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ओलिंपिक के लिए सही राह पर महिला हॉकी

भारत की कप्तान आक्रामक सेंटर हाफ सलीमा टेटे व स्ट्राइकर संगीता कुमारी, ब्यूटी डुंगडुंग झारखंड के बेहद छोटे से गांवों से आती हैं. सलीमा टेटे के झारखंड के गांव बड़की छप्पर में तो बिजली तक नहीं है. वहीं संगीता कुमारी सिमडेगा के करमगोरी के नवाटोली गांव से और ब्यूटी डुंगडुंग कर्मागोरी के बड़काटोली गांव से आती हैं.

झारखंड के एक बेहद पिछड़े गांव बड़की छापर से आने वाली कप्तान आक्रामक सेंटर हाफ 22 बरस की सलीमा टेटे के साथ चीफ कोच मूल रूप से बिहार के सारण जिले के दाउदपुर के बतराहा गांव के बाशिंदे हरेंद्र सिंह की जुगल जोड़ी के मार्गदर्शन में भारत ने राजगीर में अजेय रही बिहार महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी 2024, में अपना खिताब बरकरार रखा. झारखंड की संगीता कुमारी, कप्तान सलीमा टेटे और सहरावत के एक एक गोल से भारत ने पूल मैच में चीन की दीवार 3-0 से जीत के साथ गिराने के बाद दीपिका सहरावत के इकलौते गोल से फाइनल में भी चीन की दीवार दूसरी बार ढहाकर, खिताब जीतकर तिरंगा लहराया.

हरियाणा के हिसार में पहलवानों के परिवार से आने वाली ऑलराउंडर दीपिका सहरावत ने सबसे ज्यादा कुल 11 गोल कर भारत को खिताब बरकरार रखने में मदद की. भारतीय महिला हॉकी टीम ने अपने पांचों पूल मैच, सेमीफाइनल और फाइनल सहित अपने सभी सातों मैच जीत कर यह दिखाया कि वह 2028 के लास एंजेलिस ओलंपिक के लिए सही राह पर है.

2028 ओलंपिक की यात्रा की शुरुआत

एशियन चैंपियंस ट्रॉफी खिताब तो भारत की लास एंजेलिस, 2028 ओलंपिक की यात्रा की शुरुआत है. वर्ष 2026 में एफआइएच महिला हॉकी विश्व कप और एशियाई खेल उनकी टीम की अग्नि परीक्षा साबित होंगे. वर्ष 2016 में भारत ने पहली बार चीन को ही फाइनल में 2-1 से हराकर महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी खिताब जीतने के बाद 2023 और 2024 में अपने घर में लगातार दो बार सहित कुल तीसरी बार खिताब जीत दक्षिण कोरिया के सबसे ज्यादा तीन बार खिताब जीतने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली. भारतीय महिला हॉकी टीम की ताकत उसके ग्रामीण परिवेश से आने वाली खिलाड़ी हैं.

वर्ष 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाइ करने की निराशा भुलाकर भारतीय टीम का महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी खिताब बरकरार रखना उसके मिशन 2028 यानी लास एंजेलिस ओलंपिक का सही आगाज है. भारत के नजरिये से उसका अपने घर में खिताब पर कब्जा रखना निश्चित रूप से लड़कियों का हौसला बढ़ाने वाला साबित होगा. अनुभवी स्ट्राइकर वंदना कटारिया की जगह भारत की टीम में शामिल की गई प्रीति दुबे के साथ उपकप्तान नवनीत कौर के साथ संगीता कुमारी, दीपिका सहरावत व ब्यूटी डुंगडुंग जैसी नौजवान स्ट्राइकर कसौटी पर खरी उतरीं.

नौजवान खिलाड़ियों ने दिखाया दम

दीपिका सहरावत ने अपने 11 में से छह गोल पेनल्टी कॉर्नर पर, चार मैदानी और एक पेनल्टी स्ट्रोक पर किए, जबकि संगीता कुमारी ने तीन मैदानी गोल करने के साथ एक गोल पेनल्टी कॉर्नर पर किया. चीफ कोच हरेंद्र सिंह की मानें, तो महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर रखी गई स्ट्राइकर वंदना कटारिया, फुलबैक निकी प्रधान, सोनिका और मोनिका के लिए टीम में स्थान पाने के दरवाजे खुले हैं. भारत की कप्तान आक्रामक सेंटर हाफ सलीमा टेटे व स्ट्राइकर संगीता कुमारी, ब्यूटी डुंगडुंग झारखंड के बेहद छोटे से गांवों से आती हैं. सलीमा टेटे के झारखंड के गांव बड़की छप्पर में तो बिजली तक नहीं है. वहीं संगीता कुमारी सिमडेगा के करमगोरी के नवाटोली गांव से और ब्यूटी डुंगडुंग कर्मागोरी के बड़काटोली गांव से आती हैं.

भारतीय टीम की सबसे कम मात्र 17 बरस की सुनीलिता टोपो ओडिशा के सुंदरगढ़ के कुकुड़ा की हैं. वहीं भारतीय टीम में सबसे ज्यादा सात खिलाड़ी, नेहा गोयल, शर्मिला देवी, ज्योति रुमावत, सबसे ज्यादा गोल करने वाली ऑलराउंडर दीपिका सहारावत, उदिता दुहान, नवनीत कौर और गोलरक्षक सविता खिलाड़ी हरियाणा की हैं. इनमें से तीन नेहा, शर्मिला और ज्योति सोनीपत में अपनी हॉकी अकादमी में भारत की लड़कियों की हॉकी नर्सरी तैयार करने में भारत की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच अकेदमी की हैं. हरियाणा की सभी सात खिलाड़ी ग्रामीण और देश को रानी रामपाल जैसी बेहतरीन हॉकी स्ट्राइकर देने वाले शाहबाद मरकंडा की हैं. जबकि तीन खिलाड़ी- सुशीला चानू, गोलरक्षक बिच्छू देवी खरीबम और ललरेमसियामी पूर्वोत्तर की हैं.

महिला हाॅकी को संवार रहे हैं हरेंद्र सिंह

दरअसल गुरजीत कौर के टीम से बाहर होने के बाद किसी माहिर ड्रैग फ्लिकर का न होना भारत के 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाइ न करने का बड़ा कारण था. दूसरी बार महिला हॉकी की बागडोर संभालने के बाद हरेंद्र सिंह ने दीपिका सहरावत, मनीषा और उदिता दुहान को बतौर ड्रैग फ्लिकर के रूप में मांजने पर सबसे ज्यादा जोर दिया और इसमें वह बहुत हद तक कामयाब रहे. हरेन्द्र सिह का ललरेमसियामी, शर्मिला देवी को आक्रामक मिडफील्डर नेहा गोयल के साथ बतौर लिंकवूमैन आजमाना तुरुप का पत्ता साबित हुआ. इसी तरह पहले मिडफील्डर रही सुशीला चानू और मूलत: स्ट्राइकर रही ज्योति रुमावत को फुलबैक के रूप में और बीच-बीच में उदिता दुहान को फ्री वुमैन के रूप आजमान खासा कारगर रहा. मूलत: स्ट्राइकर ललरेमसियामी, शर्मिला देवी और सुनीलिता टोपो ने लिंकवुमैन के रूप में उम्मीदें जगाई हैं. हॉकी इंडिया इन सभी खिलाड़ियों को महिला हॉकी इंडिया लीग के साथ यूरोपीय लीग में खेलने भेजेगा, तो यह सभी के अपने खेल को नयी बुलंदियों पर पहुंचाने में मददगार बनेगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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