भारत में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान तथा स्वास्थ्य सेवा में तकनीक के व्यापक उपयोग के उल्लेखनीय परिणाम हमारे सामने हैं. बिल गेट्स ने इन प्रयासों को अनुकरणीय बताते हुए कहा है कि दुनिया के लिए इनमें कई सबक हैं. बहुत समय से गेट्स भारत समेत कई देशों में स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जुड़े हुए हैं, इसलिए उनकी प्रशंसा महत्वपूर्ण है.
पिछले वर्ष जनवरी के मध्य में प्रारंभ हुआ टीकाकरण अभियान एक अभूतपूर्व कार्यक्रम है और आधुनिक इतिहास में इतने बड़े पैमाने पर कहीं टीकाकरण नहीं हुआ है. यह भी उल्लेखनीय है कि इसमें देश में ही निर्मित टीकों का इस्तेमाल हुआ है. अब तक वयस्क आबादी के 88 प्रतिशत हिस्से को दोनों खुराक दी जा चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, करीब 1.9 अरब खुराक दी जा चुकी है.
इसमें एक अरब पहली खुराक तथा लगभग 89 करोड़ दूसरी खुराक है. बारह साल से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति टीका ले सकता है तथा महामारी से चल रही लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में खड़े कर्मियों एवं बुजुर्गों को बड़ी संख्या में बूस्टर डोज भी दिया जा चुका है. अब तक 33.3 करोड़ से अधिक ऐसी खुराक दी जा चुकी है.
वर्तमान में देशभर में 43 हजार से अधिक केंद्रों पर टीकाकरण चल रहा है, जिनमें 41.4 हजार से अधिक सरकारी तथा 1619 निजी केंद्र हैं. इस अभियान के तहत अधिकतर लोगों को मुफ्त टीका दिया गया है. कोविन वेबसाइट तथा आरोग्य सेतु एप ने कोरोना की रोकथाम में अहम भूमिका निभायी है, जिसे बिल गेट्स ने रेखांकित किया है.
इन तकनीकी पहलों के जरिये लोगों को महामारी से जुड़ी हर जानकारी मिलती रही है तथा जांच और टीकाकरण का भी सही हिसाब रखना संभव हो पाया. केंद्र और राज्य सरकारों ने इन स्रोतों से संग्रहित जानकारी के आधार पर फोन और कर्मियों द्वारा भी लोगों से संपर्क रखा. समय-समय पर लोगों से फोन के माध्यम से जानकारियां दी गयीं तथा उन्हें टीका लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
कोरोना काल में तकनीक का एक बड़ा लाभ यह हुआ कि लोगों को घर बैठे चिकित्सकों से परामर्श मिलता रहा. बीते 24 घंटे में संक्रमण के 2,828 नये मामले सामने आये हैं और 14 लोगों की मौत हुई है. भले ही कोरोना पर काबू पा लिया गया है, पर अभी भी सतर्क रहने की आवश्यकता है. ऐसे में टीकाकरण अभियान तथा संबंधित तकनीकी प्रयासों की उपयोगिता बनी हुई है.
पिछले कुछ वर्षों से देशभर में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार हुआ है तथा स्वास्थ्य सेवा में भी तकनीक के इस्तेमाल पर बल दिया जा रहा है. कोरोना काल के संकट से निपटने में हमें इसका लाभ मिला है. महामारी के अनुभवों के साथ हम भविष्य में ऐसी किसी विकराल चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हैं. यदि अन्य देश भी भारतीय मॉडल से सीख लेते हैं, दुनिया कहीं अधिक सुरक्षित हो सकती है.