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सालों तक याद रहेगा कोहली के बल्ले का जादू

विराट कोहली के करियर का यह चौथा विश्व कप सेमीफाइनल था और वह पिछले तीनों मौकों पर दहाई अंकों में भी रन नहीं बना सके थे. पर उन्होंने अपनी इस शतकीय पारी से भारत को फाइनल की राह दिखाने में अहम भूमिका निभाकर बता दिया कि उन्हें किंग कोहली क्यों कहा जाता है.

भारतीय क्रिकेट में किंग कोहली के नाम से मशहूर विराट ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर के 49 वनडे शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ने पर जिस तरह हवा में उछलकर जश्न मनाया, उससे देश के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को अहसास हुआ कि उनकी क्रिकेट के आसमान पर ही जगह है. उन्होंने वनडे क्रिकेट में रिकॉर्ड 50वां शतक लगाने के बाद इस मैच को देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के सामने घुटने पर बैठकर जिस तरह उनका आभार जताया, उससे लगा कि भले ही उनके करियर के पहले वनडे मैच के दौरान साथी खिलाड़ियों ने मजाक में सचिन के पैर छुलवा दिये थे, पर उनके दिमाग में अपने आदर्श का वही सम्मान है.

यह भी सच है कि विराट कोहली जितना सचिन का सम्मान करते हैं, सचिन भी उनसे उतना ही प्यार करते हैं. सचिन ने अपना रिकॉर्ड तोड़े जाने पर कहा, ‘जब मैं पहली बार ड्रेसिंग रूम में मिला था, तो साथियों ने आपसे मेरे पैर छुलवाये थे. उस समय मैं अपनी हंसी नहीं रोक सका था. आपके जुनून और कौशल ने मेरे दिल को छू लिया है. मैं खुश हूं कि वह युवा लड़का अब विराट खिलाड़ी बन गया है. एक भारतीय ने मेरे रिकॉर्ड को तोड़ा है, यह और भी खुशी की बात है.’ यह माना जाता है कि आक्रामक क्रिकेट के अगुवा विव रिचर्ड्स रहे हैं और उनसे बेटन सचिन तेंदुलकर को मिला तथा सचिन से विराट कोहली को.

विराट कोहली के रिकॉर्ड 50वें शतक लगाने के समय विव रिचर्ड्स और सचिन तेंदुलकर दोनों का ही मौजूद रहना, इस शतक की अहमियत को और बढ़ाता है. विराट के इस शतक लगाने का मौका बेहद अहम था, क्योंकि यह आइसीसी क्रिकेट विश्व कप का सेमीफाइनल मुकाबला था और वह एक ऐसी टीम से खेल रहे थे, जो पिछले काफी समय से टीम इंडिया के विश्व कप के सपने को तोड़ती रही थी. यही नहीं, विराट के करियर का यह चौथा विश्व कप सेमीफाइनल था और वह पिछले तीनों मौकों पर दहाई अंकों में भी रन नहीं बना सके थे. पर उन्होंने अपनी इस शतकीय पारी से भारत को फाइनल की राह दिखाने में अहम भूमिका निभाकर बता दिया कि उन्हें किंग कोहली क्यों कहा जाता है.

विराट कोहली ने वनडे में शतकों का अर्धशतक बनाने के बाद कहा, ‘महानतम खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का बधाई देना मेरे लिए सपने जैसा है. यह अहसास इतना अच्छा है कि विश्वास ही नहीं हो रहा है.’ इससे यह तो साफ है कि उनके मन में सचिन के प्रति कितना सम्मान है और वह सचिन का रिकॉर्ड तोड़ने से खुश तो होते हैं, पर कभी अपने आदर्श से तुलना करना पसंद नहीं करते हैं. यही वजह है कि अपनी 35वीं वर्षगांठ पर सचिन के 49 शतकों की बराबरी करने पर कहा था कि मैं सचिन जैसा कभी नहीं हो सकता. फिर भी तुलना होना स्वाभाविक है. सचिन ने 49 वनडे शतक लगाने में 452 पारियां खेलीं थीं और विराट ने 50 शतकों तक पहुंचने में मात्र 279 पारियां ही खेलीं हैं.

विराट ने 24 दिसंबर, 2009 को ईडन गार्डन पर श्रीलंका के खिलाफ पहला वनडे शतक लगाया था. वे अब तक क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में 80 शतक लगा चुके हैं और सचिन की तरह शतकों का शतक लगाने के लिए उन्हें 20 शतकों की जरूरत है. विराट ने 2023 में अब तक टेस्ट और वनडे में आठ शतक लगाये हैं. इस तरह खेलकर वह तीन वर्षों में इस मामले में भी शिखर पर पहुंच सकते हैं. वह एक विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में सचिन के 673 रनों के रिकॉर्ड को पहले ही तोड़ चुके हैं. वह अब तक 711 रन बना चुके हैं.

विराट बेजोड़ खिलाड़ी जरूर हैं, पर उन्हें भी करियर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. भारत के 2021 के टी-20 विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने पर उन्होंने टी-20 की कप्तानी छोड़ दी थी. इस पर बीसीसीआइ के चयनकर्ताओं ने यह कहकर, कि सफेद बॉल का एक ही कप्तान होना चाहिए, दक्षिण अफ्रीकी दौरे के लिए उन्हें वनडे की कप्तानी से भी हटा दिया. इस पर उन्होंने टेस्ट की कप्तानी भी छोड़ दी थी. पर इन सबके बावजूद उन्होंने प्रदर्शन से कभी समझौता नहीं किया. यही वजह है कि वह आज भी टीम की जरूरत बने हुए हैं. विराट नवंबर, 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय शतक लगाने के बाद से शतकीय पारी के लिए जूझ रहे थे.

इसके बाद बल्ले के रूठे रहने से उन्हें तमाम आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा. विराट ने बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगाने के बाद 83 पारियां बिना शतक के खेलीं थीं. परंतु अब जिस अंदाज में उन्होंने शतक लगाया, उसे सालों साल याद रखा जायेगा. विराट की आक्रामकता की बात अक्सर की जाती है. परंतु लोग भूल जाते हैं कि उनकी आक्रामकता दो तरह की है. वह फील्डिंग करते समय जो आक्रामकता दिखाते हैं, वही उनकी पहचान बनी हुई है. पर बल्लेबाजी करते समय वह जैसे एक रन चुराते हैं और एक को दो रनों में बदलते हैं, यह उनकी आक्रामकता ही है. यही आक्रामकता कवर ड्राइव, कट या फ्लिक लगाते समय भी दिखती है. यही नहीं, वह फिटनेस पर विशेष ध्यान देते हैं और टीम इंडिया की इस क्षेत्र में कायापलट भी उनकी वजह से हुई है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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