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शादियों से कैसे मजबूत होती है अर्थव्यवस्था?

Wedding and Indian Economy :जनवरी में खरमास शुरू होने से पहले तक देश में 48 लाख शादियां होने का अनुमान है, जिनमें छह लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की उम्मीद है.

Wedding and Indian Economy : विवाह सिर्फ दो युवाओं या दो परिवारों का ही मिलन नहीं है, यह रोजगार सृजन, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का माध्यम भी है. चूंकि, देश में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं, इसलिए, यहां सालों भर शादियां होती रहती हैं. हालांकि बहुसंख्यक समाज यानी हिंदुओं की शादियां अमूमन नवंबर से जुलाई तक होती हैं. सभी धर्मों के लोग शादियों में अपनी हैसियत के अनुसार खर्च करते हैं, जिसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है. गुजरात में विगत 12 नवंबर को यानी देवउठनी एकादशी के दिन 90 हजार से ज्यादा शादियां हुईं, जो आगामी जनवरी में खरमास शुरू होने के पहले तक चलेंगी. देवउठनी एकादशी के दिन अकेले सूरत और दक्षिण गुजरात में 30 हजार से अधिक शादियां हुईं. उन शादियों में अनुमानत: 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए. देश की दूसरी जगहों में भी उस दिन अनेक शादियां हुईं.

देश में 48 लाख शादियां होने का अनुमान

जनवरी में खरमास शुरू होने से पहले तक देश में 48 लाख शादियां होने का अनुमान है, जिनमें छह लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की उम्मीद है. पिछले साल इस अवधि में 32 लाख शादियां हुई थीं. कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड्स के एक सर्वे के मुताबिक 2023 में 15 जनवरी से 15 जुलाई के बीच 42 लाख से ज्यादा शादियां हुई थीं, जिनमें 5.5 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए. चूंकि इस साल खास शुभ मुहूर्तों की संख्या अधिक है, इसलिए छह लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने की उम्मीद है. पिछले वित्त वर्ष में नॉमिनल जीडीपी लगभग 294 लाख करोड़ रुपये की थी और शादियों में हर साल औसतन करीब 12 लाख करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. इस तरह जीडीपी में शादी उद्योग का योगदान 4.08 प्रतिशत का है. ‘द इकनॉमिस्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अमूमन एक करोड़ शादियां हर साल होती हैं, जबकि चीन में 70 से 80 लाख और अमेरिका में 20 से 25 लाख शादियां होती हैं. हालांकि शादी का उद्योग चीन में भारत से बड़ा है, यानी वहां शादियों में भारत से ज्यादा राशि खर्च होती है. इस मामले में भारत दूसरे और अमेरिका चौथे स्थान पर है.

डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन देश में बढ़ा

आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग का भी खूब चलन है. अकेले गुजरात में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, कच्छ के रण, सापुतारा, अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, दमन, दीव आदि जगहों पर डेस्टिनेशन वेडिंग होती है. विवाह उद्योग का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार भी डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, ताकि देश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और ‘मेक इन इंडिया’ को बल मिले. शादी के खर्च को सामान और सेवाओं में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें कपड़ों व अन्य परिधानों पर कुल खर्च का 10 प्रतिशत, आभूषण पर 15 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान एवं कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर पांच प्रतिशत, सूखे, मेवे, मिठाइयों, स्नैक्स आदि पर पांच प्रतिशत, उपहार पर पांच प्रतिशत एवं अन्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत खर्च किया जाता है.

शादियों के खर्च से शेयर बाजार में आता है उछाल

ऐसे ही, कैटरिंग व अन्य सेवाओं पर 16 प्रतिशत, वैंक्वेट हॉल, होटल, रिसॉर्ट पर सात प्रतिशत, इवेंट मैनेजमेंट पर पांच प्रतिशत, टेंट की सजावट पर 10 प्रतिशत, फूलों की सजावट पर चार प्रतिशत, परिवहन पर तीन प्रतिशत, फोटोग्राफी, वीडियो, संगीत आदि पर तीन प्रतिशत एवं अन्य सेवाओं पर सात प्रतिशत खर्च किया जाता है. बीती सदी के नौवें दशक में उच्च मध्यम वर्ग शादियों में दो से ढाई लाख रुपये खर्च कर रहे थे, जो 2000 के दशक में बढ़कर तीन से पांच लाख, अगले दशक में 10 से 15 लाख, 2015 तक 25 से 30 लाख और 2022 के बाद 50 लाख से एक करोड़ रुपये हो गया है. उच्च वर्ग की शादियों का खर्च इससे बहुत अधिक है. शादियों के सीजन में खर्च में बढ़ोतरी के कारण उत्पादों, आभूषण, ऑटोमोबाइल, आतिथ्य उद्योग आदि में वृद्धि दर्ज की जाती है और शेयर बाजार में भी उछाल की स्थिति बनी रहती है.

शादियों के खर्च में नहीं हो रही कटौती

हाल के वर्षों में शादी के खर्च यानी सामान एवं सेवा, दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. जैसे, होटल या रिसॉर्ट की बुकिंग में 10 से 15 प्रतिशत की और खाने में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि लोग आजकल शादियों में व्यंजनों की विविधता को तरजीह देते हैं. प्रति व्यक्ति भोजन के प्लेट की कीमत बढ़कर 2,500 से 3,000 रुपये तक पहुंच गयी है. घोड़ी, बैंड, बाजा एवं बारात पर होने वाले खर्च में भी बढ़ोतरी हुई है. इसके बावजूद लोग जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण आयोजन में खर्च में बहुत कटौती नहीं कर रहे. इसे देखते हुए आने वाले वर्षों में विवाह उद्योग में और भी मजबूती आने की संभावना है.

शादियों में सभी सोने के गहने और जरूरत की दूसरी चीजें वस्तुएं देते हैं. इस कारण देश में हमेशा सोने की मांग बनी रहती है. वर्ष 2023 में हमारे यहां सोने की खपत में 11 फीसदी की वृद्धि हुई थी और इस साल इसमें और वृद्धि होने की संभावना है. डॉलर भी मजबूत हुआ है और इससे सोने में निवेश के प्रतिशत में गिरावट आई है, जिससे भारत समेत दुनिया भर में सोने की कीमत में कमी आई है. शादियों में सभी अपने सामर्थ्य के अनुसार खर्च करते हैं. कुछ लोग दिखावे में सामर्थ्य से भी अधिक खर्च करते हैं. बहरहाल, खर्च में वृद्धि से रोजगार सृजन, आर्थिक गतिविधियों में तेजी और अर्थव्यवस्था में मजबूती आती है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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