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कारोबार के अवसर बढ़ायेगा ‘वेड इन इंडिया’

विवाह से जुड़ी प्रत्येक चीज ट्रेंडी या विशिष्ट हो गयी है, लेकिन परंपरा को बनाये रखने की चाह भी नहीं मिटी है. इसी वजह से आधुनिकता व परंपरा का समन्वय एक फैशन भी बन गया है. ऐसे में यदि भारत में संस्कार और संस्कृति के मूल्यों के साथ ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ का अभियान आगे बढ़ाया जाए.

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय देश के संपन्न वर्ग के बीच ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ के लिए विदेश जाना चलन बन गया है. यदि शादी के उत्सव को भारत की धरती पर भारत के लोगों के बीच मनायेंगे, तो देश का पैसा देश में ही रहेगा. उन्होंने कहा कि शादियों के लिए खरीदारी करते समय भी सभी को भारत में बने उत्पादों को ही महत्व देना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब देश को ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘वेड इन इंडिया’ जैसे आंदोलन की जरूरत है. देश में इस समय विवाह समारोहों के आयोजन से जुड़ा कारोबार करीब पांच लाख करोड़ रुपये का है. इस वेडिंग कारोबार में 15-17 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोतरी भी हो रही है. शादी को कुछ खास अंदाज में करने के लिए देश के बाहर ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ का चलन अब मध्यवर्गीय परिवारों में भी देखा जा रहा है. ऐसे में ‘वेड इन इंडिया’ आंदोलन को आगे बढ़ाकर भारत के वेडिंग कारोबार और इसमें रोजगार को नयी ऊंचाइयां दी जा सकती हैं.

अमीर वर्ग के लोग देश में ही ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ को अपनायें तथा विदेशों में रहने वाले भारतीय भी भारत में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ की ओर आकर्षित हों, इसके लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा. यह प्रचारित-प्रसारित करना होगा कि जिस तरह विदेश में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ के लिए जो तैयारी होती है, उससे कम मूल्य में और गुणवत्तापूर्ण ढंग से वे तैयारियां बहुत कुछ भारत में भी हैं. भारत में भी शिक्षित-प्रशिक्षित वेडिंग प्लानर उपलब्ध हैं. वेडिंग प्लानर आयोजकों के साथ मिलकर न सिर्फ विवाह समारोह के लिए आयोजन की पूरी योजना बनाता है, बल्कि उस योजना को खास रूपरेखा प्रदान कर अंतिम रूप भी देता है. इनके द्वारा ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ से लेकर शादी की विभिन्न रस्मों की आकर्षक थीम और लजीज खानपान की व्यवस्था को खूबसूरती से अंजाम दिया जाता है. ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ के तहत निमंत्रण पत्र की डिजाइनिंग, गिफ्ट पैकिंग और जगह तय करने से लेकर बारात का स्वागत करने तक का सारा भार अलग-अलग वेडिंग कारोबार के विशेषज्ञों द्वारा पूरा होता है. आजकल लोगों के पास समय की बहुत कमी है और महत्वाकांक्षा बहुत अधिक है. आज हर कोई बिना तनाव एवं परेशानी के बेहतरीन वैवाहिक व्यवस्था करना चाहता है. इतना ही नहीं, विवाह के हर पहलू, जैसे डेकोरेशन, संगीत, मेंहदी की रस्म, भोजन की व्यवस्था और दूल्हा-दुल्हन के परिधान आदि सब पर भी खास ध्यान दिया जाता है. सारी ऐसी व्यवस्थाएं भारतीय वेडिंग प्लानरों द्वारा कुशलतापूर्वक पूरी की जा रही हैं. इससे विवाह में शामिल होने वाले मेहमानों के चेहरे पर भी खुशियां बनी रहती हैं. वेडिंग प्लानर होने से शादी से संबंधित किसी कार्य के लिए परेशान नहीं होना होता है तथा विवाह में केवल सज-धज कर पहुंचना होता है.

