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झारखंड के पाकुड़ में 9 महीने से लेकर 15 साल के बच्चों को लगेंगे मिजिल्स रूबेला के टीके

मिजिल्स रूबेला कैंपेन को सफल बनाने को लेकर पाकुड़ में नौ महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों को एमआर के टीके लगेंगे. केंद्र सरकार ने इस साल मिजिल्स रूबेला के उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है. इसी के तहत अप्रैल माह से टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है.

Jharkhand News: मिजिल्स रूबेला कैंपेन कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन को लेकर नगर स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक पाकुड़ नगर परिषद अध्यक्ष संपा साहा की अध्यक्षता में हुई. सिविल सर्जन डॉ मंटू कुमार टेकरीवाल ने बताया कि भारत सरकार ने इस वर्ष मिजिल्स रूबेला के उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है. प्रथम दो सप्ताह स्कूल में, फिर दो सप्ताह आंगनबाड़ी केंद्र में और एक सप्ताह छूटे हुए बच्चों को टीका लगाया जायेगा. नौ महीना से लेकर 15 साल तक के बच्चों को एमआर टीकाकरण अप्रैल माह से किया जाएगा. सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, सभी पंचायती राज संस्थान एवं एनजीओ से सहयोग लिया जायेगा.

शत-प्रतिशत लक्ष्य को लेकर बनेगा माइक्रो प्लान

सिविल सर्जन ने शत-प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा माइक्रो प्लान बनाया जायेगा. साथ ही उन्होंने सभी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों से अपील की कि वे अपने स्कूल से फॉर्म एक में डाटा भरकर बीआरसी कार्यालय में जमा कराएं, ताकि समय माइक्रोप्लान बनाया जा सके. इस मौके पर कार्यपालक पदाधिकारी कौशलेश कुमार यादव, डॉ शिरीष कुमार, शहरी स्वास्थ्य प्रबंधक विनोद कुमार वर्मा, पाकुड़ नगर के सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपल, एनयूएलएम, एएनएम व बीटीटी आदि उपस्थित थे.

टीका पूरी तरह है सुरक्षित

बैठक में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के डॉ शिरीष कुमार ने कहा कि अभियान के तहत नौ माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को यह टीका लगाया जायेगा. अगर बच्चे ने पहले भी टीका लिया है तो भी उसे टीका लगाया जायेगा. कहा कि खसरा रोग के सफाई तथा रूबेला को नियंत्रित करने के लिए बच्चों को यह टीका लगाया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि खसरा रूबेला का टीका पूर्ण रूप से सुरक्षित है. इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है.

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क्या है रूबेला संक्रमण

रूबेला एक संक्रामक रोग है. यह भी वायरस से फैलता है. इसके लक्षण खसरा रोग होते हैं. यह लड़के या लड़की दोनों को संक्रमित कर सकता है. यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए, तो कंजेनिटल रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) हो सकता है जो उसके भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.

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