देश का दिल जीतने वाली विनेश का संन्यास

विनेश फोगाट के मुकाबले के दूसरे दिन वजन ज्यादा निकलने पर अयोग्य घोषित करने और सेमीफाइनल में उनसे हारीं क्यूबा की गुलजान लोपेजी को फाइनल में स्थान देने के बाद ऐसा लग रहा था कि देश की हीरोइन को खाली हाथ लौटना पड़ेगा. पर विनेश ने सीएएस, यानी कोर्ट ऑफ अबिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में अपील कर उन्हें रजत पदक देने की मांग की है.

By मनोज चतुर्वेदी | August 9, 2024 8:03 AM

Vinesh Phogat: विनेश फोगाट सही मायनों में योद्धा हैं. उनका करियर दिक्कतों से भरा रहा है, पर कोई दिक्कत उनकी हिम्मत को तोड़ने में सफल नहीं हो सकी. फिर चाहे कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ आवाज उठाना हो, या ओलिंपिक में स्थान बनाने के लिए वजन वर्ग को बदलना. पर पेरिस ओलिंपिक में 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में उतरने से पहले किये गये वजन में 100 ग्राम ज्यादा निकलने से उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ा. इस घटना ने उन्हें तोड़ दिया और उन्होंने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी. यह जांबाज पहलवान पेरिस से रजत पदक के साथ लौटे या खाली हाथ, देशवासियों को उन्हें अपने सिर-माथे पर बैठाना है, यह तय है.


विनेश फोगाट के मुकाबले के दूसरे दिन वजन ज्यादा निकलने पर अयोग्य घोषित करने और सेमीफाइनल में उनसे हारीं क्यूबा की गुलजान लोपेजी को फाइनल में स्थान देने के बाद ऐसा लग रहा था कि देश की हीरोइन को खाली हाथ लौटना पड़ेगा. पर विनेश ने सीएएस, यानी कोर्ट ऑफ अबिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में अपील कर उन्हें रजत पदक देने की मांग की है. यह मांग किसी हद तक जायज लगती है. इसकी वजह है कि दो दिन चलने वाले मुकाबले में पहले दिन जब वह तीन कुश्तियां जीत फाइनल में पहुंची थीं, उस दिन उनका वजन सही था, इसलिए पहले दिन उन्होंने जो हासिल किया है, उसे तो उन्हें दिया जाए. जहां तक बात यूनाइटेड कुश्ती फेडरेशन के नियमों की है, तो उसके हिसाब से ज्यादा वजन निकलने वाले पहलवान को अंतिम स्थान पर रखा जायेगा.

अब यह तो सीएएस का निर्णय आने पर ही पता चलेगा कि क्या वह ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान बनेंगी? विनेश में सिस्टम से लड़ने का जज्बा और दृढ़ विश्वास है. उन्होंने कभी नहीं सोचा कि इसका परिणाम क्या होगा. इस खूबी के चलते ही वह भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का अभियान चलाने में सफल हुईं और उन्हें पद से हटवाकर ही दम लिया. हालांकि यह सही है कि कुश्ती पर अभी भी बृजभूषण सिंह के समर्थक ही काबिज हैं. शायद यही वजह है कि विनेश को अपने नियमित वजन वर्ग 53 किग्रा के बजाय 50 किग्रा वर्ग में उतरना पड़ा है.


विनेश के जंतर मंतर पर धरना कार्यक्रम के लंबे समय तक चलाने के बाद वह काफी समय तक घुटने की चोट से परेशान रहीं. इस दौरान ही अंतिम पंघाल ने विश्व चैंपियनशिप में 53 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतकर ओलिंपिक कोटा हासिल कर लिया. भारतीय कुश्ती फेडरेशन पूर्व में कोटा लाने वाले पहलवान को ही भेजता था. पर उस समय पीटी ऊषा की अगुवाई वाली तदर्थ समिति कामकाज देख रही थी. उन्होंने ओलिंपिक में भाग लेने वाली पहलवान के लिए ट्रायल कराने की बात कही थी. पर कुछ ही समय बाद संजय सिंह की अगुवाई में नये पदाधिकारी आ गये. विनेश ने फिर भी इस मामले में पूछताछ की, पर सही जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने सोचा कि कहीं ओलंपिक जाने का मौका हाथ से न निकल जाए, इसलिए उन्होंने 50 किग्रा वर्ग को अपना लिया और इस वर्ग का ओलिंपिक कोटा भी हासिल कर लिया.

विनेश को इस समस्या का सामना कोई पहली बार नहीं करना पड़ा है. वर्ष 2016 के रियो ओलिंपिक के पहले क्वालिफायर में 400 ग्राम वजन बढ़ जाने के कारण वह अयोग्य हो गयी थीं. बाद में दूसरे क्वालिफायर में ओलिंपिक कोटा लेकर रियो में भाग लेने गयी थीं. विनेश की घटना के बाद मुकाबले के दोनों दिन वजन लेने के नियम की भी आलोचना हो रही है. पर यह नियम असल में ज्यादा वजन वाले पहलवानों के कम वजन में उतरने से रोकने के लिए लाया गया है. ओलिंपिक कुश्ती में पहले वजन वर्ग के मुकाबले शुरू होने वाले दिन पहलवानों का वजन लेने का नियम था. मुकाबले के दूसरे दिन वजन नहीं लिया जाता था. परंतु अब यूनाइटेड कुश्ती फेडरेशन ने नियम में बदलाव ही इसलिए किया कि रूस जैसे कई देशों के पहलवान वजन कम करके छोटे वजन वाले वर्गों में उतरते थे और फिर वजन कराने के बाद अपना चार-पांच किलो तक वजन बढ़ाकर कुश्ती लड़ते थे. इसे रोकने के लिए यह नियम आया है.


ओलिंपिक पदक जीतना विनेश का सपना रहा है. वह ओलिंपिक के अलावा विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक पा चुकी हैं. केवल ओलिंपिक ही है, जिसमें उनकी पदक से दूरी बनी हुई है. यह दूरी खत्म होगी या नहीं, यह सीएएस के निर्णय पर निर्भर होगा. वह यदि रजत पदक देने की उनकी मांग को मान लेता है, तो इस उपलब्धि को पाने वाली वह पहली भारतीय महिला पहलवान बन जायेंगी. यदि ऐसा नहीं होता है, तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ेगा और उनका सपना साकार होने से रह जायेगा, क्योंकि वह संन्यास लेने की घोषणा कर चुकी हैं. वैसे उन्हें कुश्ती सिखाने वाले ताऊ महावीर ने कहा है कि वह विनेश के लौटने पर संन्यास का निर्णय वापस लेने के लिए मनायेंगे. विनेश पदक के साथ लौटें या खाली हाथ, उन्होंने पहले दिन तीन कुश्तियां जीत देशवासियों के दिलों पर राज तो कर ही लिया है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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