी ही उनका व्यवसाय पहले की तरह बढ़ने लगेगा.
यह भरोसा इसलिए बेहद अहम है क्योंकि 57 फीसदी के पास अपने उद्यम को बचाने के लिए नकदी भी नहीं है और 40 फीसदी को अपने चालू खर्च के लिए कर्ज उठाना पड़ा है. इनमें से केवल 14 फीसदी ने ही औपचारिक स्रोतों से ऋण लिया है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि छोटे और मझोले उद्यम किस कदर संकट से घिरे हैं. सरकार मई में ही आर्थिक और वित्तीय समस्याओं के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है.
उद्योग जगत को सहारा देने के इरादे से छोटे और मझोले उद्यमों के आकार को बढ़ाने का नियमन भी लागू हो चुका है. हमारे देश में जितनी भी कंपनियां और व्यवसाय हैं, उनमें से लगभग 99 फीसदी छोटे व मझोले उद्यम हैं. इस क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार हैं और बड़े उद्योगों को भी इनसे जरूरी सहारा मिलता है. पैकेज के तहत जुलाई के मध्य तक इस क्षेत्र को ऋण गारंटी योजना के तहत 1.23 लाख करोड़ रुपये का वित्त उपलब्ध कराया जा चुका है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है.
लेकिन संकट की गंभीरता को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी और सहयोग की दरकार है. सरकार ने संकेत दिया है कि तीन लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण के अलावा भी आगामी दिनों में राहत के अन्य उपाय किये जा सकते हैं. लॉकडाउन से देश अब धीरे-धीरे अनलॉक की ओर अग्रसर है तथा कई कारोबार और उत्पादक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं. ऐसे में बाजार से भी धन की आमद संभावित है. क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि कोरोना संकट की वजह से छोटे, मझोले और माध्यम उद्यमों के राजस्व में 20 से 22 फीसदी की कमी आ सकती है.
रोजगार, आमदनी, उपभोग, मांग और उत्पादन जैसे कारक एक-दूसरे से संबद्ध हैं तथा कोरोना काल में इन सभी के ऊपर वज्रपात हुआ है. ऐसे में उद्यमियों में फिर से बढ़ोतरी की ओर बढ़ने के भरोसे का आधार यह है कि महामारी से उबरने के बाद फिर से हर तरह की गतिविधियां तेजी से होने लगेंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता और स्थानीय उत्पादन व उपभोग के आह्वान ने नयी आशा का संचार किया है. हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि निर्माण में 40 और जीडीपी में आठ फीसदी का योगदान करनेवाला छोटे व मझोले उद्यमों का क्षेत्र जल्दी ही विकास की ओर उन्मुख होगा.