विवाह समारोह वर्तमान में सामाजिक संस्कार के साथ-साथ व्यक्ति की प्रतिष्ठा का भी पर्याय बन गया है. साथ ही, विवाह से जुड़ी प्रत्येक चीज ट्रेंडी या विशिष्ट हो गयी है, लेकिन परंपरा को बनाये रखने की चाह भी नहीं मिटी है. इसी वजह से आधुनिकता व परंपरा का समन्वय एक फैशन भी बन गया है. ऐसे में यदि भारत में संस्कार और संस्कृति के मूल्यों के साथ ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ का अभियान आगे बढ़ाया जाए, तो संपन्न वर्ग के लोगों में विदेशों में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ की बढ़ती हुई संख्या को सीमित किया जा सकता है तथा विदेशों से भी भारत में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ को बढ़ाया जा सकता है. निश्चित रूप से जहां भारतीयों का विदेशों में विवाह आयोजनों का तेजी से बढ़ता रुझान घरेलू वेडिंग उद्योग के मद्देनजर नुकसान की तरह है, वहीं देश के विदेशी मुद्रा कोष को घटाने वाला भी है. ऐसे में सरकार और देश के वेडिंग आयोजनों से जुड़े निजी क्षेत्र को रणनीतिक रूप से ध्यान देना होगा कि इस समय देश के जो ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ आकर्षक बने हुए हैं, उन्हें और उपयुक्त बनाकर संपन्न वर्ग को लुभाया जाए. इनमें दिल्ली-एनसीआर, आगरा, उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, मसूरी, देहरादून, गोवा, लवासा, पुणे, वाराणसी, ऋषिकेश, अहमदाबाद, गांधीनगर, वडोदरा, राजकोट, भावनगर, कोझिकोड, अर्नाकुलम, मांडू, उज्जैन, इंदौर आदि जैसी लोकप्रिय वेडिंग डेस्टिनेशन शामिल हैं.

सरकार को यह भी ध्यान देना होगा कि देश में जो अनोखे पर्यटन केंद्र हैं, उनके आसपास ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ को विकसित किया जाए और नये ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ के लिए बुनियादी ढांचे की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाए. भारत एक ऐसा देश है, जिसके पास हिमालय का सबसे अधिक हिस्सा, विशाल समुद्री तट-रेखा और रेत का रेगिस्तान, कच्छ में सफेद नमक रेगिस्तान, लद्दाख में ठंडे रेगिस्तान, देश के कोने-कोने में टाइगर रिजर्व समेत अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान जैसी प्राकृतिक विविधताएं हैं. देश के विभिन्न भागों में तटीय पर्यटन, समुद्र तट पर्यटन, हिमालय पर्यटन, साहसिक पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, वन्यजीव पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन, विरासत पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों के नजदीक ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ के लिए व्यापक बुनियादी ढांचे और अन्य पर्यटन सुविधाओं को नयी सोच के साथ आकार देना होगा. बेहतर सड़क, रेल और हवाई संपर्क से भी देशी-विदेशी विवाह आयोजनों के इच्छुकों को बढ़ाना होगा. ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ सेक्टर को अधिक जीवंत बनाने के लिए ऐसी रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा, जिससे देशी-विदेशी विवाह आयोजन के इच्छुक ऐसे डेस्टिनेशन को वेडिंग के लिए अधिक यादगार, लाभप्रद, और सुगम अनुभव करें. ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ को पुष्पित-पल्लवित करने वाले इन सभी कार्यों के लिए केंद्र सरकार, राज्यों और स्थानीय निकायों को मिलकर काम करना होगा.

यदि इन सभी बातों पर रणनीतिपूर्वक ध्यान दिया जाए, तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी ने अमीर लोगों से देश के भीतर ही ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ करने के लिए जिस ‘वेड इन इंडिया’ जैसे आंदोलन की जरूरत बतायी है, उसके सफलतापूर्वक साकार होने की पूरी संभावनाएं हैं. इसके साथ-साथ इस संभावना को भी साकार किया जा सकता है कि विदेशों में रह रहे भारतीय समुदाय के साथ भारत में विभिन्न कारणों से भ्रमण के इच्छुक विदेशी भी अपने परिवार के सदस्यों के विवाह के लिए भारत को अपना ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ बनाना पसंद करें. इससे जहां ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ से जुड़े विभिन्न उद्यम व कारोबार आगे बढ़ेंगे, वहीं रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे. ऐसे में भारत में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अहम योगदान देती हुई दिखाई देगी.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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