कड़ी मेहनत के बाद जब कोई व्यक्ति सफलता के अंतिम पड़ाव तक पहुंच जाता है और फिर उसे बार-बार असफलता हाथ लगती है, तो इंसान एक पल के लिए हताश और निराश हो जाता है. मगर, आंध्र प्रदेश की रहने वाली 23 वर्षीय एथलीट ज्योति याराजी ने इस सोच को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. दो बार रिकॉर्ड बनाने से चूक जाने के बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी. अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर आज वह भारत की सबसे तेज महिला हर्डलर बन गयी हैं.
बीते दिनों बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रेलवे की ज्योति याराजी ने महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ 12.82 सेकेंड में पूरी करके नया कीर्तिमान स्थापित किया. ज्योति पहली भारतीय महिला एथलीट बन गयी हैं, जिन्होंने 13 सेकेंड से कम समय में यह दौड़ पूरी की है. बेहद कम उम्र में 100 मीटर बाधा दौड़ की हिस्सा बनीं ज्योति को इस मुकाम तक पहुंचने में कई बार हार का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और संघर्ष जारी रखा. इसी का नतीजा है कि वह कम समय में भारत की सबसे प्रतिभाशाली एथलीट के रूप में उभरकर कर सामने आयी हैं.
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक सामान्य परिवार में जन्मीं ज्योति की शुरुआती जिंदगी काफी संघर्षपूर्ण रही है. कई पूर्व और वर्तमान भारतीय खिलाड़ियों की तरह ही वह भी सीमित संसाधनों के साथ पली-बढ़ी हैं. उनके पिता सूर्यनारायण एक निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी माता कुमारी गृहिणी हैं. साथ ही वह शहर के एक अस्पताल में क्लीनर के रूप में पार्ट टाइम काम करती हैं. आर्थिक तंगी के बावजूद उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वह स्कूल में होने वाले खेलकूद प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं. विजाग के पोर्ट हाइ स्कूल, कृष्णा में पढ़ने के दौरान ही उनकी फिजिकल एजुकेशन टीचर की नजर उन पर पड़ी. उन्होंने ज्योति की प्रतिभा को पहचान लिया कि वह बाधा दौड़ (हर्डल रेस) में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती है. उन्होंने ज्योति को काफी मोटिवेट किया. स्कूल स्तर पर आयोजित कई स्पर्धाओं ने ज्योति ने काफी शानदार प्रदर्शन किया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
वर्ष 2015 में आयोजित आंध्र प्रदेश इंटर-डिस्ट्रिक्ट मीट में गोल्ड मेडल जीतने के बाद ज्योति याराजी पहली बार सुर्खियों में आयीं. इसके बाद हैदराबाद साई सेंटर में दो साल तक ट्रेनिंग लिया, जहां उन्हें गुंटूर में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में शामिल होने का मौका मिला. इसके बाद ज्योति वर्ष 2019 में भुवनेश्वर में रिलायंस ओडिशा एथलेटिक्स हाइ-परफॉर्मेंस सेंटर में चली गयीं, जहां कोच जेम्स हिलियर की देख-रेख में ज्योति को खेल में नया मुकाम हासिल करने में थोड़ा समय लगा, पर उन्होंने निराश नहीं किया. जनवरी 2020 में कर्नाटक के मूडबिद्री में आयोजित ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स मीट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. इस दौड़ को उन्होंने महज 13.03 सेकेंड में ही पूरा कर लिया. उनका यह समय भारतीय महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ के राष्ट्रीय रिकॉर्ड के लिए काफी था, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड बुक में दर्ज नहीं पाया. दरअसल, नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी ने चैंपियनशिप से पहले उनका परीक्षण नहीं किया था और न ही एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया से कोई टेक्निकल प्रतिनिधि वहां मौजूद था.
कोरोना महामारी ने भी ज्योति के मनसूबों पर पानी फेर दिया. वर्ष 2020 में इंडोर एशियाड और वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स जैसे अन्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित नहीं हुईं. इसके चलते ज्योति को अपना अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. इस बीच पीठ की चोट के कारण भी उन्हें दरकिनार किया जाने लगा, जिसके बाद चीजें उनके लिए आसान नहीं रहीं. मुश्किल के दौर में उनके कोच ने उनकी काफी मदद की. उनके कोच ने उनके भीतर आत्मविश्वास पैदा किया. वर्ष 2022 में धीरे-धीरे उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ायी. इसके बाद भुवनेश्वर में आयोजित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी मीट में उन्होंने 13.7 सेकेंड समय में रेस को पूरा किया.
ज्योति को कोझिकोड में आयोजित फेडरेशन कप में 13.09 सेकेंड में दौड़ पूरी करने के बाद एक बार फिर रिकॉर्ड बनाने का मौका मिला, लेकिन इस रिकॉर्ड को भी आधिकारिक मार्क के अनुरूप नहीं माना गया, क्योंकि यह विंड अस्सिटेड रन थी. उनकी रेस के दौरान हवा की गति +2.1मी/सेकेंड थी. यह गति एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड के लिए जरूरी +2मी/सेकेंड से अधिक थी. यह उनका दूसरा मौका था, जब वह उन वजहों से रिकॉर्ड बनाने से चूक गयीं, जो उनके नियंत्रण में नहीं थे. दोनों ही मौकों पर उन्हें किस्मत ने धोखा दिया था. रिकॉर्ड से चूकने के बाद ज्योति ने 10 मई, 2022 को लिमासोल में साइप्रस इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट में अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और ज्योति ने अंततः 13.23 सेकेंड के साथ महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. साथ ही 2002 में बनाये गये अनुराधा बिस्वाल के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया.
बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल, 2022 ज्योति के लिए निराशाजनक जरूर रहा. मगर, ज्योति ने साल 2022 सीजन को अच्छे तरीके से समाप्त किया है. उन्होंने नेशनल गेम्स के 100 मीटर बाधा दौड़ में 12.79 सेकेंड के नये व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ फिर स्वर्ण अपने नाम किया है. इसके साथ ही ज्योति अपने खेल में 13 सेकेंड से कम समय लेने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गयी हैं. इसके बाद बेंगलुरु में आयोजित नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, 2022 में एक बार फिर अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड में सुधार किया है. महज 12.82 सेकेंड में 100 मीटर बाधा दौड़ पूरी करने वालीं वह पहली भारतीय महिला एथलीट बन गयी हैं. उनके इस प्रदर्शन को नीता अंबानी ने भी सराहा है.
प्रस्तुति : देवेंद्र कुमार